छत्तीसगढ में भूपेश बघेल के रावणराज के अंत की शुरुआत, चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी, अब बघेलमुक्‍त होना चाहिए कांग्रेस

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*भ्रष्टाचार-दमन-अत्याचार के रहे भूपेश सरकार के पांच साल

*हसदेव जंगल को काटने का सौदा तो भूपेश ने ही किया था, राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद रुकी थी कटाई

रायपुर/स्वराज टुडे: भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल उर्फ बिट्टू को ईडी ने शराब घोटाला में गिरफ्तार कर लिया है। अब तो यही लगता है कि ईडी निश्चित तौर पर तमाम घोटालों के मुख्य साजिशकर्ता भूपेश बघेल तक पहुंच चुकी है, बस गिरफ्तारी की देर है। मैं अपनी पत्रिका और लेखन से 2021 से इन घोटालों को उजागर कर रही हूँ। उसमें असली कार्यवाही अब जाकर हुई है। कोयला, महादेव सट्टा समेत अन्य बड़े घोटालों में भी इनकी गिरफ्तारी जरूर होगी। मैं और मेरा परिवार भूपेश बघेल का वो दमन कभी नहीं भूल सकता है। उस समय मेरे घर के सामने छत्तीसगढ पुलिस मेरी और मेरे परिवार की गिरफ्तारी की जुगत में लगी रहती थी। बाप-बेटे की खास सौम्या के दबाव में मेरे खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए, पर इनके जुल्म बढ़ने के साथ मेरी कलम की धार बढ़ती चली गई थी। उस दौर में छत्तीसगढ़ में किसी पत्रकार या विपक्षी नेता की इनके ख़िलाफ़ जाने की हिम्‍मत नहीं होती थी। खैर, आखिर में मेरी कलम की जीत हुई।
चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी बघेल परिवार और कांग्रेस पार्टी दोनों के लिए गंभीर झटका है। राज्य में कांग्रेस की साख और राजनीतिक भविष्य पहले ही संदेह के घेरे में था जिसका कारण भूपेश सरकार थी। अब पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने पार्टी की बची-खुची विश्वसनीयता को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है। चैतन्य को ईडी ने गिरफ्तारी का जो तरीका अपनाया उससे साफ़ है कि एजेंसी के पास ठोस सबूत हैं। भूपेश बघेल पर पहले से ही कई प्रकार के भ्रष्टाचार, अवैध उगाही, खनन माफिया से सांठगांठ, शराब, कोयला, महादेव सट्टा घोटाले जैसे संगीन आरोप लगे हैं। ईडी और आयकर विभाग की लगातार छापेमारी से यह स्पष्ट हुआ है कि राज्य में उनके शासन के दौरान एक ऐसा तंत्र खड़ा किया गया, जिसमें सत्ता का उपयोग निजी हितों के लिए किया गया।

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सराहनीय है ईडी की कार्यवाही

ईडी ने भ्रष्‍टाचार के खिलाफ बघेल परिवार पर जो कार्यवाही की है वह सराहनीय है। यह उन लोगों को भी जवाब है जो कहते थे कि ईडी कुछ नहीं कर रही है और बघेल परिवार को बचा रही है। आखिरकार ईडी ने अपनी कार्यवाही को अंजाम देना प्रारंभ कर दिया है।

पत्रकारों को झेलनी पड़ी प्रताड़ना, हुई थी गिरफ्तारी

भूपेश बघेल का कार्यकाल कई मायनों में विवादों से घिरा रहा। उन्होंने सत्ता में रहते हुए पत्रकारों और मीडिया संस्थानों पर भी दबाव बनाया। कई पत्रकारों को प्रताड़ना झेलनी पड़ी। मीडिया पर इस प्रकार का शिकंजा लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है। बघेल सरकार में स्वतंत्रता बुरी तरह कुचली गई।

