राजस्थान
जयपुर/स्वराज टुडे: राजस्थान की राजधानी जयपुर के एक कोचिंग सेंटर में सनसनीखेज मामला सामने आया. यहां नीट की तैयारी कर रही एक छात्रा अचानक कोचिंग सेंटर की ऊंची बिल्डिंग पर चढ़ गई और कूद जाने की धमकी देने लगी. इस दौरान मौके पर मौजूद लोग सहम गए. कुछ देर में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए.
पढ़ाई को लेकर डिप्रेशन में थी छात्रा
मिली जानकारी के अनुसार, छात्रा काफी समय से डिप्रेशन में थी और कोचिंग के टेस्ट भी नहीं दे पाई थी. शुक्रवार दोपहर करीब 2 बजे छात्रा कोचिंग सेंटर की बिल्डिंग की छत पर पहुंची और किनारे पर खड़े होकर छलांग लगाने की धमकी देने लगी. इस मामले को लेकर कोचिंग संस्थान में हड़कंप मच गया. कोचिंग के कर्मचारियों ने तुरंत सक्रियता दिखाई और कुछ ही समय में सूझबूझ दिखाकर छात्रा को सुरक्षित नीचे उतार लिया.
इस घटना का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि छात्रा कोचिंग सेंटर की बिल्डिंग की छत पर है. वहां वह मुंडेर पर खड़ी दिखाई दे रही है. वहीं नीचे तमाम लोग खड़े हैं, जो उसे रोकने की कोशिश कर रहे हैं. गनीमत रही कि समय रहते संस्थान के कर्मियों ने छात्रा को उतार लिया.
पुलिस ने कही ये बात
थानाधिकारी गुंजन वर्मा ने बताया कि यह घटना शुक्रवार की दोपहर करीब 2 बजे की है. छात्रा लंबे समय से डिप्रेशन में थी. उसने कोचिंग के टेस्ट भी नहीं दिए थे. परिजनों को जब इसकी जानकारी मिली तो वे आनन-फानन में तुरंत जयपुर पहुंचे. परिजनों की डांट के डर से घबराकर छात्रा छत पर चढ़ गई. हालांकि, छात्रा को सुरक्षित नीचे उतारने के बाद परिजन उसे अपने साथ घर ले गए. उन्होंने किसी भी प्रकार की शिकायत पुलिस से नहीं की है.
माता पिता बच्चों पर ना डालें पढ़ाई का अनावश्यक दबाव
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मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं:अत्यधिक दबाव बच्चों में तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।
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नकारात्मक प्रभाव:यह बच्चों के विकास में बाधा डाल सकता है और माता-पिता के साथ झगड़ों का कारण बन सकता है, जिसके दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं।
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असफलता का डर:अवास्तविक अपेक्षाएं बच्चों में असफलता का डर पैदा कर सकती हैं।दबाव कम करने के तरीके1. उचित अपेक्षाएं तय करें:अपने बच्चे की क्षमता और रुचि के अनुसार ही अपेक्षाएं निर्धारित करें, जो प्राप्त करने योग्य हों।2. प्रक्रिया पर ध्यान दें, परिणाम पर नहीं:बच्चे के प्रयासों और विकास को स्वीकार करें, भले ही उसे सर्वोच्च सफलता न मिले।3. खेल-खेल में सिखाएं:पढ़ाई को मजेदार बनाने के लिए खेल-खेल में सिखाने के तरीके अपनाएं।4. सकारात्मक प्रोत्साहन दें:बच्चे को प्रोत्साहित करें और उसे याद दिलाएं कि सीखना एक सकारात्मक अनुभव है जिससे उसे जीवन भर फायदा होगा।5. स्वतंत्रता दें:बच्चे को कुछ हद तक आज़ादी दें ताकि वह निर्णय ले सके और स्वायत्तता विकसित कर सके।6. खुली बातचीत करें:बच्चे को अपनी चिंताओं और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए एक सुरक्षित माहौल दें।7. संतुलन बनाएं:पढ़ाई और अन्य गतिविधियों के बीच संतुलन बनाए रखें और बच्चों को उनकी रुचियों को विकसित करने का अवसर दें8. खुद पर भी ध्यान दें:अगर आपको लगता है कि आप बच्चे पर बहुत दबाव डाल रहे हैं, तो खुद से पूछें कि यह क्यों महत्वपूर्ण है।

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