
नई दिल्ली/स्वराज टुडे: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ (संशोधन) बिल को शनिवार देर शाम मंजूरी दे दी। सरकार ने नए कानून को लेकर गजट नोटिफिकेशन जारी किया। अब नए कानून को लागू करने की तारीख को लेकर केंद्र सरकार अलग से एक नोटिफिकेशन जारी करेगी। यह बिल (अब कानून) पर 2 अप्रैल को लोकसभा और 3 अप्रैल को राज्यसभा में 12-12 घंटे की चर्चा के बाद पास हुआ था।
आईये जानते हैं वक़्फ़ संशोधित बिल को लेकर 10 बड़ी बातें..
1) ऑनलाइन होगा वक्फ का डेटाबेस
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के पारित होते ही वक्फ कानून में बड़े बदलाव होंगे। कानून के लागू होने के 6 महीने के भीतर हर वक्फ संपत्ति को सेंट्रल डेटाबेस पर रजिस्टर्ड करना अनिवार्य होगा। वक्फ में दी गई जमीन का पूरा ब्यौरा ऑनलाइन पोर्टल पर 6 महीने के अंदर अपलोड करना होगा और कुछ मामलों में इस टाइम लिमिट को बढ़ाया भी जा सकेगा।
2) जमीन का ऑनलाइन डेटाबेस
वक्फ को डोनेशन में दी गई हर जमीन का ऑनलाइन डेटाबेस होगा और वक्फ बोर्ड इन प्रॉपर्टीज के बारे में किसी बात को छिपा नहीं पाएगा। किस जमीन को किस व्यक्ति ने डोनेट किया, वो जमीन उसके पास कहां से आई, वक्फ बोर्ड को उससे कितनी इनकम होती है, उस प्रॉपर्टी की देख-रेख करने वाले ‘मुतव्वली’ को कितनी तनख्वाह मिलती है, ये जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर मुहैया होगी। इससे वक्फ की प्रॉपर्टीज में ट्रांसपरेंसी आएगी और वक्फ को होने वाला नुकसान भी कम होगा।
3) गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करना अनिवार्य
एक बड़ा बदलाव यह भी आएगा कि गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करना जरूरी होगा। वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं के साथ दूसरे धर्म से जुड़े दो लोग शामिल होंगे। वक्फ बोर्ड में नियुक्त किए गए सांसद और पूर्व जजों का भी मुस्लिम होना जरूरी नहीं होगा। सरकार के मुताबिक इस प्रावधान से वक्फ में पिछड़े और गरीब मुस्लिमों को भी जगह मिलेगी और वक्फ में मुस्लिम महिलाओं की भी हिस्सेदारी होगी।
4) वक्फ बोर्ड में दो मुस्लिम महिलाएं भी होंगी
राज्यों के वक्फ बोर्ड में भी दो मुस्लिम महिलाएं और दो गैर-मुस्लिम सदस्य जरूर होंगे। साथ ही शिया, सुन्नी और पिछड़े मुस्लिमों से भी एक-एक सदस्य को जगह देना अनिवार्य होगा। इनमें बोहरा और आगाखानी समुदायों से भी एक-एक सदस्य होना चाहिए। इन दोनों मुस्लिम संप्रदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड बनाने का भी प्रावधान इस कानून में जोड़ा गया है।
5) अफसर के पास होगा विवाद निपटाने का अधिकार
किसी भी विवाद की स्थिति में स्टेट गवर्नमेंट के अफसर को यह सुनिश्चित करने का अधिकार होगा कि संपत्ति वक्फ की है या सरकार की। हालांकि बिल के प्रावधान को लेकर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई है। विपक्षी सांसदों का कहना है कि अफसर सरकार के पक्ष में फैसला करेंगे और यह भी तय नहीं है कि अफसर कितने दिन में किसी विवाद का निपटारा करेंगे।
6) सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में अपील करना मुमकिन
