बॉलीवुड के तीन लेजेंडरी सिंगर्स को मिली एक जैसी मौत! जिंदगी के अंतिम समय मिली भयानक मौत

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मुम्बई/स्वराज टुडे: फिल्म ‘आनंद’ में राजेश खन्ना का एक फेमस डायलॉग था- ‘जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ में है’। ये सिर्फ एक डायलॉग ही नहीं है बल्कि जिंदगी की सबसे बड़ी सच्चाई है।

ये सही है कि हम सब इस रंगमंच पर कठपुतलियों की तरह हैं, जिनकी डोर किसी ऊपरवाले के हाथ में बंधी है। बॉलीवुड के तीन महान गायकों के साथ भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। मुकेश कुमार, मोहम्मद रफी और किशोर कुमार, ये तीन लेजेंडरी सिंगर्स रहे। तीनों की अपनी-अपनी खूबियां थीं, लेकिन तीनों की ही मौत के बीच एक अजीब संयोग देखा गया। तीनों की मौत बिल्कुल एक जैसी ही हुई।

मुकेश का निधन अमेरिका में हुआ

मुकेश का निधन 27 अगस्त 1976 को अमेरिका में हुआ। वो उस समय अपने करियर के पीक पर थे और लता मंगेशकर के साथ अमेरिका में लाइव परफॉर्मेंस दे रहे थे। 27 अगस्त की शाम जब मुकेश अपने कॉन्सर्ट के लिए रिहर्सल कर रहे थे, तभी उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई। बेटे नितिन मुकेश ने जब उन्हें दर्द में देखा, तो उन्होंने तुरंत मदद के लिए दौड़ लगाई। ये एक ऐसा पल था जब किसी ने नहीं सोचा था कि मुकेश की तरफ मृत्यु चुपचाप अपने पांव आगे बढ़ा रही है। मुकेश को हार्ट अटैक आया था।

जब मुकेश को अस्पताल ले जाया गया, तब उन्होंने आईसीयू में अपने बेटे की तरफ हाथ उठाते हुए अलविदा कहा। उसी दिन शाम को चार बजे मुकेश इस दुनिया से चले गए। उनका कॉन्सर्ट अधूरा रह गया, जिसे नितिन ने लता मंगेशकर के साथ पूरा किया। नितिन की आंखों से आंसू बह रहे थे, लेकिन उन्होंने पिता की इज्जत रखने के लिए इतने गहरे सदमे में भी परफॉर्म किया। बाद में मुकेश का अंतिम संस्कार भारत में 30 अगस्त को भव्य तरीके से किया गया।

मोहम्मद रफी का निधन भी कुछ इसी तरह हुआ

एक महान गायक और मुकेश के करीबी दोस्त मोहम्मद रफी भी मुकेश के निधन की खबर सुनकर बुरी तरह टूट गए थे। उन्होंने अपने दोस्त के अंतिम संस्कार में पहुंचकर उन्हें अंतिम विदाई दी। रफी उस समय बीमार थे, लेकिन दोस्त को आखिरी बार देखने के लिए रफी साहब बहुत बेचैन थे।

हालांकि मोहम्मद रफी की जिंदगी में भी ऐसा ही एक संयोग देखा गया। 31 जुलाई 1980 को रफी साहब की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उन्होंने महसूस किया कि कुछ सही नहीं है, लेकिन फिर भी वो अपने एक गाने का रिहर्सल जारी रखने का फैसला करते हैं। आखिरकार जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया, तब उनकी स्थिति बहुत गंभीर हो गई थी। तीन हार्ट अटैक के बाद रफी ने इस दुनिया को अलविदा कहा। उनकी अंतिम विदाई में 10,000 लोग शामिल हुए, जो उनके लिए रो रहे थे।

किशोर कुमार को भी आया हार्ट अटैक

किशोर कुमार की कहानी भी इसी तरह की है। 13 अक्टूबर 1987 को, जब वो अपने भाई अशोक कुमार का जन्मदिन मनाने की तैयारी कर रहे थे, तब अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। उनकी पत्नी लीना चंदावरकर के मुताबिक, किशोर ने कहा, ‘आज मेरी छुट्टी है।’ ये उनके आखिरी शब्द थे। थोड़ी देर बाद, उन्होंने कमजोरी महसूस की और कहा कि उन्हें दिल का दौरा पड़ेगा। उनकी ये भविष्यवाणी सच साबित हुई। कुछ ही देर बाद किशोर कुमार के साथ भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला।

तीनों महान दोस्तों के साथ संयोग सिर्फ यही तक सीमित नहीं रहा। मुकेश कुमार का जब निधन हुआ तब वो 53 साल थे, वहीं रफी साहब ने भी 55 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। किशोर कुमार भी 58 साल की उम्र में दुनिया से चल बसे।

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दीपक साहू

संपादक

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