छत्तीसगढ़
रायपुर/स्वराज टुडे: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों व कर्मचारियों द्वारा 10 दिसंबर 2025 को तीन दिवसीय हड़ताल प्रारंभ किया गया था लेकिन शासन के प्रतिनिधि मंडल से आश्वासन मिलने के बाद धरना प्रदर्शन समाप्त कर दिया गया। बता दे कि वेतन – भत्ता बंद, प्रमोशन लंबित और चिकित्सा भत्ता रोकने के विरोध में प्रदेश के 27 केंद्रों के कर्मचारी आंदोलनरत हैं। मैदानी कार्य बंद होने से किसानों की बुआई, तकनीकी मार्गदर्शन और सरकारी योजनाएं प्रभावित हो रही हैं.
रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों, प्रक्षेत्र प्रबंधकों और कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी है. रायपुर से लेकर बिलासपुर, अंबिकापुर, बालोद जांजगीर-चांपा, धमतरी, दुर्ग और अन्य जिलों के कर्मचारी अपनी सात प्रमुख मांगों को लेकर लगातार आवाज बुलंद कर रहे हैं. वेतन और भत्तों में जारी अनियमितता, चिकित्सा भत्ता बंद होने, क्रमोन्नति और प्रमोशन में देरी जैसी समस्याएं लंबे समय से कर्मचारियों को परेशान कर रही हैं. आंदोलन का सबसे बड़ा असर प्रदेश के किसानों पर पड़ रहा है, क्योंकि कृषि विज्ञान केंद्रों का मैदानी कार्य पूरी तरह ठप हो गया है.
कर्मचारी हो रहे परेशान
जांजगीर-चांपा कृषि विज्ञान केंद्र के प्रक्षेत्र प्रबंधक चंद्रशेखर खरे बताते हैं कि कर्मचारियों को 18 महीनों से चिकित्सा भत्ता नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि जीवन अनिश्चित है, परिवारों में हर दिन कोई न कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या आती रहती है, लेकिन भत्ता बंद होने से कर्मचारी कठिनाई झेल रहे हैं. खरे का कहना है कि यह उनका 7वां – 8वां प्रदर्शन है, पर समाधान अब तक नहीं मिला.
सात सूत्रीय मांग पर अड़े
छत्तीसगढ़ कृषि विज्ञान केंद्र कर्मचारी संघ के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप सिंह ने बताया कि 28 नवंबर को कुलपति से मुलाकात हुई थी, जिसमें सात सूत्रीय मांगों पर विस्तार से चर्चा की गई. कुलपति ने 3 दिसंबर की बोर्ड मीटिंग में मुद्दे रखने का आश्वासन दिया था, लेकिन बैठक में कृषि विज्ञान केंद्रों से जुड़ा कोई विषय शामिल ही नहीं किया गया. इससे पूरे प्रदेश के 27 कृषि विज्ञान केंद्रों के अधिकारी और वैज्ञानिक बेहद नाराज हैं.
दुर्ग कृषि विज्ञान केंद्र की डॉ. ललिता रामटेके ने कहा कि एक साल से अधिक समय से उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं हुई है. विश्वविद्यालय के बाबू और चपरासी तक को समय पर वेतन मिल रहा है, लेकिन वैज्ञानिकों, अधिकारियों और विषय विशेषज्ञों का वेतन रोक दिया गया है. प्रमोशन और पदोन्नति भी वर्षों से लंबित है. उन्होंने कहा कि हम पढ़े-लिखे विशेषज्ञ हैं, किसानों की सेवा में दिन-रात लगे रहते हैं, लेकिन हमारी योग्यता के अनुसार वेतनमान नहीं दिया जा रहा है.
धमतरी कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ. शक्ति वर्मा ने बताया कि उनका फील्ड में न जाना किसानों को सीधे नुकसान पहुंचा रहा है. अभी खरीफ के बाद रबी फसल की तैयारी का समय है बीज बुआई, फसल चयन, बीजोपचार, किट-रोग नियंत्रण जैसे महत्वपूर्ण तकनीकी मार्गदर्शन किसान KVK से ही पाते हैं. उन्होंने कहा कि हम हजारों किसानों से जुड़े हैं, लेकिन वेतन विसंगति और अनदेखी से मजबूरी में प्रदर्शन कर रहे हैं. फील्ड में हमारी अनुपस्थिति से किसानों की बुआई और उत्पादन दोनों प्रभावित होंगे.
उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं जैसे दलहन-तिलहन प्रोत्साहन कार्यक्रम, फसल सुरक्षा अभियान, तथा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की जागरूकता गतिविधियां KVK के माध्यम से ही किसानों तक पहुंचाती हैं. लेकिन कर्मचारियों के आंदोलन के चलते ये सभी कार्यक्रम प्रभावित हो रहे हैं.
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में चल रहा आंदोलन न सिर्फ कर्मचारियों की आवाज को बुलंद कर रहा है, बल्कि यह भी स्पष्ट कर रहा है कि कृषि विज्ञान केंद्रों के बिना किसानों तक तकनीकी सहायता पहहुंचना लगभग असंभव है. यदि समस्याओं का जल्द समाधान नहीं हुआ तो आने वाले रबी सीजन में किसानों को फसल उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पर बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
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