नई दिल्ली/स्वराज टुडे: देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का उद्देश्य है कि हर जरूरतमंद व्यक्ति को मुफ्त इलाज मिले. लेकिन हाल ही में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे योजना की विश्वसनीयता और भविष्य पर सवाल खड़े कर रहे हैं. हर साल बड़ी संख्या में अस्पताल इस योजना से जुड़ते थे, लेकिन अब निजी अस्पतालों की इसमें रुचि घटती नजर आ रही है.
2024-25 में घटा नए अस्पतालों का जुड़ाव
2024-25 में सिर्फ 2,113 अस्पताल ही आयुष्मान भारत योजना से जुड़े हैं, जबकि 2023-24 में यह संख्या 4,271 और 2022-23 में 3,124 थी. यानी इस बार योजना से जुड़ने वाले अस्पतालों की संख्या में साफ गिरावट आई है. यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने दी है.
योजना में कुल कितने अस्पताल हैं?
जानकारी के अनुसार, देशभर में अब तक कुल 31,466 अस्पताल इस योजना के तहत शामिल हो चुके हैं, जिनमें से 14,194 निजी अस्पताल हैं. इसका मतलब है कि योजना का दायरा तो बढ़ा है, लेकिन नई भागीदारी में कमी आ रही है.
इस योजना में कितने इलाज शामिल हैं?
इस योजना के तहत मिलने वाले इलाज के हेल्थ बेनिफिट पैकेज को पांच बार अपडेट किया जा चुका है. 2022 में लाया गया नया पैकेज HBP 2022, 1,961 प्रकार की मेडिकल प्रक्रियाएं कवर करता है, जो 27 अलग-अलग स्पेशलिटी में फैली हैं.
निजी अस्पताल क्यों पीछे हट रहे हैं?
विशेषज्ञों और निजी अस्पतालों के संगठन बताते हैं कि, उनकी सबसे बड़ी दो परेशानियां हैं.
- क्लेम भुगतान में देरी – नियम के अनुसार राज्यों के अंदर के मरीजों का भुगतान 15 दिनों में और अन्य राज्यों के मरीजों का भुगतान 30 दिनों में होना चाहिए. लेकिन हकीकत में यह समय सीमा बहुत बार टूटती है, खासकर बड़े अस्पतालों और महंगे इलाज के मामलों में ऐसा होता है.
- पैकेज रेट – कई निजी अस्पतालों का कहना है कि, इलाज के बदले जो पैसा मिलता है, वह लागत से कम होता है. इससे उन्हें आर्थिक नुकसान होता है.
निर्माताओं के लिए चुनौती
- योजना को सस्ता भी बनाए रखें
- निजी अस्पतालों को भी संतुलित आर्थिक लाभ मिले
- यह योजना लंबे समय तक टिक सकती है और यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज का सपना साकार हो सकता है।
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