छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: गुरूघासीदास जयंती पर्व के अवसर पर क्षेत्रवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संत परम्परा में गुरू घासीदास का नाम अत्यधिक प्रतिष्ठित है। 18 दिसम्बर 1756 को रायपुर जिला के ग्राम गिरौद में इनका जन्म हुआ। बचपन से ही इनके हृदय में वैराग्य के भाव परिलक्षित होने लगा था।
युवा अवस्था में आते ही गिरौद के छाता पहाड़ पर एक वृक्ष के नीचे तपस्या कर इन्होने सतनाम को आत्मसात किया और भण्डारपुरी आकर सतनाम का उपदेश देना प्रारंभ किया। इनके उपदेशों से समाज के असहाय लोगों में आत्मविश्वास, व्यक्तित्व की पहचान और अन्याय से जूझने की शक्ति का संचार हुआ।
गुरु घासीदास आधुनिक युग के सशक्त क्रांतिदर्शी गुरु के रूप में जाने जाते हैं। इनके जीवन दर्शन में सत्य, अहिंसा, करुणा तथा जीवन का ध्येय उदात्त रूप से प्रकट होता है। गुरूघासीदास का जीवन दर्शन युगों तक मानवता का संदेश देता रहेगा।
छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में सामाजिक चेतना एवं सामाजिक न्याय के क्षेत्र में गुरूघासीदास सम्मान स्थापित किया है। इस सम्मान के तहत वर्ष 2001 से प्रतिवर्ष इस क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले व्यक्ति को यह सम्मान दिया जाता है।

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