एक नहीं कई घोटालों के सरगना हैं बघेल

जगत विजन ने वर्ष 2021 से ही भूपेश बघेल और चंडाल चौकड़ी के खिलाफ लिखना आरंभ किया था। उनकी एक के बाद एक सभी परते उधेड़ी। यही कारण है कि आज ईडी और आयकर विभाग की टीमों ने बघेल की नींद उड़ा दी है। हजारों करोड़ के घोटालों की परतें जब खुलीं तो आम जनता के टैक्स के पैसे के दुरुपयोग का भयावह सच सामने आया। राज्य की गरीब जनता, आदिवासी, किसान और मजदूर तबका जिन योजनाओं का लाभ लेने के लिए संघर्ष कर रहा था, उन्हीं योजनाओं के पैसों को भ्रष्टाचार के जरिये डकार लिया गया। यह सत्ता के दुरुपयोग की पराकाष्ठा कही जाएगी। भूपेश बघेल के शासन में ऐसा तंत्र बना, जहां अधिकारी, ठेकेदार, माफिया और राजनीतिक नेतृत्व – सभी की साझा मिलीभगत से पैसे का अवैध खेल चलता रहा।

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आखिर कब खुलेगी आलाकमान की आंखें

अब प्रश्न उठता है कि कांग्रेस आलाकमान आखिर कब तक आंखों में पट्टी बांधे बैठेगा? गांधी परिवार और कांग्रेस नेतृत्व पहले भी राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब जैसे राज्यों में अपने मुख्यमंत्रियों की कार्यशैली पर चुप्पी साधे रहा, जिसका परिणाम पार्टी के लिए विनाशकारी साबित हुआ। छत्तीसगढ़ में भी आलाकमान ने भूपेश बघेल को खुली छूट दी, जिसका नतीजा आज पूरे देश के सामने है। चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि कांग्रेस के गिरते नैतिक मूल्यों और भ्रष्ट आचरण के संस्थागतकरण का प्रतीक है। यदि आलाकमान ने समय रहते आत्ममंथन नहीं किया तो आगामी समय में पार्टी के लिए छत्तीसगढ़ में अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाएगा। अपनी सरकार के पांच साल में भूपेश और उनकी चौकड़ी ने कॉंग्रेस नेता को कमजोर करने की पूरी कोशिश की यहां तक विधानसभा चुनावों में अपने नेताओं को हरवाने का काम किया। अब प्रदेश के कांग्रेसी नेताओं चरणदास महंत, टीएस सिंहदेव जैसे कददावर को भी बघेल की करतूतों के विषय में आलाकमान को अवगत कराना चाहिए कि कैसे बघेल पार्टी को खत्‍म करने पर तुले हुए हैं। निश्चित रूप से यदि प्रदेश से बघेल जैसे नेता की छुट्टी होती है तो प्रदेश में कांग्रेस की वापसी हो सकती है। मजे हुए इन नेताओं को बघेल का बिल्‍कुल भी साथ नहीं देना चाहिए।

राज्य के विकास को बघेल ने किया प्रभावित

भूपेश बघेल के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ की पहचान एक भ्रष्टाचारग्रस्त, माफिया संचालित और भययुक्त राज्य के रूप में बन गई। इससे राज्य की प्रतिष्ठा, निवेश वातावरण और विकास की गति– सभी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

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छत्तीसगढ में कांग्रेस के नैतिक पतन के जिम्मेदार हैं भूपेश बघेल

अब सबसे बड़ा सवाल कांग्रेस आलाकमान के समक्ष यह है कि क्या वह भूपेश बघेल जैसे नेताओं के भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करेगा या चुप्पी साधे रखेगा? कांग्रेस का भविष्य उन राज्यों में अब भी सुरक्षित है, जहां संगठन मजबूत और नेतृत्व ईमानदार है। लेकिन जिन राज्यों में भ्रष्टाचार और परिवारवाद की जड़ें गहरी हो चुकी हैं, वहां पार्टी का उभर पाना असंभव होगा। आने वाले लोकसभा चुनाव और उसके बाद की राज्य राजनीति में छत्तीसगढ़ का यह घटनाक्रम निर्णायक भूमिका निभाएगा।

*विजया पाठक की रिपोर्ट*

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दीपक साहू

संपादक

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