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कोलकाता/स्वराज टुडे: आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या मामले में कोर्ट ने अभियुक्त संजय राय को दोषी पाया है. अदालत सोमवार को इस मामले में सज़ा सुनाएगी.
पिछले साल अगस्त में हुई इस घटना ने पूरे पश्चिम बंगाल में एक जन आक्रोश को जन्म दिया था. 9 अगस्त, 2024 को 31 साल की एक महिला ट्रेनी डॉक्टर का अस्पताल के कॉन्फ़्रेंस रूम में शव मिला था. जांच में पता चला कि इस डॉक्टर का पहले बलात्कार किया गया और फिर उनकी हत्या कर दी गई थी.
इस घटना के बाद कोलकाता में प्रदर्शन शुरू हो गए थे और दो महीने से भी ज़्यादा समय तक राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं ठप रही थीं.
शनिवार को कोर्ट ने क्या कहा?
इस घटना के पांच महीने बीत चुके हैं और अब शनिवार को कोलकाता के सियालदह कोर्ट ने इस मामले में फ़ैसला सुनाया है.
फ़ैसला सुनाते हुए कोर्ट के स्पेशल जज अनिर्बान दास ने संजय राय की तरफ देखते हुए कहा कि उनके ख़िलाफ़ सीबीआई ने यौन शोषण और बलात्कार के जो सबूत पेश किए हैं उससे उनका अपराध साबित होता है. उन्हें भारतीय न्याय संहिता की धारा 64 और 103 (1) के तहत दोषी पाया गया है.
साक्ष्य मिटाने के आरोपी जमानत पर हो गए रिहा
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सज़ा सोमवार को सुनाई जाएगी, उस दौरान अभियुक्त संजय राय को कोर्ट में मौजूद रहना होगा. इस मामले में ‘साक्ष्य मिटाने’ के आरोप में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष और स्थानीय टाला थाना के प्रभारी अभिजीत मंडल के ख़िलाफ़ सीबीआई आरोप पत्र दाख़िल नहीं कर पायी है जिसकी वजह से उन्हें ज़मानत मिल गयी है.
लेकिन सीबीआई की जांच को लेकर मृतक डॉक्टर के माता-पिता ने असंतोष व्यक्त किया है और उन्होंने मामले की निगरानी कर रहे सुप्रीम कोर्ट और कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.
इस याचिका में उन्होंने अपील की है कि सियालदह की विशेष अदालत को इस मामले में सज़ा सुनाने से रोका जाए और पूरे मामले की एक बार फिर नए सिरे से जांच की जाए.
कोलकाता बलात्कार-हत्या केस की कुछ अहम तारीख़ों पर एक नज़र.
कब क्या हुआ
9 अगस्त, 2024
ट्रेनी महिला डॉक्टर का शव सुबह सेमिनार हॉल में बरामद. डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी. डॉक्टर खाना खाने के बाद सेमिनार हॉल में ही सो गई थीं. पुलिस के मुताबिक़, बलात्कार और हत्या की ये घटना रात तीन से सुबह छह बजे के बीच हुई थी. इसके बाद डॉक्टरों ने घटना के ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू कर दिया.
10 अगस्त, 2024
पुलिस ने टास्क फोर्स बनाई. जांच शुरू होने के छह घंटे के भीतर अभियुक्त संजय राय को गिरफ़्तार किया. सीसीटीवी के अलावा पुलिस को सेमिनार हॉल से एक टूटा हुआ ब्लूटूथ इयरफोन मिला था. ये अभियुक्त के फ़ोन से कनेक्ट हो गया था. इसी के ज़रिए पुलिस संजय को गिरफ़्तार करने में सफल रही थी.
12 अगस्त, 2024
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष का इस्तीफ़ा.
13 अगस्त, 2024
कोलकाता हाई कोर्ट ने मामले में जांच के सही से ना होने की बात कही और केस सीबीआई को सौंपा.
15 अगस्त, 2024
14 और 15 अगस्त की दरमियानी रात कोलकाता समेत कई जगहों पर महिला संगठनों और सिविल सोसाइटी से जुड़े लोगों ने ‘रीक्लेम द नाइट’ का नारा देकर महिलाओं को सड़क पर उतरने का आह्वान किया.
14- 15 अगस्त की रात आरजी कर अस्पताल में डॉक्टरों के धरना स्थल पर अज्ञात लोगों ने हमला किया.
16 अगस्त, 2024
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने सड़क पर उतरकर मार्च निकाला. इस मार्च की बीजेपी और कई लोगों ने आलोचना की.
सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया
20 अगस्त, 2024
कोलकाता बलात्कार-हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेने के बाद सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ़ के लिए सुरक्षा बंदोबस्त के अभाव पर चिंता व्यक्त की और एक राष्ट्रीय टास्कफोर्स का गठन किया.
