बरगवां में शहीद वीर नारायण सिंह की पुण्यतिथि पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं विचार गोष्ठी सभा का आयोजन

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छत्तीसगढ़
जांजगीर चाम्पा/स्वराज टुडे: आज दिनांक 10/12/2025 को छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी एक सच्चे देशभक्त एवं सर्व समाज के मसीहा अमर शहीद वीर नारायण सिंह जी की 168वीं बलिदान दिवस पर भव्य कार्यक्रम एवं विचार गोष्ठी सभा इस कार्यक्रम में अमर शहीद वीर नारायण सिंह जी के साहसिक जीवन से प्रेरणा लेते हुए एक जुट होकर आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के बारे में एवं सामाजिक शैक्षणिक आर्थिक सांस्कृतिक सहित नशा उन्मूलन पर जोर दिया गया मुक्ति कार्यक्रम शहीद वीर नारायण सिंह विकास समिति एवं निर्माण समिति विकासखंड अकलतरा जिला जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़ के तत्वाधान पे बरगवां में किया गया।

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उपरोक्त कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आदिवासी शक्तिपीठ के संरक्षक श्री रघुवीर सिंह मार्को, एवं अति विशिष्ट अतिथि आदिवासी शक्तिपीठ के संरक्षक श्री मोहन सिंह प्रधान रहे साथ में विशिष्ट तिथि के रूप में शक्तिपीठ के उपाध्यक्ष निर्मल सिंह राज शक्तिपीठ के ही उपाध्यक्ष श्री सुभाष चंद्र भगत श्री रमेश सिरका संगठन प्रमुख एवं शक्तिपीठ के महासचिव श्री एमपी सिंह तंवर श्री बी एस पैंकरा मुख्य रूप से उपस्थित रहे। तथा विशिष्ट अतिथियों में श्री महादेव नेताम, जिला पंचायत सदस्य जिला जांजगीर चांपा
श्री महेंद्र सिंह ध्रुव, जनपद सदस्य बरगवां खटोला,
श्रीमती रामेश्वरी कंवर जनपद सदस्य कटघरी,
श्री तरुण नेम अधीक्षण अभियंता मड़वा प्लांट,
श्रीमती कुंजन बाई / भूषण सिंह
सरपंच ग्राम पंचायत बरगवां उपस्थित रहे।

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सामाजिक अतिथि के रूप में समाज प्रमुख
श्री विनोद सिंह कंवर (महमदपुर ), श्री राम चरण सिंह कंवर (कोटगढ़ से), श्री शुक्रवार सिंह कंवर (खटोला से),  श्री महेश सिंह नेताम,  श्री गोवर्धन सिंह कंवर
(बरगवां से) अध्यक्ष केंद्रीय समाज,  श्री शत्रुघ्न सिंह श्याम श्री मनहरण सिंह कंवर,  अध्यक्ष कंवर समाज कटघरी से श्री परदेसी राम आयाम झिरिया से, श्री गुनाराम कंवर जी ग्राम बाना से एवं शहीद वीर नारायण सिंह विकास समिति के संरक्षक डॉक्टर सीपी सिंह जी
अध्यक्ष लकेश्वर सिंह कंवर जी , उपाध्यक्ष मनहरण सिंह मरकाम, श्री केदार सिंह ध्रुव जी और कार्यक्रम के अद्भुत संयोजन के लिए श्रीम एम एल मरावी जी कटघरी मुख्य रूप से शामिल रहे।

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कार्यक्रम के पहले अतिथियों के द्वारा शहीद वीर नारायण सिंह जी के मूर्ति पर माल्यार्पण एवं पूजा अर्चना कर मुख्य कार्यक्रम स्थल तक शहीद वीर नारायण सिंह जीअमर रहे के नारों के साथ मुख्य कार्यक्रम स्थल तक अतिथियों को स्वागत करते हुए ले जाया गया जहां पर कार्यक्रम के शुरुआत में सभी वीर आदिवासी योद्धाओं एवं पूर्वजों के तेल चित्रों पर माल्यार्पण कर छत्तीसगढ़ी राज्य गीत के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गई ।

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तत्पश्चात स्वागत गीत एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री लकेश्वर सिंह कंवर जी के द्वारा स्वागत उद्बोधन दिया गया इसी बीच शहीद वीर नारायण सिंह जी के जीवनी पर एवं उनके शहादत पर हाई स्कूल के बच्चों के द्वारा भव्य नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई जिसे वहां पर उपस्थित जन समूह ने बहुत ही मन से सराहा बीच-बीच में सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं शहादत पर बनी गीतों ने कार्यक्रम की खूबसूरती को और बढ़ा दी मुख्य अतिथि के आसंदी से बोलते हुए आदिवासी शक्तिपीठ के संरक्षक श्री रघुवीर सिंह मार्को ने अपने उद्बोधन में उपस्थित बच्चों से साक्षात्कार करते हुए शहीद वीर नारायण सिंह के शहादत एवं आदिवासी योद्धाओं के संबंध में जानकारी देते हुए उन्हें सीधे तौर पर शिक्षा के महत्व पर एवं कई ऐतिहासिक जानकारी को साझा किया। वहीं पर अति विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित श्री मोहन सिंह प्रधान जी ने भी अपनी बात को रखते हुए उपस्थित जनमानस को संबोधित करते हुए कहां की 1857 की सिपाही विद्रोह को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में पहला स्थान दिया गया है ।

