पहली बार सार्वजनिक हुई लालफीताशाही की अकूत संपत्ति में मध्यप्रदेश के अफसर निकले करोड़पति…मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक से अधिक संपत्ति उनके अधीनस्थ काम करने वाले अफसरों के पास

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*मनु श्रीवास्तव, विवेक श्रोत्रिय, मनीष सिंह, विवेक अग्रवाल सहित वरूण कपूर के पास है करोड़ों की संपत्ति

*पूर्व मुख्‍य सचिव इकबाल सिंह बैस के फार्म हाउस पर पड़ा था छापा, सौरभ शर्मा मामले में भी जुड़ा था नाम

भोपाल/स्वराज टुडे: मध्यप्रदेश के प्रशासनिक गलियारों में इन दिनों एक ही विषय चर्चा का केन्द्र बना हुआ है। हर अफसर के कमरे से लेकर, अधिकारियों, कर्मचारियों और चपरासियों की चौपाल में सिर्फ एक ही विषय पर बात हो रही है वह है प्रदेश के आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की अकूत संपत्तियों के बारे में। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के कड़े रवैये के बाद केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के आईएएस और आईपीएस अफसरों की संपत्तियों की ब्यौरा सार्वजनिक किया। यह पहला अवसर है जब लालफीताशाही की संपत्तियों का ब्यौरा इस तरह से सार्वजनिक किया गया है। इसमें अगर मध्यप्रदेश की बात करें तो आईएएस अफसरों की सूची में पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस के फार्म हाउस पर छापा पड़ा था, जहां अकूत संपत्ति का पता चला। सौरभ शर्मा मामले में भी जुड़ा का नाम था। भ्रष्‍टाचार के मामले में इकबाल सिंह बैस अछूते नहीं हैं। जहां विवेक अग्रवाल और मनीष सिंह ने सबसे अधिक संपत्ति जुटाने में बाजी मारी है तो प्रमुख सचिव खेल विभाग के मनु श्रीवास्तव भी पीछे नहीं रहे। उनके पास भी अकूत संपत्ति होने की जानकारी मंत्रालय की रिपोर्ट में सामने आती है। यही नहीं आईपीएस अफसरों की बात करें तो यहां तो गजब ही उलटफेर देखने को मिला। जितनी संपत्ति डीजी और डीजीपी के पास नहीं है उससे कई गुना अधिक संपत्ति तो आईजी, डीआईजी और एसपी रैंक के अफसरों के पास देखने को मिली। कुल मिलाकर लालफीताशाही ने प्रदेश और देश को खोखला कर किस तरह से अपनी संपत्तियों की पहाड़ खड़ा किया है यह आज पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
यह तो बस अफसरों की काली कमाई का चिट्ठा भर है, यदि इनक साथ मंत्री विधायकों की संपत्ति का ब्‍यौरा भी खंगाला जाये तो पैरों तले जमीन खिसक जायेगी। क्‍योंकि अफसर ही नेताओं को अवैध संपत्ति अर्जित करने और भ्रष्‍टाचार करने के नियम कायदे बताते हैं। हम समझ सकते हैं कि अफसरों के पास इतनी संपत्ति कहा से आती है। वे ही सही मायने में भ्रष्‍टाचार के सूत्रधार होते हैं।

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वर्तमान डीजीपी और मुख्‍य सचिव संपत्ति के मामले में अधीनस्‍थों से कमजोर

प्रदेश के डीजीपी कैलाश मकवाना ने अपने पत्र में भोपाल में लगभग 01 करोड़ 11 लाख की संपत्ति होने का दावा किया है। मुख्य सचिव अनुराग जैन की तीन राज्यों में प्रॉपर्टी है। मुख्य सचिव अनुराग जैन की प्रॉपर्टी मप्र के साथ उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी है। दिलचस्‍प बात ये है कि इन दोनों अधिकारियों की प्रापर्टी अपने अधीनस्‍थों से काफी कम है। जबकि ये अफसर तो काफी बड़े पदों पर आसीन है और रहे हैं।

डीजीपी से अधिक संपत्ति तो डीजी साहब के पास

चौंकाने वाली बात यह है कि मध्यप्रदेश पुलिस के मुखिया डीजीपी कैलाश मकवाना के पास जितनी संपत्ति नहीं है उससे अधिक संपत्ति तो उनके अधीनस्थ डीजी वरुण कपूर के पास निकली है। वरुण कपूर ने अपनी जानकारी में 10 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का ब्यौरा दिया है। उल्लेखनीय है कि कुल 319 आईपीएस अधिकारियों में से 198 ने अपनी संपत्ति की जानकारी गृह मंत्रालय को भेजी है। यह जानकारी 31 दिसंबर 2024 तक की स्थिति के अनुसार है।

