हरियाणा में 164 तरह के छोटे अपराध अब कोर्ट नहीं जाएंगे, मुकदमा थाने में ही खत्म, लगेगा केवल जुर्माना

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चंडीगढ़/स्वराज टुडे: हरियाणा के राज्यपाल असीम कुमार घोष ने महत्वपूर्ण अध्यादेश को मंजूरी दे दी है, जो राज्य के न्यायिक और प्रशासनिक परिदृश्य को बदलने वाला है। इस अध्यादेश के तहत 17 विभागों से संबंधित 42 राज्य अधिनियमों में बदलाव किया गया है, जिससे 164 प्रावधानों को ‘अपराधमुक्त’ कर दिया गया है।

इसका सीधा मतलब है कि अब इन छोटे-मोटे मामलों में आपराधिक मुकदमा चलाने या कोर्ट के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि प्रशासनिक जुर्माना (Fine) या दंड देकर मामले को निपटाया जाएगा।

नागरिकों के जीवन और व्यवसाय को आसान बनाने की कोशिश

यह अध्यादेश केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम 2023 की तर्ज पर लाया गया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य नागरिकों के लिए जीवन और व्यवसाय को आसान बनाना, अदालतों का बोझ कम करना और पहली बार गलती करने वालों को कठोर दंड से बचाना है।

सरल भाषा में समझें

1. कोर्ट के चक्कर खत्म: 17 विभागों से जुड़े छोटे-मोटे अपराधों के लिए अब आरोपी को सीधे कोर्ट नहीं जाना पड़ेगा।

2. पहला अपराध: पहली बार गलती करने वाले व्यक्ति को जेल या भारी दंड के बजाय केवल चेतावनी या सलाह देकर छोड़ा जाएगा।

3. गलती दोहराने पर: गलती दोहराने पर आपराधिक मुकदमा नहीं, बल्कि चालान या प्रशासनिक जुर्माना लगेगा।

4. लक्ष्य: इस कानून से न केवल जनता को सुविधा होगी, बल्कि अदालतों का बोझ भी कम होगा। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजीव जेटली ने इसे लोगों के अनुकूल और ऐतिहासिक सुधार बताया है।

इन अपराधों पर नहीं चलेगा मुकदमा

नए अध्यादेश में जुर्माने की राशि और प्रकृति के आधार पर अपराधमुक्त किए गए प्रावधानों को तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है।

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1. मामूली उल्लंघन (₹500 तक जुर्माना)

इस श्रेणी में वे आम उल्लंघन शामिल हैं जो सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित करते हैं लेकिन गंभीर आपराधिक इरादा नहीं रखते।

• सार्वजनिक स्थानों पर अव्यवस्था: सार्वजनिक जगह पर धोबी द्वारा कपड़े धोना या पशुओं को बांधना/दूध निकालना।

• नगरपालिका उल्लंघन: पानी की पाइपलाइन तोड़ना या जल प्रदूषित करना, नगरपालिका की नालियों को क्षति पहुंचाना।

• अतिक्रमण: सड़क की नियमित रेखा पर भवन निर्माण कराना या अतिक्रमण हटाने के अनुरोध का पालन न करना।

• अन्य: कुत्तों को खुला छोड़ना, मेयर या निगम प्राधिकरण के कार्य में बाधा डालना, बिना परमिशन के नपा बाजारों में बिक्री करना।

उदाहरण के लिए सार्वजनिक स्थान पर पशु बांधने पर अब सिर्फ ₹500 का जुर्माना लगेगा, आपराधिक केस दर्ज नहीं होगा।

2. मध्यम उल्लंघन (₹500 से ₹5000 तक जुर्माना)

ये उल्लंघन प्रशासनिक आदेशों की अवहेलना या सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित हैं।

• आदेशों का पालन न करना: नगर निकाय के आदेशों का पालन न करने पर ₹500 से लेकर ₹5 हजार तक जुर्माना हो सकता है।

• सफाई कर्मचारी: सफाई कर्मचारी बिना सूचना के गैरमौजूद रहता है तो विभागीय कार्रवाई के बजाय ₹1000 का जुर्माना लगेगा।

• ज्वलनशील पदार्थ: ज्वलनशील पदार्थ जमा करने पर ₹5000 तक का जुर्माना लगेगा।

• पशु स्वास्थ्य: शहरों में पशुओं को इस प्रकार रखना कि वे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हों, तो पहले ₹500 और यही स्थिति रहने पर ₹1000 का जुर्माना होगा।

3. गंभीर/बार-बार उल्लंघन (₹50,000 से ₹1 लाख तक जुर्माना)

बार-बार उल्लंघन या गंभीर प्रशासनिक सहयोग न करने पर जुर्माना राशि काफी बढ़ जाएगी, हालांकि मुकदमा नहीं होगा।

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• नहर पार करना: नहर को वाहन या व्यक्ति द्वारा पार करने पर ₹1000 जुर्माना और छह माह कारावास होगा। बार-बार उल्लंघन पर ₹1 लाख तक जुर्माना हो सकता है।

• जांच में बाधा: साठगांठ कर किसी को भगाने का प्रयास करना या अपराधियों की तलाशी में सहयोग न करने पर ₹50 हजार जुर्माना।

• व्यावसायिक उल्लंघन: सूर्यास्त के बाद व सूर्योदय से पहले लकड़ी की बिक्री करने पर ₹50 हजार का जुर्माना। बार-बार उल्लंघन पर यह राशि दोगुनी हो जाएगी।

खेती-किसानी और सुनवाई का प्रावधान

यह अध्यादेश कृषि और ग्रामीण प्रशासन से जुड़े प्रावधानों को भी प्रभावित करता है।

• खेती-किसानी में जुर्माना: जानबूझकर सर्वे चिह्न को क्षति पहुंचाने पर चकबंदी अधिकारी द्वारा ₹10 हजार जुर्माना। खेत मालिक द्वारा काश्तकार को पानी रोकने पर ₹20 हजार जुर्माना।

• गन्ना खरीद: गन्ना खरीद प्रक्रिया में गड़बड़ी करने पर ₹25 से ₹50 हजार जुर्माना और बार-बार उल्लंघन पर ₹1 लाख तक जुर्माना या लाइसेंस निलंबन।

सुनवाई का अधिकार : अध्यादेश में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी सक्षम अथॉरिटी की ओर से सुनवाई (Hearing) के बिना संबंधित अधिनियम के किसी भी प्रावधान के उल्लंघन में कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।

पंचायती राज पर भी नया अध्यादेश

राज्यपाल ने हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) अध्यादेश, 2025 को भी मंजूरी दी है। यह अध्यादेश ग्राम सभा की बैठकों के लिए कोरम (Quorum) आवश्यकताओं में संशोधन करता है।

• कोरम आवश्यकताएं: सरकारी योजनाओं के पात्र लाभार्थियों पर विचार व ग्राम पंचायत विकास योजना तैयार करने के लिए अब 40 प्रतिशत सदस्यों की उपस्थिति आवश्यक होगी।

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• स्थगित बैठकें: स्थगित बैठकों के मामले में पहली स्थगन अवधि में 30 प्रतिशत और दूसरी स्थगन अवधि में 20 प्रतिशत सदस्यों की उपस्थिति आवश्यक होगी।

चूंकि विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा है, इसलिए अध्यादेश जारी किया गया है। इसे कानून में परिवर्तित करने के लिए आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। यह कदम हरियाणा में शासन और न्याय प्रशासन को अधिक प्रभावी और नागरिक-केंद्रित बनाने की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर है।

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दीपक साहू

संपादक

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