लोकसभा से पास बिल में कहा गया है कि अब डोनेशन में मिली प्रॉपर्टी ही वक्फ की होगी। जमीन पर दावा करने वाला ट्रिब्यूनल,रेवेन्यू कोर्ट में अपील कर सकेगा। साथ ही सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में अपील हो सकेगी। ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती दी जा सकेगी। मामले में वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ 90 दिनों में रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट और हाई कोर्ट में अपील दायर करने का लोगों के पास अधिकार होगा, जो मौजूदा कानून में नहीं है।
7) सरकार के पास होगा वक्फ के खातों का ऑडिट कराने का अधिकार
केंद्र और राज्य सरकारों के पास वक्फ के खातों का ऑडिट कराने का अधिकार होगा, जिससे किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को रोका जा सकेगा। वक्फ बोर्ड सरकार को कोई भी जानकारी देने से मना नहीं कर सकता और वक्फ बोर्ड ये भी नहीं कह सकता कि कोई जमीन सैकड़ों साल पहले से किसी धार्मिक मकसद से इस्तेमाल हो रही थी तो वो जमीन उसकी है। बता दें कि वर्ष 1950 में पूरे देश में वक्फ बोर्ड के पास सिर्फ 52 हजार एकड़ जमीन थी, जो वर्ष 2009 में 4 लाख एकड़ हो गई। 2014 में 6 लाख एकड़ हो गई और अब वर्ष 2025 में वक्फ बोर्ड के पास देश की कुल 9 लाख 40 हजार एकड़ जमीन है।
8) महिलाएं भी वक्फ की जमीन में होंगी उत्तराधिकारी
कोई भी व्यक्ति उसी जमीन को डोनेट कर पाएगा जो उसके नाम पर रजिस्टर्ड होगी। वक्फ भी ऐसी संपत्तियों पर अपना दावा नहीं कर पाएगा जहां कोई व्यक्ति किसी और के नाम पर रजिस्टर्ड जमीन को दान में देता है। इसे अनलीगल माना जाएगा। खास बात यह है कि ‘वक्फ-अल-औलाद’ के तहत महिलाओं को भी वक्फ की जमीन में उत्तराधिकारी माना जाएगा। यानी जिस परिवार ने वक्फ की जमीन ‘वक्फ-अल-औलाद’ के लिए डोनेशन में दी है, उस जमीन से होने वाली इनकम सिर्फ उन परिवारों के पुरुषों को नहीं मिलेगी, बल्कि इसमें महिलाओं का भी हिस्सा होगा।
9) प्रॉपर्टी का ब्यौरा राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज होगा
जिन सरकारी प्रॉपर्टीज पर वक्फ अपना कब्जा बताता आ रहा है, उनको पहले दिन से ही वक्फ की प्रॉपर्टी नहीं माना जाएगा। अगर ये दावा किया जाता है कि कोई सरकारी प्रॉपर्टी वक्फ की है तो ऐसी स्थिति में राज्य सरकार मामले की जांच कराएगी। जांच-पड़ताल करने वाला अफसर कलेक्टर रैंक से ऊपर का होगा। जांच रिपोर्ट में वक्फ का दावा गलत निकलता है तो सरकारी प्रॉपर्टी का पूरा ब्यौरा राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज होगा।
10) प्रॉपर्टीज नियम इनपर होगा लागू
साथ ही ये सरकारी प्रॉपर्टी वक्फ की नहीं मानी जाएगी। ये नियम उन सरकारी प्रॉपर्टीज पर भी लागू होंगे, जिन पर पहले से वक्फ का दावा और कब्जा है। सबसे बड़ा बदलाव ये आएगा कि वक्फ बिना किसी दस्तावेज और सर्वे के किसी जमीन को अपना बताकर उस पर कब्जा नहीं कर सकेगा। कोई अन्य प्रॉपर्टी या जमीन वक्फ की है या नहीं, इसकी जांच कराने के लिए राज्य सरकार को जरूरी अधिकार दिए गए हैं।
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