
नई दिल्ली/स्वराज टुडे: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों को लेकर अब तक के किए गए सर्वे और सट्टा बाजार के अनुमानों ने राजनीति के हर प्रशंसक को चौंका दिया है। आगामी 5 फरवरी को होने वाले मतदान से पहले, सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP), और कांग्रेस सहित प्रमुख दलों ने दिल्ली के मतदाताओं को लुभाने के लिए अनगिनत लोकलुभावन वादे किए हैं।
दिल्ली की 70 सीटों पर इस बार मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है, क्योंकि सभी पार्टियां अपनी पूरी ताकत झोंकने के लिए तैयार हैं।
आम आदमी पार्टी (AAP): तीसरी बार सत्ता में आने की चुनौती
AAP के लिए यह चुनाव बहुत अहम साबित हो सकता है। पार्टी ने पिछले दो कार्यकालों में दिल्ली की सत्ता पर अपना कब्जा जमाया, लेकिन अब उसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में AAP लगातार तीसरी बार सत्ता में आने की उम्मीद कर रही है, लेकिन इस बार उसे कई चुनौतियाँ झेलनी पड़ रही हैं। पार्टी की सबसे बड़ी समस्या है मतदाताओं की उदासीनता और सत्ता विरोधी भावना। दिल्ली में रहने वाले लोग अब कुछ खास बदलाव महसूस नहीं कर रहे, और यही बात पार्टी के लिए चिंता का विषय बन चुकी है।
इसके अलावा, भ्रष्टाचार के आरोप और नागरिक सेवाओं में सुधार की कमी ने भी AAP की छवि को प्रभावित किया है। हालांकि, AAP की कल्याणकारी योजनाएं जैसे मुफ्त बिजली, पानी, और शिक्षा की क्षेत्र में किए गए सुधारों ने पार्टी की लोकप्रियता को बनाए रखा है, लेकिन सवाल ये है कि क्या ये योजनाएं इस बार भी पार्टी को फायदा पहुंचाएंगी?
भारतीय जनता पार्टी (BJP): सत्ता पर फिर से कब्जा करने की रणनीति
दिल्ली में करीब तीन दशकों से सत्ता से बाहर चल रही बीजेपी ने इस बार AAP और उसके संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आक्रामक अभियान शुरू कर दिया है। बीजेपी ने जोर शोर से AAP के खिलाफ भ्रष्टाचार और शासन के आरोप लगाए हैं, और उसने चुनावी प्रचार में ‘केजरीवाल सरकार’ की नाकामियों को उजागर किया है। बीजेपी का कहना है कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के नागरिकों के लिए कोई विशेष कार्य नहीं किया और केवल अपनी छवि सुधारने के लिए योजनाएं लागू की हैं।
हालांकि, बीजेपी की मुश्किल यह है कि दिल्ली में कोई विश्वसनीय चेहरा नहीं है जो पार्टी के पक्ष में काम कर सके। अरविंद केजरीवाल ने अपने प्रभावशाली नेतृत्व और कार्यों से दिल्लीवासियों के दिलों में अपनी जगह बनाई है, जिससे बीजेपी को परेशानी हो रही है। फिर भी, पार्टी ने उम्मीद जताई है कि इस बार उसे बीजेपी की तिकड़ी के रूप में समर्थन मिलेगा, और यदि वह इस बार सत्ता में आती है, तो दिल्ली के विकास को तेज करेगी।
कांग्रेस: खोने को कुछ नहीं, लेकिन विरोध में मजबूती
कांग्रेस पार्टी, जो पिछले कुछ वर्षों से दिल्ली में सक्रिय नहीं रही है, ने अब चुनावी मैदान में एंट्री ली है। कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, और शायद यही वजह है कि उसने चुनावी अभियान में देर से भाग लिया। पार्टी का मुख्य उद्देश्य AAP को सत्ता से हटाना और केजरीवाल की नीतियों का विरोध करना है। कांग्रेस ने अपने पुराने वादों को दोहराते हुए दिल्ली के विकास की बात की है, और केजरीवाल के खिलाफ आंदोलन छेड़ा है।
कांग्रेस के पास इस चुनाव में एक मौका हो सकता है, क्योंकि अगर उसे लोगों का थोड़ा भी समर्थन मिल गया, तो वह दिल्ली की सत्ता में अपनी वापसी कर सकती है। हालांकि, पार्टी के पास न तो मजबूत चेहरा है, न ही स्पष्ट चुनावी रणनीति, फिर भी कांग्रेस अपनी पूरी ताकत झोंकने के लिए तैयार है।
सट्टा बाजार और ओपिनियन पोल्स: AAP की वापसी की संभावना
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले किए गए ऑपिनियन पोल्स और सट्टा बाजार के अनुमानों ने AAP को बढ़त दी है। हालांकि, चुनावों से पहले दो हफ्ते में सट्टा बाजार ने कुछ बदलाव दिखाए हैं, लेकिन फिर भी AAP को 70 सदस्यीय विधानसभा में 36 सीटों के बहुमत के आंकड़े को पार करने की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपनी ताकत से AAP को चुनौती दे रही हैं, ऐसे में दिल्ली के मतदाताओं की इच्छा और उनकी प्राथमिकताएं चुनावों के नतीजों को प्रभावित कर सकती हैं।
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