लोकायुक्त डीजी रहे जयदीप प्रसाद के पास तो 05 करोड़ की सिर्फ कृषि भूमि

आईपीएस जयदीप प्रसाद के पास लगभग 05 करोड़ की खेती है। डीजी उपेंद्र कुमार जैन 08 करोड़ 39 लाख रुपए की प्रॉपर्टी के मालिक हैं। स्पेशल डीजी अजय कुमार शर्मा के पास दिल्ली और भोपाल में 06 करोड़ 15 लाख की संपत्ति है। इसमें फ्लैट, कृषि भूमि और प्लॉट शामिल हैं। इनसे ज्यादा संपत्ति चंबल रेंज में पदस्थ डीआईजी कुमार सौरभ के पास है। सौरभ 07 करोड़ 15 लाख रुपए की अचल संपत्ति के मालिक हैं। एडीजी लोकायुक्त से हटाए गए जयदीप प्रसाद के पास करीब 05 करोड़ की खेती, आवासीय जमीन और मकान हैं।

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ये हैं प्रदेश के करोड़पति आईएएस

अपर मुख्य सचिव मनु श्रीवास्तव प्रॉपर्टी के मामले में मध्यप्रदेश के सभी आईएएस अफसरों में सबसे ऊपर हैं। उनके नाम सबसे ज्यादा 19.50 करोड़ रुपए मूल्य की प्रॉपर्टी है। वहीं, कलेक्टरों में टीकमगढ़ कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय सबसे आगे हैं। उनके पास 6.20 करोड़ की प्रॉपर्टी है। प्रदेश के 231 आईएएस अफसरों के पास खेती की जमीन है, जबकि 100 आईएएस अफसर ऐसे हैं जिनके पास न खुद का मकान है और न ही प्लॉट हैं। इसके अलावा मुख्य सचिव अनुराग जैन की प्रॉपर्टी मप्र के साथ उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी है। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ विवेक अग्रवाल के नाम 65 एकड़ कृषि भूमि के साथ दो मकान, एक फ्लैट और व्यावसायिक संपत्ति है तो सीनियर मनीष सिंह 102 एकड़ जमीन के साथ सबसे ज्यादा भूमि वाले आईएएस हैं। विवेक और सीनियर मनीष ने संयुक्त हिंदू परिवार (एचयूएफ) के नाम से कर्ता के रूप में अपनी संपत्ति बताई है। सीनियर मनीष ने प्रॉपर्टी डिटेल में टॉकीज, होटल भी बताया है।

इस तरह से हो रही है अफसरों की कमाई

सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) संजय दुबे की प्रॉपर्टी भी 40 लाख रुपए सालाना आय देती है। वन विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल 25 लाख कमाते हैं। ऊर्जा विभाग के एसीएस नीरज मंडलोई साढ़े तीन लाख तक की कमाई हो रही है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव संदीप यादव को प्रॉपर्टी से 90 हजार का लाभ होता है। इसी तरह 1992 पंकज अग्रवाल, 1994 बैच की रश्मि अरुण शमी, मनीष रस्तोगी और 1995 बैच के सचिन सिन्हा के नाम पर कोई भी संपत्ति का जिक्र नहीं है। नगरीय विकास के एसीएस संजय कुमार शुक्ला के पास झारखंड के कोडरमा में 2178 वर्ग फीट कृषि भूमि, नोएडा में ईको सिटी में फ्लैट, सीहोर के डेहरिया खुर्द में 0.06 हेक्टे. कृषि भूमि और भोपाल के अहमदपुरकला में 0.075 हेक्टे. व प्रेमपुरा में 1001.05 वर्ग मीटर जमीन है। पीएमओ में अतिरिक्त सचिव हरिरंजन राव के पास इंदौर में फ्लैट (44.77 लाख), भोपाल सफायर पार्क में घर (64 लाख) है। पेट्रोलियम मंत्रालय में डीजी हाइड्रोकार्बन पल्लवी जैन गोविल के पास दिल्ली के ऋषभ नगर में मकान, भोपाल के तुलसी टॉवर में फ्लैट (1.63 करोड़) है।

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संपत्ति का ब्यौरा न देने वाले अफसरों पर कार्यवाही का नियम

डीओपीटी की कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय संबंधी स्थाई समिति की रिपोर्ट हाल ही संसद में पेश हुई। रिपोर्ट कहती है कि 2024 में देश के 91 आईएएस ने अचल संपत्ति का ब्यौरा पेश नहीं किया। समिति की सिफारिश है कि संपत्ति का ब्यौरा दाखिल न करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है।

सौरभ शर्मा मामले में भी कई आयएएस अफसरों के तार जुड़े

प्रदेश के परिवहन विभाग के भ्रष्‍टाचार में सौरभ शर्मा के साथ प्रदेश के कई आईएएस और आईपीएस अफसरों के नाम जुड़े हैं। सौरभ शर्मा की‍ काली कमाई का हिस्‍सा इनको भी पहुंचता था। सौरभ के रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसकी मर्जी के बगैर परिवहन विभाग में पत्ता तक नहीं हिलता था। सूत्रों का कहना है कि जिन अफसरों के नाम उसकी डायरियों में दर्ज हैं, उनमें से एक अफसर तो अभी ग्वालियर में पदस्थ हैं जबकि एक आईएएस अफसर अगले साल सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इन दोनों अफसरों का विभाग में वह बेहद करीबी था। इन्हीं अफसरों के कार्यकाल में उसने सर्वाधिक टोल नाके हासिल किए हैं।

*विजया पाठक की रिपोर्ट*

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दीपक साहू

संपादक

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