छत्तीसगढ़
धमतरी/स्वराज टुडे: 14 अगस्त से 15 सितम्बर तक बालिका सुरक्षा माह मनाने के निर्देश में कलेक्टर अविनाश मिश्रा, जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती जगरानी एक्का, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्री महेश मरकाम, जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री आनंद पाठक, महिला एवं बाल विकास विभाग के निर्देशों के परिपालन में धमतरी जिले में प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर्स के द्वारा बालिका सुरक्षा माह के कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
बालिका सुरक्षा माह के अन्तर्गत नगरी में शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में बाल अपराध बाल अधिकार, बाल संरक्षण, बाल विवाह, बाल श्रम, भ्रुण हत्या, लैंगिक अपराध एवं बालिकाओं के लिंगानुपात, गुड टच बैड टच. मानव तस्करी, सोशल मीडिया मोबाइल से दूरी के के संबंध में जानकारी प्रदान की गई। जिसमें चाइल्ड हेल्पलाइन परियोजना समन्वयक नीलम साहू के द्वारा बालिकाओं को लैंगिक अपराधों से बालिका का संरक्षण अधिनियम 2012 (पॉक्सो एक्ट) के बारे में जानकारी प्रदान की गई।
बालिका सुरक्षा माह का उद्देश्य 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और अश्लील सामग्री के दुरुपयोग से बचाना है। यह अधिनियम बच्चे के यौन अपराधों को परिभाषित करता है ऐसे अपराधी के लिए दण्ड का प्रावधान है और मामले की त्वरित निपटान के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना करता है। लडका एवं लडकी दोनों बच्चों की सुरक्षा करना है, बालिका को घुरना, पीछा करना, रास्ता रोकना, गलत इरादे से बात करना एवं गुड टच बैड टच भी अपराध की श्रेणी में आता है।
चाइल्ड हेल्पलाइन सुपरवाइजर अनुराग खालखो एवं गिरधारी लाल सुपरवाइजर के द्वारा बताया गया की यदि किसी व्यक्ति द्वारा बालिका को बहला कर प्रेम जाल में फंसा कर या डरा धमका कर उसका लैंगिक शोषण किया जाता है या शोषण करने के लिए उकसाया जाता है और बार-बार लैंगिक शोषण करता है तो बालिका को उसके खिलाफ जाकर विश्वास पात्र व्यक्ति को बताना चाहिए। जैसे कि स्कूल में अपने शिक्षक को या फिर अपने परिवार में जो उनके सबसे करीब होते हैं उनको इस अपराध के बारे में जानकारी देनी चाहिए, जिससे कि उस अपराधी व्यक्ति पर तत्काल कार्यवाही की जा सके।
लैंगिक शोषण की घटना को बालिका जिसको बताती है, चाहे वह कोई भी व्यक्ति हो वह बालिका का सहयोग नहीं करता है और उस अपराधी व्यक्ति के खिलाफ अपराध कायम नहीं कराता है तो उस व्यक्ति पर भी इस एक्ट के तहत कार्यवाही की जाती है।
किसी बालिका के साथ लैंगिक शोषण की हो रही ऐसी घटना को छुपाना अपराध की श्रेणी में आता है। कुछ बालिकाएं तो समाज व परिवार के डर से अपने साथ हो रही लैंगिक शोषण की घटना का जिक्र नहीं करती चुपचाप इस अपराध को सहती रहती है और गर्भवती हो जाती है। कुछ बालिकाएं समाज एवं परिवार के डर से गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन कर लेती हैं, जिससे उनकी जान को खतरा हो जाता है और उनकी स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ जाता है जो कि काफी घातक हो जाता है एवं कुछ बिना विवाह के भी कम उम्र में मां बन जाती है। इनमें से कुछ तो नवजात शिशु को मार देते है या फेंक देते हैं नवाजात शिशु को मारना या फेकना भी अपराध की श्रेणी में आता है ऐसे शिशु को वह अस्पतालों के पालना केन्द्र में डाल सकती है या बच्चे को बाल कल्याण समिति धमतरी के समक्ष अभ्यर्पित कर सकती हैं इनमे से जो नाबालिक बालिका होती हैं उनकी पहचान गोपनीय रखी जाती है। किसी भी बालिका को ऐसी परिस्थति का सामना न करना पड़े उसके लिए खुद उनको अपनी सुरक्षा के लिए जागरूक होना पड़ेगा एवं शुरूआत में भी अपने खिलाफ हो रहे हैं अपराध को आगे आकर बताना होगा तब कही यह अपराध रूकेगा।
ऐसे अपराधो की जानकारी टॉल फ्री चाईल्ड हेल्प लाईन नंबर 1098 महिला हेल्पलाइन नंबर 181, एमरजेन्सी नंबर 112 में सूचना कर सकती है। इस एक्ट में दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को 3 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
बालिका सुरक्षा माह के कार्यक्रम में शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नगरी के प्राचार्य , शिक्षक गण ,बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रही।
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