अब्दुल करना चाहता था एक महिला का रेप, मौके पर पहुंचे परिजनों की पिटाई से आरोपी की हो गयी मौत; अब झारखंड सरकार देगी पैसा, नौकरी, घर सब…राहुल गांधी ने भी की एक लाख देने की घोषणा

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झारखंड
बोकारो/स्वराज टुडे: झारखंड के बोकारो जिले में पुलिस को सूचना मिली कि एक व्यक्ति जिसका नाम अब्दुल है, उसे कुछ लोग बंधक बनाकर पीट रहे हैं। मौके पर पहुँची पुलिस ने युवक को लोगों से छुड़ाया और उसे अस्पताल पहुँचा, जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अब्दुल का पूरा नाम अब्दुल कलाम था और उसकी उम्र 22 साल थी। आरोप है कि अब्दुल ने तालाब पर नहाने गई 27 साल की एसटी महिला को दबोच लिया और उसके साथ रेप की कोशिश की। जिसके बाद इकट्ठा हुए ग्रामीणों ने उसे बंधक बना लिया और उसकी पिटाई कर दी। अब ये पूरा मामला मॉब लिंचिंग का बताया जा रहा है और अब्दुल के लिए सोशल मीडिया पर न्याय की माँग भी की जा रही है।

नहाने के लिए तालाब आई महिला से रेप की कोशिश

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये वारदात गुरुवार (8 मई 2025) की है, जो पेंक नरेनपुर थाना इलाके में घटी। जब सटरिंग का काम करने वाला 22 साल के अब्दुल कलाम काम के सिलसिले में बोकारो ज़िले के पेंक नारायणपुर थाना क्षेत्र के कडरूखुट्ठा गाँव पहुँचा था। गाँव के ही महावीर मुर्मू की पत्नी तालाब में नहा रही थी। तभी अब्दुल वहाँ पहुँचा और महिला से छेड़छाड़ शुरू कर दी। आरोप है कि उसने दुष्कर्म की भी कोशिश की।

पीड़िता के परिजनों ने आरोपी अब्दुल को पेड़ से बांधकर पीटा

एफआईआर के मुताबिक, अब्दुल ने महिला को न सिर्फ पीछे से कस कर पकड़ा, बल्कि उसके प्राइवेट पार्ट को भी दबोच लिया। उसने महिला को पटक दिया और रेप करने की कोशिश की। अपने बचाव में महिला ने अब्दुल का हाथ काट लिया और फिर वो चिल्लाने लगी। इससे पहले कि अब्दुल फरार हो पाता, परिजनों और ग्रामीणों ने उसे दौड़ाकर पकड़ लिया और पेड़ से बाँध दिया। कुछ लोगों ने उसको थप्पड़ भी जड़ें। इसके बाद लोगों ने उसकी पहचान की जानकारी ली, तो पता चला कि वो पेंच गाँव का ही अब्दुल कलाम है। इसके बाद पुलिस को बुलाकर उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया।

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हालाँकि मीडिया रिपोर्ट्स और अब्दुल के चाचा की ओऱ से दर्ज कराई गई एफआईआर लिखा है कि लोगों की पिटाई से अब्दुल घायल हो गया। जब पुलिस अब्दुल को बोकारो थर्मल हॉस्पिटल लेकर अस्पताल पहुँची, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। इस घटना को मॉब लिंचिंग यानी भीड़ द्वारा हत्या का नाम दिया गया।

आरोपी के परिजनों की दलील

अब्दुल के चाचा मो. कलीमुद्दीन ने FIR में दावा किया कि अब्दुल मानसिक रूप से बीमार था। उसका राँची और हजारीबाग में इलाज भी चला था। चाचा का कहना है कि अब्दुल कोई अपराधी नहीं था, और अगर उसने कुछ गलत किया भी, तो उसे कानून को सौंपना चाहिए था, न कि भीड़ को उसकी जान ले लेनी चाहिए थी। अब्दुल की अम्मी रेहाना खातून का रो-रोकर बुरा हाल है। वो कहती हैं कि अब्दुल उनका इकलौता सहारा था। उसके पिता कयूम अंसारी पहले ही गुजर चुके हैं, और अब वो पूरी तरह बेसहारा हो गई हैं।

