किसी किले से कम नहीं थी छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन की कोठी, बुलडोजर चला तो हुए कई चौंकाने वाले खुलासे

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उत्तरप्रदेश
बलरामपुर/स्वराज टुडे: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में धर्मांतरण के गंभीर आरोपों में घिरे छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन की कोठी पर प्रशासन और जांच एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है। बाबा की कोठी में छिपे राज एक-एक कर सामने आ रहे हैं।

ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने अब इस मामले की जांच अपने हाथ में ले ली है और यूपी पुलिस से FIR की कॉपी भी ले ली गई है।

क्या मिला छांगुर बाबा की कोठी के अंदर?

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जब ED की टीम कोठी के अंदर पहुंची तो वहां का नजारा चौंकाने वाला था। यह कोठी बाहर से जितनी बड़ी और महंगी दिखती थी, अंदर से उतनी ही लग्जरी थी। 2 BHK फ्लैट जैसे कमरे बने हुए थे। हर कमरे में बड़े-बड़े बेड, हॉल और किचन तक की सुविधा थी। यानी यहां लंबे समय तक रहने की पूरी व्यवस्था थी।

धर्मांतरण के सबूत: ‘कलावा’ और उर्दू किताबें

कोठी की तलाशी के दौरान पुलिस को हिंदू धर्म में इस्तेमाल होने वाला ‘कलावा’ (लाल धागा) और उर्दू में लिखी धार्मिक किताबें मिलीं। इससे शक गहराया है कि छांगुर बाबा हिंदू प्रतीकों का इस्तेमाल कर लोगों को धोखा देता था। आशंका है कि वह लड़कियों और उनके परिवारों को भ्रमित कर उन्हें धर्म बदलने के लिए राजी करता था।

बिजली वाले तार और किले जैसी सुरक्षा

बाबा की कोठी की सुरक्षा भी किसी किले से कम नहीं थी चारों तरफ 15-20 फीट ऊंची दीवारें थीं। इन दीवारों पर कांटेदार तार लगाए गए थे। इन तारों में बिजली का करंट भी दौड़ाया गया था, ताकि कोई अंदर ना आ सके। स्थानीय लोगों के मुताबिक, लोग उस कोठी के पास से भी गुजरने से डरते थे।

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बुलडोजर की कार्रवाई

प्रशासन ने अब इस कोठी पर बुलडोजर कार्रवाई शुरू कर दी है। यह कोठी बिना अनुमति के बनाई गई थी, यानी अवैध निर्माण था। बताया जा रहा है कि यहीं से छांगुर बाबा धर्मांतरण का रैकेट चलाता था। इस कोठी को अब प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया है। बाबा यहां अपने सहयोगियों नवीन रोहरा और नीतू रोहरा के साथ रहता था।

क्या-क्या था बाबा की कोठी में?

कोठी में कुल 40 कमरे थे। इसमें करीब 3 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। बाबा सिर्फ विदेशी (खासकर दुबई से मंगवाया गया) सामान इस्तेमाल करता था। उसका एक सीक्रेट रूम भी था, जिसमें धर्मांतरण का शिकार बनी लड़कियों को छुपाकर रखा जाता था। स्थानीय लोगों ने बताया कि बाबा कुछ दिन कोठी में रहता, फिर विदेश चला जाता था।

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दीपक साहू

संपादक

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