छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे की शिकायत के बाद 19 कब्जाधारियों को नोटिस दिया गया था मुनादी भी कराई गई, जिसके बाद 9 घरो को प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए अतिक्रमण मुक्त कराया,मगर बचे हुए 10 अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई नहीं होने से कोई असर नहीं हुआ। और प्रशासन की तरफ से अभी तक किसी भी प्रकार की शासकीय भूमि को कब्जामुक्त कराने के लिए आगे की कार्रवाई नहीं की गई है। जो शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है।

ये मामला कोरबा के मानिकपुर डिपरापारा का है जहां करीब 01 एकड़ शासकीय भूमि को लक्ष्मण लहरे, सीताराम चौहान, राजू सिमोन और सूरज चौहान के द्वारा करीब 19 लोगों को प्लॉट काट काटकर करोड़ों रुपये में बेचा गया था। शासकीय भूमि पर हुए अवैध कब्जे को हटाने व कार्रवाई के लिए पार्षद सुनीता चौहान ने पिछले करीब तीन महीने से तहसील, कोरबा कलेक्टर कार्यालय, नगर निगम ,पटवारी से ले कर कोरबा विधायक व उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन तक शिकायत की थी। जिसके दो महीने बाद 9 घरों पर प्रशासन की तरफ से कार्रवाई की गई थी। पर बाकी 10 घरों को दो दिनों की मोहलत दी गई थी जिस पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।
आधी अधूरी कार्रवाई बना शहर में चर्चा का विषय
प्रशासन की आधी अधूरी कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं कि जब 19 अवैध निर्माण पर कार्रवाई हो रही थी तो 10 घरों को क्यों छोड़ दिया गया । इधर फिर 10 घरों को बचाने के और उच्च अधिकारी के नाम से पचास पचास हजार रुपये की वसूली करने की भी शिकायत सामने आई है।
कब्जा हटाने मांग की थी
10 जून को पार्षद सुनीता चौहान ने कोरबा कलेक्टर,तहसील कार्यालय, एसडीएम कोरबा, नगर निगम कोरबा और दादर पटवारी से आवेदन देकर कब्जा हटाने की मांग की थी। लेकिन लगभग 3 महीने बाद भी नतीजा शून्य है। क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि लक्ष्मण लहरें, सीताराम चौहान, राजू सिमोन, सूरज चौहान और कब्जाधारियों को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है, जिसके चलते अब कार्रवाई रोक दी गई है।
अब शहर की जनता जानना चाहती है कि ऐसे जमीन दलालों को किसका राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है। कौन दे रहा है।
खैर देखने वाली बात अब यह होगी कि प्रशासन के द्वारा शासकीय भूमि से अवैध कब्जे पर हुए अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए की आगे की कार्रवाई कब की जाती है।

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