पुलिस ने मॉब ब्लीचिंग का दर्ज किया मामला

मृतक अब्दुल के चाचा की शिकायत पर मॉब लिंचिंग का केस दर्ज कर रुपण माँझी, बहाराम माँझी, सुखलाल माँझी और बालेश्वर हाँसदा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। बेरमो के एसडीएम मुकेश मछुआ ने बताया कि मॉब लिंचिंग के तहत अब्दुल के परिवार को सरकार की तरफ से 4 लाख रुपये का मुआवजा, एक आवास और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। लेकिन अब्दुल के परिवार ने 4 लाख के मुआवजे को लेने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि उन्हें पैसा नहीं, इंसाफ चाहिए।

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रेप की कोशिश करने वाले अब्दुल के पक्ष में उतरी झारखंड की हेमंत सरकार

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने अब्दुल के परिवार को 1 लाख रुपये की अतिरिक्त मदद देने का ऐलान किया। कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने भी 1 लाख रुपये की सहायता देने की बात कही। इसके अलावा, सिद्दिकी समुदाय ने अब्दुल की अम्मी को 51 हजार रुपये की मदद दी।

झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री और कॉन्ग्रेस विधायक इरफान अंसारी खुद अब्दुल के घर गए और अब्दुल की अम्मू रेहाना खातून से मुलाकात की। इरफान अंसारी ने वादा किया कि दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी। इरफान ने कहा, “हमारी सरकार इस मामले में गंभीर है। पीड़ित परिवार को हर तरह की मदद दी जाएगी।” डुमरी विधायक जयराम कुमार महतो, बेरमो सर्किल इंस्पेक्टर नवल किशोर, और कई स्थानीय अधिकारी भी अब्दुल के परिवार से मिलने पहुँचे।

कॉन्ग्रेस और इंडी गठबंधन ने की घटना को  सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश

कॉन्ग्रेस और इंडी गठबंधन ने इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की भरपूर कोशिश की। राहुल गाँधी द्वारा मुआवजे की घोषणा और स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी का अब्दुल के परिवार से मिलना इस बात का संकेत था कि वे इस घटना को अपने वोटबैंक को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल करना चाहते थे। यह वही कॉन्ग्रेस है, जो आदिवासी समुदाय के अधिकारों की बात तो करती है, लेकिन जब बात उनकी बहन-बेटियों की इज्जत की आती है, तो चुप्पी साध लेती है।

सोशल मीडिया, खासकर X पर लोग हेमंत सरकार और राहुल गाँधी पर निशाना साध रहे हैं। लोगों का कहना है कि हेमंत सोरेन सरकार लोगों के टैक्स पेयर्स के पैसों को रेपिस्टों के परिवार को देने में खर्च कर रही है।

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दूसरी तरफ, अब्दुल के समर्थक इसे मॉब लिंचिंग का मामला बता रहे हैं। वो कहते हैं कि अब्दुल को बिना सबूत के मार डाला गया। अब्दुल के समाज के लोगों ने उसे मेहनती, मासूम, मानसिक रूप से कमजोर बताया गया। सदफ अफरीन जैसे लोगों ने इसे हिंदू-मुस्लिम का रंग देने की कोशिश की, यह कहकर कि अब्दुल को सिर्फ इसलिए मारा गया क्योंकि वो मुस्लिम था।

पीड़िता की आवाज दबाने में जुटा प्रशासन

इस पूरे मामले में सबसे दर्दनाक बात यह है कि पीड़िता की आवाज को हर कोई दबाने में लगा है। वो महिला, जिसके साथ अब्दुल ने घिनौनी हरकत की, वो आज मानसिक और सामाजिक आघात से गुजर रही है। उसका परिवार डर और दबाव में जी रहा है। उनके समुदाय के लोग, जो उसकी इज्जत बचाने के लिए आगे आए, वो जेल में हैं। सवाल ये है कि एक तरफ अब्दुल के परिवार को तमाम मदद मिल रही है, लेकिन दूसरी तरफ पीड़िता और उसके परिवार को हेमंत सरकार क्या दे रही है? सिर्फ जेल और सजा?

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दीपक साहू

संपादक

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