छत्तीसगढ़ विधानसभा में गरमाया मीडिया सम्मान परिवार और जनसंपर्क विभाग का मुद्दा, विधायक भावना बोहरा ने लगाए गंभीर आरोप

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छत्तीसगढ़
रायपुर/स्वराज टुडे:  छत्तीसगढ़ विधानसभा में जनसंपर्क विभाग की विज्ञापन वितरण प्रणाली और ‘मीडिया सम्मान परिवार’ कार्यक्रम को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा विधायक भावना बोहरा ने इस मामले को सदन में उठाते हुए भ्रष्टाचार और पक्षपात के गंभीर आरोप लगाए।

● भ्रष्टाचार और पक्षपात: विधायक भावना बोहरा का कहना है कि जनसंपर्क विभाग निष्पक्ष पत्रकारिता की अनदेखी कर कुछ खास मीडिया संस्थानों को अनुचित लाभ पहुंचा रहा है। स्थानीय वेब पोर्टल, पत्र-पत्रिकाओं और छोटे समाचार संस्थानों को लगातार विज्ञापन से वंचित रखा जा रहा है, जबकि बाहरी मीडिया संस्थानों को भारी मात्रा में सरकारी विज्ञापन दिए जा रहे हैं।

● विज्ञापन वितरण में अनियमितता: विगत कई वर्षों से प्रदेश के स्थानीय डिजिटल और प्रिंट मीडिया को सरकारी विज्ञापन नहीं मिल रहे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती जा रही है। वहीं, ऐसे संस्थान जिनका छत्तीसगढ़ से सीधा संबंध नहीं है, वे करोड़ों के विज्ञापन प्राप्त कर रहे हैं।

● RTI से हुआ बड़ा खुलासा: मीडिया सम्मान परिवार के सदस्य व पत्रकार अनुराग शर्मा ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जनसंपर्क विभाग से जानकारी प्राप्त की, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि विज्ञापन वितरण में पारदर्शिता नहीं है और विभाग में अनियमितताएं हो रही हैं।

● विधानसभा में सरकार से मांगा जवाब: इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच भले ही तीखी नोकझोंक न हुई हो, लेकिन विधायक भावना बोहरा ने सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा। विपक्ष ने भी बोहरा के आरोपों का समर्थन किया, जबकि मंत्रीगण जांच कराने और परीक्षण करने की बात कहकर मामले को टालते नजर आए।

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● सरकार के 1 साल के कामकाज पर सवाल: विधायक बोहरा ने मौजूदा सरकार के एक साल के कार्यकाल को भी कटघरे में खड़ा किया और कहा कि यदि सरकार पारदर्शिता और निष्पक्षता में विश्वास रखती है, तो वह इस मामले में तत्काल ठोस कदम उठाए।

विधानसभा अध्यक्ष ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। अगर इस मुद्दे पर और प्रमाण सामने आते हैं, तो जनसंपर्क विभाग के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। विपक्ष भी इस मुद्दे को आने वाले विधानसभा सत्रों में आक्रामक रूप से उठा सकता है।

इस मामले ने छत्तीसगढ़ की मीडिया नीति और सरकारी विज्ञापन वितरण में पारदर्शिता को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।

मीडिया सम्मान परिवार और छोटे पत्रकार संगठनों की मांग है कि सरकार विज्ञापन वितरण में निष्पक्षता बरते और छोटे डिजिटल व प्रिंट मीडिया को भी उनका हक दिया जाए।

मामले की गंभीरता और संभावित असर

● स्वतंत्र मीडिया की भूमिका पर प्रभाव: अगर सरकारी विज्ञापन सिर्फ कुछ चुनिंदा मीडिया संस्थानों तक सीमित रहते हैं, तो यह निष्पक्ष और स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

●  विज्ञापन वितरण में सुधार की मांग: अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच होती है, तो भविष्य में सरकारी विज्ञापन वितरण प्रणाली में सुधार और पारदर्शिता आने की संभावना है।

● राजनीतिक बहस का विषय: विपक्ष इस मुद्दे को आगामी विधानसभा सत्रों में और जोर-शोर से उठा सकता है, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ेगा।

अगर जांच के दौरान ठोस सबूत सामने आते हैं, तो यह मामला प्रदेश की मीडिया नीतियों में सुधार और विज्ञापन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या ठोस कार्रवाई करती है या यह मामला सिर्फ विधानसभा की बहस तक ही सीमित रह जाता है।

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दीपक साहू

संपादक

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