छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: भाग्य और प्रारब्ध दो अलग विषय हैं और इनमें पर्याप्त बुनियादी अंतर है। प्रारब्ध में जो लिखा हुआ है उसे जीवन में घटित होना ही है। आचार्य सत्येन्द्र कृष्ण महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा में यह बात कही। यागयिक रत्न प्रमुख आचार्य रामबिहारी के नेतृत्व में अनुष्ठान हो रहा है।
श्रीमद् भागवत कथा के अंतर्गत परीक्षित जन्म और संबंधित प्रसंग का विवेचन करते हुए उन्होंने विषय वस्तु को समझाया। मिथलेश सिंह व परिजनो द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस वृन्दावन के आचर्य सत्येन्द्र कृष्ण महाराज ने कथा महात्म्य के साथ गोकर्ण व राजा परीक्षित के जन्म के प्रसंग की चर्चा की। शिवनपुर अंकोरहा में इस अनुष्ठान के अंतर्गत आचार्य सत्येन्द्र कृष्ण महाराज ने कहा कि भाग्य में जो चीज शामिल हैं वे अलग-अलग कारण से प्रभावित हो जाते हैं लेकिन आपके प्रारब्ध में जो कुछ लिखा हुआ है उसे अवश्य घटित होना है। उन्होंने परीक्षित के साथ कई घटनाओं का उल्लेख किया और बात को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा की आडंबर और दिखावे से नहीं बल्कि ईश्वर सच्ची भक्ति और प्रेम के वशीभूत होकर अपने भक्तों के नजदीक आते हैं।
कथा के अंतर्गत आज दूसरे दिन अजामिल और प्रहलाद चरित्र का वर्णन किया गया। उन्होंने कहा कि भगवान की भक्ति पूरी निष्ठा और समर्पण से किए जाने पर भगवान हर हाल में अपने भक्त की रक्षा करते हैं यह श्रीमद् भागवत कथा हमें बताती है। 11 अक्टूबर को इस अनुष्ठान का समापन होगा।
सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक सिंह ने बताया कि इस आयोजन में गोपाल प्रसाद सिंह, अमरेश कुमार सिंह, अजय कुमार सिंह, दिलीप कुमार सिंह और मनोज कुमार सिंह व परिजनों का सहयोग प्राप्त हो रहा है।