
केरल
कोच्चि/स्वराज टुडे: केरल हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अगर किसी छात्र या माता-पिता की शिकायत पर किसी शिक्षक पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाता है, तो शिक्षक को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा जब तक प्राथमिक जांच यह साबित न कर दे कि आरोप सही है।
जस्टिस पी.वी.कुन्हीकृष्णन ने कहा कि यह निर्देश आज के समय की जरूरत है, जहां छात्र शिक्षण संस्थान के भीतर हथियार, शराब और नशे का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा, हमारे राज्य में युवा पीढ़ी का व्यवहार बहुत चिंताजनक है। वे गंभीर अपराधों में शामिल हो रहे हैं और कुछ तो नशे और शराब के आदी हैं।
शिक्षकों को हाथ में बेंत रखने की होनी चाहिए अनुमति: हाईकोर्ट
हाई कोर्ट ने एक शिक्षक को अग्रिम जमानत देते हुए यह निर्देश दिया। शिक्षक पर अपने एक छात्र को बेंत से मारने का आरोप था। हाई कोर्ट ने उन्हें राहत प्रदान करते हुए यह भी कहा कि शिक्षकों को शिक्षण संस्थानों में रहते हुए बेंत अपने हाथ में रखने की अनुमति होनी चाहिए। लेकिन इसे उपयोग में लाने की आवश्यकता नहीं है। शिक्षकों के हाथ में बेंत मात्र ही छात्रों पर मानसिक असर डालेगा, जिसे उन्हें सामाजिक बुराइयों से बचाया जा सकेगा। कोर्ट ने अपने दस मार्च के आदेश में आगे कहा कि अगर शिक्षक बिना दुर्भावना के छात्र के अनुशासन और व्यवहार से जुड़े मामले में मामूली सजा देते हैं, तो ऐसे मामलों में शिक्षक के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दायर नहीं किया जाना चाहिए।
‘छात्रों को मामूली सजा देने पर शिक्षक को नहीं किया जाना चाहिए परेशान’
कोर्ट ने आगे कहा, यह केवल हमारी शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने और छात्रों के हितों की रक्षा करने के लिए है, जो हमारे देश के भविष्य हैं। किसी भी शिक्षक को इसलिए प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए कि उसने किसी छात्र को अनुशासन और व्यवहार के लिए मामूली सजा दी। इसने आगे कहा, जब बिना किसी दुर्भावना के किसी एक छात्र पर चुटकी ली जाती है, धक्का दिया जाता है तो अभिभावक या छात्र की शिकायत पर शिक्षक के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए जाते हैं। यह सब बंद होना चाहिए, अन्यथा शिक्षक अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सकेंगे।
यह भी पढ़ें: यूपी भाजपा जिलाध्यक्षों के नाम की आ गई सूची, जानिए किसे मिला मौका और किसके हाथ लगी निराशा
यह भी पढ़ें: अमृतसर मंदिर ब्लास्ट के तीन आरोपी बिहार से गिरफ्तार, नेपाल भागने की फिराक में थे शातिर बदमाश

Editor in Chief