घोटाला उजागर होते ही बौखलाए सरपंच-सचिव, महिला के नाम से पत्रकार को फंसाने की घिनौनी साजिश का खुलासा

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घोटाले उजागर होते ही बौखलाए सरपंच-सचिव..! जांच हुई तो जाएंगे जेल..?
पत्रकारों पर झूठे छेड़छाड़ के आरोप — शिकायतकर्ता महिला बोली, “मेरे नाम से हुई फर्जी शिकायत”

कोरबा/स्वराज टुडे: पोड़ी उपरोड़ा। ग्राम पंचायत लालपुर के सरपंच और सचिव भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में फंसे हुए हैं। पंचायत में लाखों रुपये की हेराफेरी उजागर होते ही दोनों बौखला गए और अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए घोर निंदनीय हरकतों तक उतर आए। मीडिया में जब पंचायत के भ्रष्टाचार की खबरें प्रकाशित हुईं तो सरपंच-सचिव ने पत्रकारों पर छेड़छाड़ जैसे झूठे और शर्मनाक आरोप लगाकर अपनी करतूतें छिपाने की कोशिश की।

मामले में खुलासा तब हुआ जब 09 अक्टूबर 2025 को कोरबा एसपी कार्यालय में एक महिला के नाम से आवेदन दिया गया। इस आवेदन में पत्रकारों पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया था। लेकिन जब उस महिला से इस विषय में बात की गई तो उसने स्पष्ट कहा कि उसने कोई शिकायत नहीं की है। महिला का कहना है कि किसी ने उसके नाम का दुरुपयोग कर उसके नाम से फर्जी शिकायत कर दी है,ऐसी कोई घटना नही हुई है। जिससे साफ जाहिर होता है कि सरपंच और सचिव किस हद तक जा सकते हैं।

लालपुर पंचायत में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि पंचायत में फर्जी जिओ-टेक, फर्जी निर्माण कार्य, फर्जी मस्टररोल और फर्जी भुगतान के माध्यम से लाखों रुपये का गबन किया गया है। बिना कार्य किए ही भुगतान कर दिया गया और पैसे अपने चहेते लोगों और खुद के खातों में ट्रांसफर किए गए। यह पूरा खेल सरपंच और सचिव की मिलीभगत से रचा गया, जिन्होंने सरकारी धन को निजी संपत्ति समझकर लूट मचाई।

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भ्रष्टाचार की खबरें मीडिया में आने के बाद सरपंच और सचिव इतने विचलित हो गए कि उन्होंने पत्रकारों की छवि धूमिल करने का कुत्सित प्रयास किया। पत्रकारों पर झूठे आरोप लगाकर उन्होंने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला किया है। पत्रकारों की एकता और सच्चाई से डरकर अब ये लोग ऐसे ओछे हथकंडे अपनाने पर उतारू हो गए हैं।

लालपुर के सरपंच-सचिव के इस कृत्य की हर ओर निंदा हो रही है। समाज के बुद्धिजीवियों और पत्रकारों ने इस घटना को अत्यंत निंदनीय बताया है। बिलासपुर, कोरबा और कटघोरा के पत्रकार संगठनों ने भी एकजुट होकर निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

जनता का कहना है कि अगर इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो जाए तो सच्चाई सामने आने में देर नहीं लगेगी और दोषी सीधे जेल की सलाखों के पीछे होंगे। पंचायत में जिस तरह से सरकारी धन का बंदरबांट किया गया है, वह शासन-प्रशासन के लिए भी एक चुनौती है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन इन भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करेगा या फिर उन्हें संरक्षण मिलेगा..?

लालपुर पंचायत का यह मामला न केवल भ्रष्टाचार का प्रतीक है, बल्कि यह बताता है कि जब सत्ता और लालच एक साथ मिल जाते हैं, तो कैसे सच्चाई को दबाने के लिए निर्दोषों पर झूठे आरोप लगाए जाते हैं। ऐसे सरपंच-सचिव न केवल प्रशासन की छवि धूमिल कर रहे हैं बल्कि पूरे समाज पर कलंक बन चुके हैं।

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दीपक साहू

संपादक

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