फर्जी फ्लाइट टिकट बुकिंग रैकेट का भंडाफोड़, सस्ते टिकट के लालच में फंसे अनेक लोग

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नई दिल्ली/स्वराज टुडे: दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को एक फर्जी फ्लाइट टिकट बुकिंग रैकेट का भंडाफोड़ किया है. इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. आरोपी लोगों को सस्ते दामों पर फर्जी एयरलाइन टिकट देकर ठगते थे. इसके लिए विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करते थे. लोग सस्ते टिकट के लालच में उनके जाल में फंस जाते थे.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपियों की पहचान सलमान सईद सिद्दीकी (50) और रोहित राजाराम घनेकर (29) के रूप में हुई है. दोनों एक बड़े रैकेट का हिस्सा हैं. इसमें कई लोगों के शामिल होने की आशंका है. दिल्ली भगत सिंह पार्क निवासी राजीव चोपड़ा द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद इस रैकेट के ठगी का मामला प्रकाश में आया.

पुलिस उपायुक्त (आउटर नॉर्थ) निधिन वलसन ने बताया कि शिकायतकर्ता ने दिल्ली से टोरंटो की सस्ती उड़ान के लिए सोशल मीडिया पर विज्ञापन देखा था. विज्ञापन में दिए गए नंबर पर संपर्क करने के बाद, जो एक वर्चुअल नंबर निकला, उसे व्यक्तिगत और भुगतान विवरण साझा करने के लिए राजी किया गया. जालसाजों ने नकली टिकट बुक किए.

इसके बदले पीड़ित से 47 हजार 681 रुपए ट्रांसफर कराए गए. पैसे मिलने के बाद आरोपी गायब हो गए. पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने के बाद आरोपी का पता लगाने के लिए एक टीम बनाई गई. जांच में पता चला है कि आरोपी वर्चुअल नंबर, ट्रैवल एजेंसियों के फर्जी सोशल मीडिया पेज और ग्राहकों को फंसाने के लिए फिशिंग तकनीकों का इस्तेमाल करते थे.

डीसीपी ने कहा कि आरोपी पैसे मांगने से पहले विश्वास हासिल करने के लिए एयरलाइन वेबसाइटों के फर्जी टिकट बनाते थे. एक बार फंड ट्रांसफर हो जाने के बाद, वे संपर्क काट लेते थे. गिरोह के मास्टरमाइंड सलमान सईद सिद्दीकी को इससे पहले साल 2023 में मुंबई में सहार पुलिस ने इसी तरह के अंतरराष्ट्रीय टिकट घोटाले के लिए गिरफ्तार किया था.

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उसने पहले मुंबई में प्रतिष्ठित ट्रैवल एजेंसियों के साथ काम किया था. पुलिस ने बताया कि बाद में उसने इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) का कोर्स पूरा करने और एयर टिकटिंग सिस्टम की गहन जानकारी हासिल करने के बाद दिल्ली में अपनी खुद की ट्रैवल फर्म खोली. सलमान पुलिस की निगरानी से बचने के लिए दिल्ली आ गया.

महाराष्ट्र के रायगढ़ का रहने वाला उसका सहयोगी रोहित राजाराम घनेकर चोरी के पैसे को भेजने के लिए नकली सिम कार्ड और बैंक खाते बनाने का काम करता था. वो आर्थिक परेशानी की वजह से साल 2012 में मुंबई चला गया था. अपराधियों को नकली खाते और मोबाइल कनेक्शन प्राप्त करने में मदद करके साइबर अपराध में शामिल हो गया.

पुलिस अधिकारी ने कहा, “ये धोखेबाज बहुत ही गुमनाम तरीके से काम करते थे. वे पहचान से बचने के लिए वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल करते थे. झूठी पहचान के साथ बैंक खाते खोलते थे. ठगी के लिए कई डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते थे.” पुलिस ने मुंबई में चरनी रोड, विरार ईस्ट और दिल्ली में लाजपत नगर में छापेमारी की थी.

आरोपियों को मुंबई और दिल्ली से गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने बताया कि उन्होंने 12 मोबाइल फोन, डिजिटल साक्ष्यों से भरे तीन लैपटॉप, 22 डेबिट और क्रेडिट कार्ड, छह चेकबुक, पासबुक, तीन सिम कार्ड, चार वाईफाई राउटर, एक वाईफाई पॉड, एक टैबलेट और फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक मोहर बरामद की है.

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दीपक साहू

संपादक

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