21 अगस्त, 2024
आरजी कर मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा सीआईएसएफ ने संभाली.
22 अगस्त, 2024
डॉक्टरों ने 11 दिनों के जारी हड़ताल को वापस लिया.
27 अगस्त, 2024
डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले के ख़िलाफ़ छात्रों ने राज्य सचिवालय यानी ‘नबान्न भवन’ तक विरोध मार्च की अपील की. इस विरोध मार्च के दौरान प्रदर्शनकारी छात्रों और पुलिस कर्मियों के बीच झड़प हुई.
एक नए छात्र संगठन ‘पश्चिम बंग छात्र समाज’ ने इस विरोध मार्च को ‘नबान्न अभियान’ नाम दिया था. प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफ़े की मांग की.
28 अगस्त, 2024
विरोध प्रदर्शन में बल प्रयोग करने और छात्रों को गिरफ़्तार करने के ख़िलाफ़ बीजेपी ने 12 घंटे के बंगाल बंद का आह्वान किया. सत्तारूढ़ टीएमसी ने आरोप लगाया कि बीजेपी राज्य में ‘अराजकता पैदा करना चाहती है.’
पश्चिम बंगाल में बना नया क़ानून
2 सितंबर, 2024
सीबीआई ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को गिरफ़्तार कर लिया. गिरफ़्तार होने वालों में अस्पताल में सामान आपूर्ति करने वाले दो ठेकेदार बिप्लब सिंघा और सुमन हाज़रा के अलावा संदीप घोष के बॉडीगार्ड अफ़सर अली ख़ान भी शामिल थे.
इसके अलावा स्थानीय टाला थाना के प्रभारी अभिजीत मंडल को साक्ष्य मिटाने के प्रयास के आरोप में सीबीआई ने गिरफ़्तार किया.
3 सितंबर, 2024
घटना के एक महीने के भीतर पश्चिम बंगाल विधानसभा में सर्वसम्मति से अपराजिता महिला और बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक क़ानून संशोधन) विधेयक, 2024 पारित.
इस विधेयक में महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों को लेकर भारतीय न्याय संहिता, 2023, (बीएनएस) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) और बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए बने पॉक्सो क़ानून, 2012 में संशोधन किए गए हैं.
8 सितंबर, 2024
ममता सरकार को इस मामले में अपने नेताओं के विरोध का सामना भी करना पड़ा.
राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार ने आरजी कर अस्पताल में बलात्कार-हत्या मामले के बाद जन आंदोलन को देखते हुए ममता बनर्जी को एक पत्र लिखकर अपने इस्तीफ़े की पेशकश कर दी.
14 सितंबर, 2024
आंदोलन और प्रदर्शन के क़रीब एक महीने बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हड़ताल कर रहे डॉक्टरों से मुलाक़ात की. मुख्यमंत्री ने छात्रों की मांगों पर ग़ौर करने को कहा और इस पर कार्रवाई करने को लेकर समय मांगा.
17 सितंबर, 2024
कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को राज्य सरकार ने उनके पद से स्थानांतरित कर दिया.
7 अक्तूबर, 2024
मुख्य अभियुक्त संजय राय के ख़िलाफ़ सीबीआई ने 7 अक्तूबर को ही आरोप पत्र दाख़िल कर दिया.
13 दिसंबर, 2024
तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप घोष और मामले में अभियुक्त बनाए गए कोलकाता के टाला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अभिजीत मंडल को ज़मानत मिल गई.
डॉक्टरों की मांगें
सितंबर में जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से छात्रों की मुलाक़ात हुई तो सरकार से आंदोलनकारियों ने जो मांगे रखीं, उसके बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय ने जानकारी साझा की थी. उसके अनुसार-
● पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर फ्रंट (डब्ल्यूबीजेडीएफ़) की पहली मांग सीबीआई के अधिकार क्षेत्र में आती है. राज्य सरकार जांच पूरी करने और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए हर संभव मदद करेगी.
● कोलकाता पुलिस पर कार्रवाई की मांग के मद्देनज़र कमिश्नर ऑफ़ पुलिस और डिप्टी कमिश्नर नॉर्थ का ट्रांसफ़र किया जाएगा.
● स्वास्थ्य सेवाओं के मौजूदा डीएमई और डीएचएस को भी ट्रांसफ़र किया जाएगा.
● अस्पताल में सीसीटीवी, वॉशरूम वग़ैरह के लिए 100 करोड़ रुपये के फ़ंड को मंज़ूरी दी गई है.
● डब्ल्यूबीजेडीएफ़ के प्रतिनिधियों ने डीसी सेंट्रल पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई न करने और स्वास्थ्य सचिव का तबादला न होने पर असहमति जताई.
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