नई दिल्ली/स्वराज टुडे: अमेरिका यूरोप में मेडिकल की पढ़ाई करना कई छात्रों का सपना होता है. हालांकि, अमेरिका में मेडिकल की पढ़ाई रूस, यूक्रेन या बेलारूस जैसे देशों की तुलना में अधिक कठिन महंगी होती है. इसके कारण, भारतीय छात्रों की संख्या अमेरिका में मेडिकल की पढ़ाई करने वालों में कम है. लेकिन अमेरिका में डॉक्टरों की सैलरी भी बहुत अच्छी होती है. आइए, जानते हैं भारत अमेरिका में MBBS कोर्स के बीच कितना अंतर है कितना खर्च होता है.
भारत में मेडिकल शिक्षा
भारत में मेडिकल की डिग्री कोर्स की शुरुआत 12वीं कक्षा के बाद होती है. यहां undergraduate (UG) कोर्स, जिसमें इंटर्नशिप भी शामिल होती है, आमतौर पर पांच साल का होता है. भारतीय छात्रों को 12वीं कक्षा के बाद NEET (नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट) परीक्षा पास करनी होती है, जिसके बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिलता है.
अमेरिका में मेडिकल शिक्षा
अमेरिका में मेडिकल शिक्षा की प्रक्रिया थोड़ी अलग है. यहां 10वीं कक्षा के बाद छात्रों को चार साल का प्री-मेडिकल कोर्स करना होता है. इसके बाद, उन्हें चार साल का MD (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) कोर्स करना होता है, जो एक पोस्ट-ग्रेजुएट डिग्री है. MD कोर्स में दो साल थ्योरी की पढ़ाई होती है, जबकि अगले दो साल क्लिनिकल ट्रेनिंग में बिताए जाते हैं.
अमेरिका में MD कोर्स की फीस
अमेरिका में इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए MD कोर्स की ट्यूशन फीस औसतन करीब 47.4 लाख रुपये (56.7 हजार डॉलर) होती है. इसके अलावा, छात्रों को रहने-खाने का खर्च, हेल्थ इंश्योरेंस वीजा संबंधित खर्च भी जोड़ना होता है.कुल खर्च काफी अधिक हो जाता है.
अमेरिका में MBBS (MD) कोर्स में प्रवेश
अमेरिका के MD कोर्स में एडमिशन लेने के लिए भारतीय छात्रों को पहले MBBS की डिग्री प्राप्त करनी होती है, या फिर अमेरिका के किसी कॉलेज से प्री-मेडिकल की डिग्री लेनी होती है. इसके अलावा, छात्रों को IELTS (इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम) पास करना होता है.साथ ही, मेडिकल कॉलेज एडमिशन टेस्ट (MCAT) भी पास करना होता है.
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