बेटी हर्षिता की शादी में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल ने उड़ाये 18 करोड़ से अधिक, आखिर कहाँ से आया इतना पैसा ?

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*जनता के सामने 10 साल तक फंड की कमी का राग अलापने वाले केजरीवाल के पास कहां से आया यह धन?*

*अन्ना हजारे का दामन थामकर आगे बढ़े केजरीवाल ने हजारे सहित अपने कई राजनैतिक साथियों को दिया धोखा*

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने देश में लोकपाल की नियुक्तियों को लेकर वर्ष 2011 में एक आंदोलन छेड़ा। यह आंदोलन इतना प्रभावी रहा है कि अन्ना हजारे का दामन थामने को कई राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता और अफसरों ने अपना हाथ आगे बढ़ाया। उन्हीं में से एक थे अरविंद केजरीवाल। वित्त सेवा के अधिकारी पद से सेवानिवृत्ति लेकर केजरीवाल ने एक सोशल कॉज के लिए हजारे का दामन तो थाम लिया लेकिन उन्होंने कुछ ही दिन में इस बात को भांप लिया था कि इस तरह से आंदोलन कार्यकर्ता के रूप में उनके जीवन का उद्धार नहीं हो पायेगा। यही कारण है कि केजरीवाल ने हजारे के आंदोलन से कई लोगों तो तोड़कर अपने साथ लिया और वर्ष 2012 में आम आदमी पार्टी बनाई।

जनता को मूर्ख बनाकर हासिल की सत्ता

जनता के सामने सामाजिक कार्यों, उनकी परेशानियों को दूर करने और समाज में भेदभाव रहित समाज बनाने का सपना लेकर आगे बढ़े केजरीवाल को जनता का काफी समर्थन मिला और वर्ष 2014 में उन्होंने दिल्ली में सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की।

खैर, आज हम आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हाफ शर्ट, फुल पेंट और पैरों में चप्पल पहनकर सिर पर नेहरु टोपी रखकर हाथ में झाड़ू लिये जनता की सेवा करने के लिए निकलने वाले अरविंद केजरीवाल अचानक से अरबपति कैसे हो गये। आखिर समाज सेवा का राग अलापने वाले केजरीवाल के अंदर से अचानक समाज सेवा का वह भाव कहां गायब हो गया जिसको लेकर वे जनता के घर-घर पहुंचे। महज 10 वर्षों के दिल्ली सरकार में रहते हुए केजरीवाल ने आलीशान शीश महल, लग्जरी गाड़ियां, अरबों की संपत्तियां और फिर हाल ही में करोड़ों रुपये खर्च कर बेटी हर्षिता की शादी आखिर यह सब करने के लिए इस समाजसेवी केजरीवाल के पास पैसा कहां से आया।

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सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे

कुल मिलाकर यह देखने, सुनने और समझने के बाद निष्कर्ष मिलता है कि केजरीवाल और अन्य नेताओं में कोई फर्क नहीं है, सभी नेता शुरुआत में तो समाज सेवा का राग अलापते हुए आपसे वोट की मांग करते हैं लेकिन सत्ता में आते ही राजयोग के मद का सुख उन्हें अपने आगोश में ऐसा समेटता है कि उन्हें हर तरफ सिर्फ पैसा ही पैसा दिखाई देता है। निःस्वार्थ भाव से जनता की सेवा के लिए बनाई गई आम आदमी पार्टी आज केवल मैं तक सीमित हो गई है।

18 करोड़ से अधिक शादी पर किये खर्च

सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के कनाट पैलेस स्थित एक शानदार लग्जरी होटल से अपनी बेटी हर्षिता की शादी की। शादी में दिल्ली के कई प्रमुख हस्तियों सहित आईएएस, आईपीएस अफसर, नेता, मंत्री और फिल्म जगत से जुड़ी हस्तियां शामिल हुई।  इन सभी मेहमानों के लिए केजरीवाल ने इस शानदार होटल में जो व्यवस्था की है उसके बारे में जानने के बाद तो केजरीवाल से भरोसा ही उठ जायेगा।

जानकारी के अनुसार केजरीवाल ने पूरे शादी समारोह में 18 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया। इसमें शादी समारोह में आने वाले मेहमानों को 16 हजार रुपये प्रतिदिन खर्च वाले कमरों में ठहराया गया, उन्हें 8 हजार रुपये की नाश्ते की थाली उपलब्ध करवाई गई। 13 से 14 हजार रुपये प्रति प्लेट के हिसाब से स्वादिष्ट व्यंजन की व्यवस्था की गई। कुल मिलाकर केजरीवाल द्वारा बेटी का शादी समारोह का यह जलसा किस पैसे से किया गया है जनता का इसका हिसाब चाहती है।

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राजनेताओं के बच्चों की शादियों में खर्चा आम बात

पिछले दो महीने में देश के कई प्रमुख राजनेताओं मंत्रियों और विधायकों के बच्चों की शादियां हुई। फिर बात चाहे मध्यप्रदेश की हो या फिर राजस्थान की। प्रदेश में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मंत्री संजय पाठक, डॉ. जेपी नड्डा, दिलीप सूर्यवंशी सहित तमाम नेताओं और व्यपारियों के घरों में वैवाहिक समारोह का आयोजन किया गया। इन नेताओं ने भी अपने यहां शादी समारोह में करोड़ों अरबों रुपये खर्च किये। लेकिन केजरीवाल की बेटी की शादी पर किये गये खर्च की चर्चा आज इसलिए हो रही है क्योंकि केजरीवाल ने पार्टी, कार्यकर्ताओं और दिल्ली की जनता के साथ धोखा किया है। हमेशा फंड की कमी का राग अलापने वाले केजरीवाल के पास इतना पैसा कहां से आया यह जांच का विषय है।

सबको दरकिनार कर राजा बन गये केजरीवाल

मुझे बहुत अच्छे से याद है कि जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ तो उस समय में इसमें प्रशांत भूषण, कुमार विश्वास, केजरीवाल सहित योगेन्द्र यादव जैसे प्रतिष्ठित लोग शामिल हुए। धीरे-धीरे केजरीवाल ने अपनी तानाशाही शुरू की और एक-एक करके इन लोगों को पार्टी से दूरी बनानी पड़ी और सभी लोग अपने पुराने कार्यों में जुट गये। अकेले बचे केजरीवाल ने कुछ लोगों को जोड़कर पार्टी को फिर से मजबूती देने का प्रयास किया और पार्टी ने दिल्ली में सत्ता प्राप्त की। खास बात यह है कि केजरीवाल ने जिस ढंग, षडयंत्र के साथ पार्टी पर पूरा कब्जा बनाया उसे देखने के बाद केजरीवाल और उनकी पार्टी से जनता का विश्वास ही उठ गया।

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जनता ने दिया करारा जबाव

पिछले दस वर्षों से केजरीवाल ने दिल्ली की जनता के साथ जो खिलवाड़, धोखा किया है उसे देखते हुए दिल्ली की जनता ने हाल ही में संपन्न हुए चुनाव में केजरीवाल और उनकी पार्टी को करारा जबाव दिया और पार्टी को दिल्ली में हार का सामना करना पड़ा। खास बात यह है कि जिस भाजपा की नीतियों को गलत ठहराते हुए केजरीवाल ने चुनाव लड़ा, उन्हीं नीतियों के बल पर 29 साल बाद भाजपा दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई।

*विजया पाठक की रिपोर्ट*

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दीपक साहू

संपादक

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