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मौलिक बात यह है कि 1764 के बक्सर की लड़ाई हारने के बाद गैर आदिवासियों ने अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार कर ली जबकि आदिवासियों ने अंग्रेजों की गुलामी को स्वीकार नही किया , उन्होंने कहा 1857 से पहले हुए 1855 का संथाल हूल तो सिपाही विद्रोह से भी बड़ा था जिसमें 60000 संथाल आदिवासी शामिल हुए और उस लड़ाई में 15 से 20000 संथाल आदिवासी शहीद हो गए और सिद्धू कानू को फांसी में चढ़ाया गया जिसे आजादी की पहली लड़ाई नहीं कहा गया ऐसा इसलिए किया गया की आदिवासी इस देश के रोल मॉडल बन जाते जो कुछ लोगों को स्वीकार किसी भी कीमत पर नहीं होता तभी तात्कालिक उदाहरण भारत सरकार बेटी पढ़ाओ एवं बेटी बचाओ की राष्ट्रीय महा अभियान देश में लागू की है आदिवासी समाज में बेटियों को बोझ समझने की प्नथा नहीं है, और आदिवासी समाज में लोग बेटा और बेटी में भेदभाव नही करते और इसी से प्रेरित होकर इस महा अभियान को चलाया गया लेकिन कहीं भी इस अभियान के प्रेरणादाई समाज का नाम नहीं लिया जाता जिस समाज में दहेज लेना और दहेज देना का प्रचलन ही नहीं है।

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आदिवासी समाज ने देश को सिर्फ दिया है यह समाज प्रकृति पूजक है और प्रकृति कभी भी किसी के साथ भेदभाव नहीं करती यही कारण है कि आदिवासी समाज प्रकृति से जुड़कर उसके संरक्षण और संवर्धन का सबसे बड़ा कारक भी है लेकिन दुर्भाग्य कि आज भी जिस वृक्षों को हम पूजते हैं जिन जल जंगल जमीन को हम पूजते हैं विकास के नाम पर जो हो रहा है वह अकल्पनीय है। शुद्ध जल शुद्ध हवा शुद्ध वातावरण हर इंसान की प्राथमिकता में है जल जंगल जमीन को बचाने के लिए हर नागरिक को अपनी भूमिका तय करनी पड़ेगी।

श्री प्रधान ने कहा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में सर्वाधिक बलिदानीन वीर योद्धा आदिवासी ही थे छत्तीसगढ़ की धरती ने हमें महा बलिदानी शहीदों के बारे में शूरवीर शहीदों के बारे में जानने और सुनने को मिलता है जिन्होंने अपनी मातृभूमि देश समाज आम जनता के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया जिसमें पहला नाम सोना खान के जमींदार वीर नारायण सिंह जी का दूसरा नाम पलकोट बस्तर के जमीदार वीर गेंदसिंह नायक जी का तीसरा नाम युगांधर गुंडा धुर जी को इतिहास के पन्नों में कमतर आंका गया है।

उन्होंने संबोधित करते हुए कहा जहां सवाल बंद होते हैं वहीं से गुलामी जन्म लेती है। पहली पीढ़ी की पाखंड,
दूसरी पीढ़ी के लिए संस्कृति बन जाती है इसलिए अपने पुरखों को अपनी सांस्कृतिक पहचान को जाने और समझने की जरूरत है

शक्तिपीठ के उपाध्यक्ष श्री निर्मल सिंह राज जी ने अपने उद्बोधन में कहा हमें प्रकृति पूजक कहा जाता है, हम लोग जंगल के पेड़ की भांति हैं जो सिर्फ देता है कोई पत्थर मारे तो फल देता है कोई शाखा कटे तो ईंधन देता है हमारी संस्कृति प्राकृत है जो सिर्फ देना जानती है सबको पता है अगर प्रकृति नाराज हो जाए तो मानव जीवन खतरे में आ जाती है इसलिए प्रकृति को बचाने का सबों को संकल्प लेना चाहिए उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा हम 21वीं सदी के भारत में और वर्तमान में नई ऊर्जा एवं नई सोच के साथ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं इसलिए समाज जो बेहतर कर रहे उससे और बेहतर करने के लिए इस समाज को नशा से दूर होकर अपनी नई आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर समाज देने एवं बनाने में एवं अपने पूर्वजों के संबंध में एवं देश के प्रति इस आदिवासी समाज के योगदान को सदैव अमर करने में अगवा दस्त के रूप में कार्य करते रहें।

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अंत में सभी अतिथियों ने आयोजक मंडल को बेहतरीन गौरवशाली दिवस को बेहतर संयोजन के लिए एवं उपस्थित जैन समुदायों को जिन्होंने बड़ी तन्मयता से कार्यक्रमों में हुए उद्बोधन को सुना इसके लिए अतिथियों ने धन्यवाद ज्ञापित किया अंत में आए हुए अतिथियों का सम्मान करते हुए श्री लखेश्वर सिंह कंवर जी ने धन्यवाद ज्ञापित किया एवं कार्यक्रम के संयोजक एवं मार्गदर्शक संरक्षक डॉक्टर सीपी सिंह जी एवं श्री मरावी जी केदार सिंह ध्रुव जी एवं श्री मनहरण सिंह मरकाम जी ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देने वाले सामाजिक बन्धुओं को एवं बेहतर शहादत दिवस के ऊपर जो नृत्य नाटिका की गई एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत की गई उन सभी बच्चों को पुरस्कार वितरण के साथ लोगों ने इस अमर शहीद वीर नारायण सिंह जी के शहादत दिवस को गौरवशाली बना दिया एवं संरक्षक मंडल के द्वारा कार्यक्रम आयोजकों के द्वारा सारे आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित कर कार्यक्रम की समापन की घोषणा की गई।

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दीपक साहू

संपादक

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