हापुड़/स्वराज टुडे: उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले से मानवता को शर्मसार करने वाली एक दर्दनाक घटना सामने आई है। एक गरीब मजदूर की 5 वर्षीय मासूम बेटी की मौत महज इसलिए हो गई क्योंकि अस्पताल ने इलाज शुरू करने से पहले 20 हजार रुपये जमा करने की शर्त रख दी।
पैसे न होने पर न बच्ची को भर्ती किया गया और न ही उसे समय पर इलाज मिल सका। यह हृदयविदारक मामला पिलखुवा के सरस्वती मेडिकल कॉलेज का है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालने वाले पिता ने अपनी 5 साल की बच्ची की तबीयत बिगड़ने पर उसे पिलखुवा स्थित सरस्वती मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे। बच्ची को तेज बुखार और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। परिजनों ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने तुरंत इलाज शुरू करने के बजाय 20 हजार रुपये जमा करने को कहा।
डॉक्टरों के सामने गिड़गिड़ाता रहा पिता
गरीब पिता ने जब कहा कि उसके पास इतनी रकम नहीं है और वह कर्ज लेकर भुगतान करेगा, तब भी अस्पताल प्रशासन इलाज शुरू करने को तैयार नहीं हुआ। पिता डॉक्टरों के सामने गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
5 साल की मासूम ने अस्पताल के बाहर तोड़ा दम
जब तक परिजन इलाज के लिए इधर-उधर दौड़ते रहे, बच्ची की हालत लगातार बिगड़ती गई। अस्पताल के गेट पर ही बच्ची ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। मां-बाप की चीख-पुकार और रोते-बिलखते चेहरे उस समय बेबस तंत्र और संवेदनहीनता की तस्वीर बन गए।
मां सदमे में पहुंची
मृत बच्ची की पहचान पायल (5 वर्ष) के रूप में हुई है। पिता रामनिवास हापुड़ में मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं। परिवार में तीन और छोटे बच्चे हैं। पायल परिवार की सबसे छोटी और लाडली संतान थी। मां की हालत सदमे से बेहद खराब है और परिवार अब भी अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा है।
“बेटी को बचाने के लिए हाथ-पैर जोड़े, लेकिन किसी ने नहीं सुना”
पिता रामनिवास ने बताया कि उन्होंने डॉक्टरों और स्टाफ से हाथ जोड़कर कहा कि मेरी बेटी की हालत बहुत खराब है, कुछ करिए। लेकिन उन्होंने साफ कहा- पहले रुपये का इंतजाम करो, तभी इलाज होगा। मेरी जेब में सिर्फ 500 रुपये थे। मैंने कहा कि बाकी का इंतजाम कर दूंगा, लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी। मेरी बेटी मेरी आंखों के सामने मर गई।
सरस्वती मेडिकल कॉलेज का मामला
इस घटना ने न केवल सरस्वती मेडिकल कॉलेज की संवेदनहीनता को उजागर किया है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या इलाज के लिए पैसा पहले जरूरी है या मरीज की जान? सरकारी और निजी अस्पतालों की प्राथमिकता में इंसानियत कहां है?
प्रशासन ने लिया संज्ञान, जांच के आदेश
घटना के बाद सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में मामले के वायरल होने पर हापुड़ जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया है। जिलाधिकारी ने कहा कि प्राथमिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं और यदि अस्पताल की लापरवाही पाई जाती है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, स्वास्थ्य विभाग की एक टीम को भी अस्पताल भेजा गया है।

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