आपने कभी न कभी हेलीकॉप्टर में सफर किया होगा,इसके अलावा कई बार आप हवाई जहाज के दुर्घटनाओं के शिकार होने की खबर भी सुनते होंगे. जिसमें कई लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. हाल ही में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का हेलीकॉप्टर क्रैश में निधन हो गया.
ऐसे में कई बार सवाल ये उठता है कि हर फ्लाइट में पैराशूट की सुविधा रखी जाए तो हो सकता है दुर्घटना से पहले कई लोगों की जान बचाई जा सके, लेकिन ऐसा होता नहीं है. ऐसा नहीं है कि किसी एयरलाइन के दिमाग में ये आइडिया नहीं आया होगा, दरअसल किसी भी फ्लाइट में पैराशूट न रखने के पीछे भी एक वजह होती है.
क्यों हेलीकॉप्टर में नहीं रखे जाते पैराशूट?
दुनियाभर में हेलीकॉप्टर क्रेश के मामलों में हर साल कई लोग अपनी जान गवां देते हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर किसी भी विमान में इमरजेंसी के लिए पैराशूट क्यों नहीं रखा जाता है? तो बता दें कि एक हेलीकॉप्टर में एक भारी पैराशूट को रखने के लिए पर्याप्त नहीं होता, दरअसल ये सीट इतनी ही बड़ी होती है जिसमें तीन लोग बैठ सके.
ऐसे में फिर भी पैराशूट को हर सीट पर रखा जाएगा तो उसमें अतिरिक्त वजन बढ़ जाएगा. इससे विमान का कुल वजन लगभग 6,000-8,000 पाउंड अधिक हो जाएगा, जिससे संबंधित लागतें भी काफी बढ़ जाएंगी, वजन बढ़ने से हेलीकॉप्टर में असुविधा हो सकती है. इसके अलावा हेलिकॉप्टर से कोई हादसा होता है तो वो सीधे नीचे आता, प्लेन में ऐसा नहीं होता. हेलिकॉप्टर क्रैश के वक्त उसे कंट्रोल करना मुश्किल होता है.
ये भी हैं कारण
वहीं यदि हेलीकॉप्टरों में पैराशूट रखे भी जाएं तब भी किसी यात्रियों की जीवन को खतरा हो सकता है. दरअसल पैराशूट का इस्तेमाल कोई भी व्यक्ति बिना ट्रैनिंग के नहीं कर सकता, वहीं हेलीकॉप्टर में पैराशूट से कूदने के लिए रैंप भी नहीं होता, ऐसे में संभव है कि यदि आप कूदने की कोशिश करें तो हेलीकॉप्टर के टायर या पंख से टकरा जाएं.
इसके अलावा हेलीकॉप्टर 35 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा होता है, जिसके चलते यदि कोई व्यक्ति वहां से कूदने की कोशिश भी करेगा तो उसे ऑक्सीजन सपोर्ट की जरुरत होगी. इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए हेलीकॉप्टर में पैराशूट नहीं रखा जाता. वहीं कमर्शियल फ्लाइट में ये सुविधा रखना एयरलाइंस को काफी मंहगा भी पड़ता है. इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए कोई भी एयरलाइन हेलीकॉप्टर में पैराशूट की सुविधा नहीं देती है.
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