धार/स्वराज टुडे: नक्सलियों के खौफ के चलते नौकरी छूटने के बाद इंजीनियर राहुल परिहार अपने गांव लौट आए और सफेद मूसली की खेती में किस्मत आजमाई. बुवाई से लेकर मार्केटिंग तक रणनीति के साथ काम किया. कड़ी मेहनत और नवाचार का नतीजा यह रहा कि कभी करीब 6 लाख रुपए सालाना कमाने वाले राहुल आज सफेद मूसली से करीब 50 लाख रुपए सालाना की बचत कर रहे हैं.
मध्य प्रदेश के प्रगतिशील किसान बने राहुल
मध्य प्रदेश के धार जिले की मनावर तहसील के ग्राम जाजमखेड़ी निवासी राहुल परिहार की यह सक्सेस स्टोरी उन लोगों के लिए मिसाल है, जो मजबूरी में नौकरी छोड़ने के बाद नए सिरे से खुद को स्थापित करने का साहस नहीं जुटा पाते.

इंजीनियर से किसान बने राहुल परिहार
परिहार ने बताया कि लाखों का पैकेज छोड़कर खेती की ओर लौटना आसान नहीं था, लेकिन नक्सलियों के डर को उन्होंने आपदा नहीं, बल्कि अवसर में बदल दिया. उन्होंने अपने पिता द्वारा पहले शुरू की गई अश्वगंधा और सफेद मूसली की खेती को दोबारा शुरू किया और उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया.
राहुल बताते हैं कि उनके पिता लक्ष्मण परिहार ने वर्ष 2002 में सफेद मूसली की खेती शुरू की थी, लेकिन कुछ समय बाद यह बंद हो गई. इसके बाद राहुल ने वर्ष 2015 में एमटेक की डिग्री हासिल की और इंजीनियर बने. उन्होंने दिल्ली और अहमदाबाद की कंपनियों में नौकरी की. अहमदाबाद में दो साल और दिल्ली में एक साल काम किया. बाद में एक टेलीकॉम कंपनी जॉइन की.

रायपुर में टेलीकॉम कंपनी की नौकरी
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में टेलीकॉम कंपनी जॉइन करने के बाद राहुल को मोबाइल टॉवर इंस्टॉलेशन का काम मिला. इसके तहत उन्हें नक्सल प्रभावित क्षेत्रों बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर जैसे जिलों में भी जाना पड़ता था, जहां हर वक्त जान का खतरा बना रहता था. साल 2020 में मात्र एक साल बाद ही 45 हजार रुपए महीने की यह नौकरी उन्होंने छोड़ दी और गांव लौट आए.
सफेद मूसली का बीज भी बेचते हैं राहुल
36 वर्षीय राहुल कहते हैं कि नौकरी भले ही छूट गई, लेकिन हौसला नहीं टूटा. गांव लौटकर उन्होंने अपनी 20 बीघा जमीन और 5 बीघा लीज पर लेकर सफेद मूसली और अश्वगंधा की खेती शुरू की. शुरुआत में महाराष्ट्र के बुलढाणा से सफेद मूसली का बीज मंगाया. आज हालात यह हैं कि वे मध्य प्रदेश के कई जिलों के किसानों को सफेद मूसली का बीज उपलब्ध करा रहे हैं.

सफेद मूसली से कमाई
राहुल परिहार के मुताबिक सफेद मूसली का बीज महंगा होता है और इसकी खेती में लागत भी ज्यादा आती है, लेकिन ऊंचे दामों पर बिक्री होने के कारण यह फायदे का सौदा साबित हो रही है. बीज की कीमत 35 से 45 हजार रुपए प्रति क्विंटल और फसल की कीमत (नीमच औषधि मंडी): 1.70 लाख से 1.90 लाख रुपए प्रति क्विंटल है. राहुल को सफेद मूसली और अश्वगंधा से सालाना करीब 90 लाख रुपए का टर्नओवर होता है. बीज, मजदूरी और अन्य खर्च निकालने के बाद लगभग 50 लाख रुपए सालाना की शुद्ध बचत होती है.

सफेद मूसली की खेती कैसे करें?
राहुल बताते हैं कि सफेद मूसली की बुवाई जून-जुलाई में की जाती है. इसके लिए पहले खेत को समतल किया जाता है. गोबर खाद और कीटनाशक डालकर नाली या ड्रिप सिस्टम से सिंचाई की जाती है. लगभग पांच महीने में फसल तैयार हो जाती है और अक्टूबर-नवंबर से उत्पादन मिलने लगता है.

सफेद मूसली के फायदे
सफेद मूसली और अश्वगंधा शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां हैं. इनका उपयोग शारीरिक शक्ति बढ़ाने, सहनशक्ति, यौन स्वास्थ्य और तनाव कम करने वाली दवाओं में किया जाता है. फार्मा कंपनियों में इनकी भारी मांग है. स्थानीय स्तर पर भी लोग सफेद मूसली का पाउडर दूध के साथ सेवन करते हैं.
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