चंडीगढ़ क्राइम ब्रांच की बड़ी कार्रवाई: आयुष्मान भारत घोटाले का मास्टरमाइंड गिरफ्तार, हरियाणा समेत इन राज्यों में फैला नेटवर्क

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पंजाब
चंडीगढ़/स्वराज टुडे: केंद्र सरकार द्वारा 5 लाख तक के मुफ्त उपचार के लिए देश के हर नागरिक को आयुष्मान कार्ड की सुविधा प्रदान की गई है । लेकिन समाज में ऐसे भी दरिंदे हैं जो इस योजना के माध्यम से सरकार को ही करोड़ों का चुनाव लगा रहे थे । चंडीगढ़ PGI में आयुष्मान भारत और हिमकेयर योजना के नाम पर चल रहे घोटाले का पर्दाफाश हो गया है। आरोपी युवक मरीजों के नाम पर सरकारी योजना की फ्री दवाइयों को निजी मेडिकल शॉप पर भेज रहे थे ।

चंडीगढ़ क्राइम ब्रांच ने कड़ी कार्रवाई करते हुए इस घोटाले के मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों ने चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में इस घोटाले के जरिए करोड़ों रुपए का गबन किया है। क्राइम ब्रांच इस केस में मुख्य आरोपी की तलाश में जुटी है।

घोटाले का खुलासा कैसे हुआ ?

जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड दुर्लभ कुमार जाटव को गिरफ्तार कर लिया है। जांच में सामने आया है कि दुर्लभ कुमार जाटव पीजीआई परिसर में केमिस्ट शॉप का संचालक है। सबसे पहले इस घोटाले के बारे में फरवरी में खुलासा हुआ। दरअसल फरवरी में हिमाचल के रहने वाले रमन कुमार नाम के युवक ने आयुष्मान कार्ड पर अमृत फार्मेसी से करीब 60 हजार रुपए की दवाइयां लेने आया था। युवक को सारी दवाइयां फ्री में दे दी गई।

मौके पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों को जब शक हुआ तो उन्होंने युवक की तलाशी ली थी। पुलिस को युवक के कब्जे से डॉक्टरों और विभागाध्यक्षों की फर्जी मुहरें, इंडेंट और कई विभागों की दस्तावेज मिले। आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया। पुलिस ने आरोपी से पूछताथ की तो उन्हें पता लगा कि गिरोह आयुष्मान समेत हिमकेयर योजना का भी गलत इस्तेमाल कर रहा था।

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मरीजों के नाम पर बनाते थे फर्जी पर्चियां

पुलिस जांच में सामने आया है कि गिरोह का मास्टरमाइंड दुर्लभ कुमार की PGI में आयुष्मान कार्ड बनवाने वाले अजय कुमार और अमृत फार्मेसी से जुड़े कर्मचारियों के साथ मिलीभगत थी। अजय मरीजों का डाटा निकालकर दुर्लभ को देता था। इसके बाद मरीजों के नाम पर फर्जी पर्चियां बनाकर उन पर महंगी दवाइयां लिख दी जाती थी, जिस पर नकली मुहर लगाई जाती थी। पुलिस जांच में सामने आया है कि हिमाचल का रमन कुमार इन पर्चियों की मदद से फ्री में दवाइयां लेता था। जिसके बाद उन्हें चंडीगढ़ की एक नामी केमिस्ट शॉप पर देता। दुर्लभ इन दवाइयों को बाजार में 10 से 15 फीसदी डिस्काउंट पर बेचता था।

हिमाचल प्रदेश में ईडी कर रही जांच

बता दें कि हिमाचल प्रदेश में इस घोटाले की जांच अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रही है। इस मामले में चंडीगढ़ और हिमाचल के कई प्राइवेट अस्पतालों के नाम भी सामने आए हैं। जिन्हें आयुष्मान और हिमकेयर योजना से बाहर कर दिया गया है। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विभागों को 30 अप्रैल तक ठेकेदारों और हिमकेयर योजना के पेंडिंग बिलों का भुगतान करने के निर्देश दिए हैं। पुलिस इस मामले में आगे की कार्रवाई में जुटी हुई है।

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दीपक साहू

संपादक

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