भूविस्थापितों ने मुख्यालय का किया गेट जाम, चारों परियोजनाओं के सैकड़ो भूविस्थापित रहे उपस्थित

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छत्तीसगढ़
बिलासपुर/स्वराज टुडे: भूविस्थापित द्वारा अपनी समस्याओं का निराकरण नहीं होने पर 29 जनवरी को एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर का गेट जाम एवं धरना प्रदर्शन करने अल्टीमेटम दिया गया था ।  लिहाजा सोमवार को चारों परियोजनाओं के भूविस्थापित लगभग 600 की संख्या में आंदोलन में उपस्थित हुए ।

गेट जाम धरना प्रदर्शन सुबह 11:00 बजे शुरू हुआ जो कई दौर की चर्चा उपरांत शाम 600 बजे समाप्त हुआ । धरना स्थल पर चर्चा के लिए जी एम मेन पावर , प्रभारी जी एम एल एंड आर , आई आर एवं एच आर उपस्थित रहे । ग्रामीण पहले भी कई बार अपनी मांगों के लिए आंदोलन करते रहे , लेकिन मुख्यालय के अधिकारी बैठक के दौरान औपचारिकता पूर्ण कर बगैर निराकरण वापस चले जाते थे ।

चर्चा के लिए आए अधिकारियों को भूविस्थापित नेता ब्रजेश श्रीवास ने चेताया कि भूविस्थापितो को झूठा आश्वासन देना बंद कीजिए । महिलाएं , बच्चे , वृद्ध सभी को आज आप लोगों के द्वारा परेशान होकर आंदोलन में सम्मिलित होने के लिए मजबूर किया गया है । आपके मुखिया सी एम डी उत्पादन बढ़ाने महीने में कई बार खदान का चक्कर लगाते हैं , लेकिन उनके पास भुविस्थापितों से चर्चा करने के लिए समय नहीं है । जमीन लेने के बाद रोजगार , मुआवजा , पुर्नवास देने में टालमटोल किया जाता है । आज के बाद अगर ऐसी स्थिति आपके द्वारा निर्मित की जायेगी, तब अनिश्चितकाल के लिए खदान बंदी के लिए हम मजबूर हो जाएंगे ।

अधिकारियों के द्वारा अनेक बार वार्ता एवं निराकरण करने का आश्वासन देने पर सीएमडी या डायरेक्टर के द्वारा भुविविस्थापितों को वही बात कहने के लिए कहा गया । सी एम डी की अनुपस्थिति में डायरेक्ट पर्सनल ने 15 प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुना एवम निराकरण करने का आश्वासन दिया । उपस्थित अधिकारियों के बीच कोरबा , कुसमुंडा , गेवरा , दीपका चारों परियोजना की समस्याओं के लिए अलग-अलग बैठक कर निराकरण करने पर सहमती बनी। जिसके लिए एसईसीएल कोरबा परियोजना में 4 फरवरी , एसईसीएल कुसमुंडा परियोजना में 12 फरवरी , एसईसीएल गेवरा वरा परियोजना में 14 फरवरी एवं एसईसीएल दीपका परियोजना में 19 फरवरी को बैठक करने हेतु तिथि निर्धारित की गई । डायरेक्टर पर्सनल के द्वारा यह अभी कहा गया इन तिथियां में यदि विशेष परिस्थितिवश बदलाव होने पर सूचित किया जाएगा जिससे कि बैठक निर्धारित तिथि को संपन्न हो सके ।

आंदोलन के दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं , बच्चे , बुजुर्ग सम्मिलित हुए । जिसे देखकर वहां उपस्थित प्रशासनिक अधिकारियों के मन में भी पीड़ा की भाव जागृत हुई । वहां उपस्थित सभी लोगों ने भूविस्थापितो की दर्द को महसूस किया जिसको भूविस्थापित कई दशकों से झेलते आ रहे हैं ।

दीपक साहू

संपादक

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