80 साल बाद फिर शुरू हुआ भारत का ‘स्वर्ण युग’… KGF से फिर निकलेगा सोना, जानिए KGF का पूरा इतिहास

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नई दिल्ली/स्वराज टुडे: प्राचीन काल में भारत को यूं ही नहीं कहा जाता था सोने की चिड़िया। दरअसल कर्नाटक की कोलार गोल्ड फील्ड्स (KGF) एक बार फिर जगमगाने को तैयार है! लगभग 80 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद भारत की यह ऐतिहासिक सोना खदान फिर से शुरू होने जा रही है। यह स्वतंत्रता के बाद दोबारा खुलने वाली देश की पहली गोल्ड माइंस होगी।

सरकारी अनुमानों के अनुसार, KGF से हर साल करीब 750 किलोग्राम सोने का उत्पादन होने की उम्मीद है। इससे भारत को सोने के आयात पर निर्भरता कम करने और घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

भारत की गोल्ड इकोनॉमी को मिलेगा नया बल

भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है लेकिन अपनी जरूरत का अधिकांश सोना आयात करता है। KGF के फिर से चालू होने से न केवल विदेशी मुद्रा की बचत होगी, बल्कि स्थानीय रोजगार और क्षेत्रीय विकास को भी गति मिलेगी।

इतिहास में दर्ज KGF

कोलार गोल्ड फील्ड्स एक समय पर भारत की सबसे समृद्ध खदानों में शामिल थी। ब्रिटिश शासन के दौरान यहां बड़े पैमाने पर सोने का खनन होता था। अब नई तकनीक और आधुनिक मशीनों की मदद से इस खदान को फिर से उत्पादक बनाया जा रहा है। ब्रिटिश और भारत सरकार ने 1880 से 2001 तक, 121 सालों के दौरान KGF से 900 टन से ज्यादा सोना निकाला। 2001 में गोल्ड माइनिंग पर रोक लग गई। KGF को एक समय ‘सोने का शहर’ और ‘मिनी इंग्लैंड’ कहा जाता था।

  • 1004 से 1116 ईस्वी में चोल साम्राज्य से जुड़े शिलालेखों और ग्रंथों में गोल्ड माइनिंग का जिक्र है।
  • 1336 से 1646 तक विजयनगर राजवंश, 1750 से 1799 तक टीपू सुल्तान ने भी सोना निकाला।
  • 1802 में ब्रिटिश सरकार के लेफ्टिनेंट जॉन वॉरेन ने कोलार में सोने के भंडार पर रिसर्च शुरू किया।
  • 1804 से 1860 तक कोलार में कई रिसर्च और सर्वे के बाद अंग्रेजों ने खुदाई का फैसला किया।
  • 1880 में इंग्लैंड की जॉन टेलर एंड संस नाम की कंपनी ने कोलार में माइनिंग शुरू की।
  • 1943 तक अंग्रेजों ने KGF से 583 टन सोना निकाला और 1947 तक अपना खजाना भरते रहे।
  • ब्रिटिश 1947 में भारत से चले गए। 1956 में कर्नाटक सरकार ने KGF को अपने हाथों में लिया।
  • राज्य सरकार ने जॉन टेलर एंड संस को माइनिंग कंसल्टेंट पॉइंट किया और माइनिंग जारी रखी।
  • 1972 में केंद्र सरकार ने भारत गोल्ड माइन्स लिमिटेड (BGML) कंपनी को KGF सौंप दी।
  • 1980 के दशक में BGML घाटे में जाने लगी, क्योंकि सोना निकालने में ज्यादा पैसा लग रहा था।
  • 2001 में सोने के भंडार में कमी, हाई ऑपरेशन कॉस्ट और कम मुनाफे के कारण BGML बंद हो गई।
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दीपक साहू

संपादक

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