तीजा नाम सुनते ही आंखों में नमी आ जाती है मन अंदर से भीग जाता है मां की स्नेहिल और अपनत्व भरी आंखें आज भी याद आती है
मन में उमंग है त्योहार मनाने की,
मायके जाकर मां पिताजी से मिलने की ,
सोचती हूं वक्त कितनी तेजी से निकल जाता है।
पहली पहली तीज का त्योहार याद आ जाता है वो पररा का भरना,
सुहागिनों का आना, सुहाग सामग्री का दान,अखंड सौभाग्य का आशीष मिलना, आंखों ही आंखों में रातों का कटना
ढोल की थाप,गीत ,संगीत मंजीरे की झनक ,पूजा करके कथा का सुनना ,लोगों का सजना, अपने सोलह सिंगार करके निकलना, किसके पिया जी ने क्या उपहार दिया ,किसने कैसी साड़ी ली, किस रंग की ली, गहने कैसे हैं, गहनों का डिजाइन कैसा है, अपनी साड़ी चूड़ी बिंदी के साथ तैयार होना ,एक दूसरे से मिलना ,हंसी ठिठोली, खिलखिलाना, शिव पार्वती जी की आराधना करके, उनसे अपने अखंड सुहाग की कामना करना, ठेठरी खुरर्मी पकवानों का बनाना ,और खाना ,
दूसरे दिन सुबह से ही घर में पूजा करना नई-नई तैयार साड़ी पहनकर फलाहार करना ,सारे परिवार वालों के यहां जाना वहां जाकर उनके बनाए पकवानों को चखना, भोजन करना ,और उपहार में मिले बिंदी सिंदूर साड़ी कपड़े को सहेज कर रखना, मानो बहुत बड़ा खजाना मिल गया हो, दिनभर घूमना ,दोपहर होते तक अलसा जाना जहां घर में जगह मिली बातें करते करते सो जाना ,
ना जल्दी उठने की चिंता, ना ससुराल की कोई टेंशन, भाई बहनों के साथ बातें करते-करते दिन कैसे बीत जाता पता ही ना चलता, शाम को मां की चाय के साथ नींद खुलती फिर दिन भर सबके घर में क्या बातें हुई ,यह सब चलता किसने क्या लिया ,क्या पहना,कैसा रंग था, कौन सी सहेली कैसी है,दिन समय कैसे व्यतीत हो जाता पता ही नहीं चलता। मायके के सुनहरे दिन मे खोये रहते
फिर आस रहती इनके (पतिदेव) आने की,
पति का आगमन अंदर ही अंदर अनोखीअनुभूति,मीठा अहसास, ऐसा लगता मन उल्लास से भरा हुआ है दामाद का आना ,फिर इनके साथ वापस ससुराल जाने की तैयारी , दामाद के आते ही घर का कोना कोना चमक उठता था, इनके मान सम्मान से गर्व से चेहरा चमक उठता था,कोई कमी ना रह जाये दामाद बाबू के सत्कार मे,
यथासंभव मां पिताजी भाई की कोशिश रहती दामाद से मीठी मनुहार में ,कुछ दिन और छोड़ देते ऐसा आग्रह जरूर होता, पर जानते हैं लिवाने आ गए हैं तो लेकर जाएंगे ही, बीच में फिर घुमाने ले आएंगे कह कर जाएंगे ही ,मां को जोरन,भारण आखिरी तक,गाडी मे बैठने तक चलता,
घरवालों से विदा लेने में मां का चेहरा और पिताजी की आंखें पनीली हो जाती हैं हम कितना भी चाहे चेहरा छुपाए ,आंखें नम और गीली हो जाती है
पर सच में मेहंदी का रंग और गहरा जाता है, तीज त्यौहार का अर्थ हम सब को समझा जाता है
आप सभी को हमारे छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े पर्व तीज की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं अखंड सौभाग्य की शुभकामनाओं के साथ आप सभी को भी ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएँ।।
सुधारानी शर्मा
मुंगेली, छत्तीसगढ़
Editor in Chief