अपना रोजगार शुरू करने के लिए ‘पीएम स्वनिधि योजना’ मील का पत्थर… छोटे व्यापार के लिए बिना गारंटी लोन

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देश में लगभग एक करोड़ रेहड़ी-पटरी (स्ट्रीट वेंडर) वाले है, जिनकी कुल शहरी अनौपचारिक रोजगार (सूक्ष्म व लघु उद्योग आदि) में हिस्सेदारी लगभग 14 प्रतिशत है। यह वर्ग प्रतिदिन मेहनत, मजदूरी कर अपना जीवनयापन करता है और यही वह वर्ग है, जिस पर सबसे ज्यादा मार पड़ती है, चाहे वह अप्राकृतिक हो अथवा प्राकृतिक। यहां तक कि असंगठित वर्ग होने के कारण इनको जल्दी से किसी बैंक अथवा संस्था से लोन भी नहीं मिलता। कोरोना महामारी के समय भी यही वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ।

मोदी सरकार ने कोरोना काल के दौरान इसी वर्ग पर खासा ध्यान दिया। स्ट्रीट वेंडर्स को स्वावलंबी बनाने, उनके स्वरोगजार को बढ़ावा देने व उनकी आय में बढ़ोत्तरी हेतु बहुत ही लाभकारी ‘पीएम स्वनिधि योजना’ चलाई गई। जिसके कारण आज यह वर्ग स्वावलंबन की ओर बढ़ रहा है।

‘पीएम स्वनिधि योजना’

मोदी सरकार ने स्ट्रीट वेंडर्स को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से 1 जून 2020 को ‘पीएम स्वनिधि योजना’ की घोषणा की थी। यह योजना उन्हीं राज्यों में है, जहां पर स्ट्रीट वेंडर्स अधिनियम, 2014 लागू है और जम्मू व कश्मीर राज्य में यह अधिनियम लागू नहीं है, इसलिए जम्मू और कष्मीर राज्य के अलावा देश के सभी राज्यों के स्ट्रीट वेंडर्स इस योजना का लाभ उठा सकते है।

पीएम स्वनिधि योजना के तहत, जो व्यक्ति अपना रोजगार (खासकर छोटा रोजगार) प्रारंभ करना चाहता है, उसे बिना गारंटी के 10,000 रूपये से 50,000 रूपये तक का आसान लोन केंद्र सरकार द्वारा दिया जाता है। यह लोन तीन बार में दिया जाता है। पहली बार 10,000 रूपये का लोन मिलता है, जिसको एक साल के अंदर आसान किस्तों में अदा करना होता है। अगर लोन की अदायगी समय पर होती है तो वह दूसरी बार 20,000 रूपये व तीसरी बार 50,000 रूपये तक का लोन लेने का अधिकारी हो जाता है।

इस लोन की ब्याज दरें बैंकों द्वारा दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरों के अनुसार होती है। अगर लाभार्थी समय से लोन की अदायगी करता है तो उसे केंद्र सरकार द्वारा 7 प्रतिशत की सब्सिडी प्राप्त होती है।

कैसे मिलता है लोन

इस योजना के लिए आपके आधार कार्ड में मोबाइल नंबर जुड़ा होना अनिवार्य है तथा आपको यूएलबी (शहरी स्थानीय निकाय) या टाउन वेडिंग कमेटी द्वारा सर्टिफिकेट ऑफ वेंडिंग (सीओवी) अथवा पहचान पत्र प्राप्त हो तथा आपको शहरी स्थानीय निकाय के सर्वेक्षण में शमिल किया गया है। इसके बाद योजना के पोर्टल पर सर्वेक्षण सूची में अपने नाम की जांच करें और अपना सर्वेक्षण संदर्भ क्रमांक देखें। अगर आपका सर्वेक्षण सूची में नाम है और आपके पास सर्टिफिकेट ऑफ वेंडिंग या पहचान पत्र नहीं है तो आवेदन प्रक्रिया के दौरान आपको ऑनलाईन सर्टिफिकेट ऑफ वेंडिंग दिया जायेगा।

