
यूपी बिहार की सीमा पर स्थित भरौली चौराहा पर एडीजी वाराणसी पीयूष मोर्डिया ने छापा मारते हुए तीन पुलिसकर्मियों सहित 20 लोगों को हिरासत में लिया है।
बलिया/स्वराज टुडे: चर्चित वसूली केन्द्र यूपी बिहार की सीमा पर स्थित भरौली चौराहा पर एडीजी वाराणसी पीयूष मोर्डिया ने छापा मारा है। इस दौरान तीन पुलिसकर्मी समेत 20 लोगों को हिरासत में लिया गया है। बता दें कि इस जगह से शराब, पशु तस्करी, लाल बालू तस्करी सहित कई अवैध काम किया जाता है। एडीजी के छापे के दौरान मौक से 50 से अधिक मोबाइल, कई बाईक पुलिस ने कब्जे में लिया है। एडीजी के छापे के दौरान नरही थाना मे एडीजी, आईजी, एसपी, एएसपी मौजूद हैं। छापे के बाद तुरंत कर्रावाई करते हुए थानाध्यक्ष का कमरा सील कर दिया गया है। साथ ही सभी पुलिसकर्मियों के बॉक्स खंगाले गए हैं।
सादी वर्दी में पहुंचे अधिकारी
लगातार मिल रही शराब,पशु तस्करी, बालू तस्करी की शिकायत पर एडीजी पियूष मोर्डिया और डीआईजी रेंज आजमगढ़ वैभव कृष्ण ने कार्रवाई करते हुए चौराहे पर छापा मारा। इस दौरान दोनों अधिकारी सादे कपड़ों में रेड करने पहुंचे। जानकारी के अनुसार तीन पुलिसकर्मियों सहित 20 लोगों को हिरासत में लिया गया है। माना जा रहा है कि यह सभी अवैध कारनामों, रेड के दौरान वसूली सहित तमाम गैरकानूनी कार्यों में लिप्त थे। कई बार शिकायत मिलने के बाद आज पुलिस के आलाधिकारियों ने कार्रवाई की है।
यूपी-बिहार सीमा पर है चौराहा
भरौली चौराहा उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर स्थित है। यहां से तमाम अवैध तस्करी की खबरें सामने आती रहती हैं। तस्करी और अवैध कार्यों में पुलिस की भागीदारी भी कई बार सामने आ चुकी है। माना जाता है कि बिना पुलिस की मिलीभगत के अवैध कार्यों को अंजाम नहीं दिया जा सकता। बिहार में शराब बंदी के बाद तस्करी में इजाफा हुआ है। शराब तस्करों पर लगाम कसने के लिए कई बार कार्रवाई भी की जा चुकी है। हालांकि आज एडीजी वाराणसी ने खुद कमान संभालते हुए छापा मारा है। मामले में अब तक तीन पुलिस कर्मियों सहित 20 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
महीने में डेढ़ करोड़ रुपए की कमाई
जानकारी के मुताबिक, हर रोज यहां से 1000 ट्रक गुजरते थे. हर ट्रक से 500 रुपए की वसूली होती थी. ऐसे में पांच लाख रुपए रोजाना की वसूली हो रही थी. महीने में 1.5 करोड़ की कमाई होती थी. आखिर इतनी बड़ी रकम कहां जा रही थी, ये सबसे बड़ा सवाल है. एसपी बलिया क्या कर रहे थे, क्या उनको इसकी खबर नहीं थी. जिस वजह से आजमगढ़ और वाराणसी से अधिकारियों को आना पड़ा. एसपी बलिया की कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो रहा है. कब से ये वसूली चल रही थी, कौन कौन एसपी रहे, ड़ेढ़ करोड़ रुपए महीने का इंस्पेक्टर अकेले डकार जाता था या उस रकम का हिस्सा लगता था. ये सवाल हैं, जिनके जवाब मिलने बाकी हैं.
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