
छत्तीसगढ़
जशपुर/स्वराज टुडे: जशपुर जिले में मंगलवार को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जहां एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता ने आश्रय गृह के बाथरूम में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना ने प्रशासनिक लापरवाही और बाल सुरक्षा व्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी है।
पुलिस के माध्यम से पीड़िता भेजी गई थी बालिका गृह
आस्ता थाना क्षेत्र की रहने वाली यह नाबालिग तीन दिन पहले जशपुर में अकेली घूमते हुए पाई गई थी। पूछताछ में उसने बताया था कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ है। लिहाजा पुलिस ने उसे बालिका गृह में रखा, ताकि उसे सुरक्षा और परामर्श मिल सके। लेकिन मंगलवार सुबह, जब देखरेख और सुरक्षा की सबसे अधिक जरूरत थी, उसी समय उस बालिका ने बाथरूम में फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
प्रशासन और बालिका गृह प्रबंधन पर उठ रहे गंभीर सवाल
1. सुरक्षा में कैसे हुई इतनी बड़ी चूक? बालिका गृह में सुरक्षा व्यवस्था इतनी लचर कैसे हो सकती है कि कोई नाबालिग आत्महत्या कर ले?
2. बालिका को तत्काल मनोवैज्ञानिक सहयोग क्यों नहीं मिला? एक दुष्कर्म पीड़िता, जिसे सबसे ज्यादा संवेदनशील देखभाल की जरूरत थी, वह इस स्थिति में कैसे पहुंची?
3. बालिका गृह प्रबंधन की जवाबदेही तय होगी या फिर मामले को रफा-दफा कर दिया जाएगा?
पुलिस की कार्रवाई और लीपापोती की आशंका
घटना के तुरंत बाद बालिका गृह के कर्मचारियों ने तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। लेकिन क्या यह सिर्फ औपचारिकता भर है? प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस बयान नहीं आया है।
क्या सरकार उठाएगी सख्त कदम?
छत्तीसगढ़ सरकार और महिला एवं बाल विकास विभाग को इस घटना पर गंभीरता से ध्यान देना होगा। बाल संरक्षण गृहों की स्थिति सुधारने की जरूरत है ताकि ऐसी त्रासद घटनाएं दोबारा न हों। यह सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि सिस्टम की असफलता की गूंज है । बालिका गृह में संरक्षण प्राप्त बालिकाओं की नियमित काउंसलिंग होनी चाहिए ताकि उन्हें मानसिक रूप से राहत मिल सके अन्यथा इस घटना से प्रेरित होकर अन्य बालिकाएं भी ऐसा कदम उठाने की ना सोचें।
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