इसके अतिरिक्त अगर आवेदनकर्ता के पास यूएलबी/टीवीसी (टाउन वेंडिंग कमेटी) द्वारा जारी अनुशंसा पत्र अथवा स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), समुदाय आधारित संगठनों (सीबीओ) आदि को शामिल करते हुए यूएलबी/टीवीसी की स्थानीय जांच की रिपोर्ट है तो वह इस योजना के लिए आवेदन कर सकता है।

इसके उपरांत किसी भी सरकारी बैंक अथवा कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से पीएम स्वनिधि योजना के फॉर्म (https://pmsvanidhi,mohua.gov.in/) द्वारा आवेदन किया जा सकता है।

योजना की खास बातें

इस योजना की सबसे खास बात यह है कि लोन लेने में सबसे बड़ी दिक्कत गारंटी की होती है, वही इस योजना के तहत बिना गारंटी के लोन मिलता है।

समय से अथवा समय से पहले लोन अदायगी पर सर्वाधित ब्याज में 7 प्रतिशत सब्सिड़ी केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है। इसके साथ-साथ डिजिटल लेने-देन पर मासिक नकदी वापसी (कैश बैक) प्रोत्साहन भी मिलता है।

योजना से संबंधित दिक्कतें

क्योंकि इस वर्ग के लोगों में जागरूकता व शिक्षा का अभाव होता है, जो योजना का लाभ प्राप्त करने में सबसे बड़ी बाधा है। इसके लिए योजना की अधिकारी वेबसाइट अथवा कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर उनके दिशानिर्देशानुसार योजना का लाभ लिया जा सकता है।

कितनी सफल रही यह योजना

पीएम स्वनिधि योजना की घोषणा 1 जून 2020 को हुई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य रेहड़ी-पटरी-ठेला आदि फुटपाथ विक्रताओं को, जो कोविड महामारी से प्रभावित हुए है, अपना रोजगार प्रारंभ करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार इस योजना के तहत जारी लोन में 44 प्रतिशत

ओबीसी व 22 प्रतिशत एससी/एसटी को आवंटित हुआ है। वहीं कुल लाभार्थियों में 43 प्रतिशत महिला हैं। अगर हम इस योजना का लेखा-जोखा देखें तो इस योजना की अधिकारिक वेबसाइट के अनुसार अभी तक प्रथम ऋण

योजना का लेखा-जोखा

(10,000 रू.) के लिए 78,12,269 लोगों ने आवेदन किया है। जिसमें से 61,59,075 लोगों को 6,126.84 करोड़ रूपये दिये गये। इन आवेदनकर्ता में 55 प्रतिशत पुरूष व 45 प्रतिशत महिलाएं रही। वहीं केंद्र सरकार द्वारा इस पर

78.13 करोड़ रूपये की दी गयी सब्सिडी

द्वितीय चरण यानि दूसरे ऋण (20,000 रू.) के लिए इस योजना में 22,96,566 आवेदन (58 प्रतिशत पुरूष व 42 प्रतिशत महिला) प्राप्त हुए। जिसमें से 17,18,808 आवेदनकर्ता को 3,429.24 करोड़ रूपये आवंटित किये गये। इस पर केंद्र सरकार द्वारा 35.83 करोड़ रूपये की सब्सिड़ी प्रदान की गई।

वहीं तृतीय ऋण (50,000 रु. तक) हेतु 3,34,668 आवेदन प्राप्त हुए। जिसमें 2,54,700 आवेदनकर्ता को 1,259.94 करोड़ रूपये आवंटित किये गये। जिसमें सरकार द्वारा 6.93 करोड़ रूपये की सब्सिड़ी दी गई।

अगर संपूर्ण योजना को लेखा-जोखा देखा जाए तो इस योजना में अभी तक 1 करोड़ से भी ज्यादा लोगों ने आवेदन किया है। जिसमें से करीब 81 लाख लोगों को लगभग 11 हजार करोड़ रूपये आवंटित किये जा चुके है। वहीं सरकार द्वारा ब्याज सब्सिड़ी के रूप में करीब 121 करोड़ रूपये इस योजना में दिये जा चुके है।

*सुदामा भारद्वाज की रिपोर्ट*

दीपक साहू

संपादक

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