
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष —घरेलू हिंसा (Domestic Violence)
घरेलू हिंसा का अर्थ है परिवार या नजदीकी रिश्तों में किसी व्यक्ति द्वारा किए गए शारीरिक, मानसिक, यौन, भावनात्मक या आर्थिक शोषण। यह आमतौर पर पति-पत्नी, लिव-इन पार्टनर, माता-पिता, ससुराल वालों या अन्य परिजनों के बीच हो सकता है।
घरेलू हिंसा के प्रकार:
1. शारीरिक हिंसा: मारपीट, जलाना, धक्का देना, चोट पहुंचाना।
2. मानसिक या भावनात्मक शोषण: गाली देना, अपमान करना, धमकाना, मानसिक रूप से प्रताड़ित करना।
3. यौन हिंसा: जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाना, यौन उत्पीड़न।
4. आर्थिक शोषण: पैसे न देना, आर्थिक रूप से निर्भर बनाना, जबरन संपत्ति हड़पना।
5. सामाजिक प्रतिबंध: घर से बाहर जाने या लोगों से मिलने पर रोक लगाना, स्वतंत्रता छीनना।
भारत में घरेलू हिंसा कानून
भारत में घरेलू हिंसा से निपटने के लिए “घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005” (Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005) लागू है। यह कानून महिलाओं को कानूनी सुरक्षा और अधिकार प्रदान करता है।
इस कानून के तहत महिलाओं को क्या अधिकार मिलते हैं?
• सुरक्षा आदेश (Protection Order): पीड़िता को हिंसा से बचाने के लिए कोर्ट आदेश जारी कर सकता है।
• निवास अधिकार (Right to Residence): महिला को घर से नहीं निकाला जा सकता, भले ही घर पति या ससुराल वालों के नाम हो।
• प्रताड़ना रोकने के आदेश (Restraint Order): आरोपी को पीड़िता के संपर्क में आने से रोका जा सकता है।
• मुआवजा (Compensation): पीड़िता को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक नुकसान के लिए मुआवजा दिया जा सकता है।
• निर्वाह भत्ता (Maintenance): पीड़िता को आर्थिक सहायता देने का आदेश दिया जा सकता है।
घरेलू हिंसा की रिपोर्ट कैसे करें?
अगर आप घरेलू हिंसा का शिकार हैं या किसी और की मदद करना चाहते हैं, तो आप इन तरीकों से मदद ले सकते हैं:
1. पुलिस हेल्पलाइन: 112 या 100 पर कॉल करें।
2. महिला हेल्पलाइन: 181 (महिला सहायता नंबर)
3. NCW (National Commission for Women): 1091 पर कॉल करें या www.ncw.nic.in पर शिकायत दर्ज करें।
4. राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की ईमेल हेल्पलाइन: complaint@ncw.nic.in
5. NGO और महिला सहायता केंद्र: विभिन्न गैर-सरकारी संगठन (NGO) पीड़ित महिलाओं को कानूनी और मानसिक सहायता प्रदान करते हैं।
6. कानूनी सहायता: महिला अपने नजदीकी कोर्ट में जाकर घरेलू हिंसा की शिकायत कर सकती है।
7. जिला संरक्षण अधिकारी महिला और बाल विकास विभाग ।
8. पंजीकृत सेवा प्रदाता ( एनजीओ)
घरेलू हिंसा से बचने के उपाय
• आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनें।
• अपने अधिकारों की जानकारी रखें।
• जरूरत पड़ने पर दोस्तों और परिवार से मदद लें।
• स्थानीय पुलिस और हेल्पलाइन नंबरों को सेव करके रखें।
• किसी भी तरह की हिंसा सहन न करें और तुरंत कानूनी मदद लें।
घरेलू हिंसा एक गंभीर अपराध है, और इसे रोकने के लिए समाज और सरकार दोनों को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। यदि आप या आपका कोई परिचित इस समस्या से जूझ रहा है, तो बिना देरी के मदद लें। चुप्पी तोड़िये और अपने हक़ के लिए लडिये।
संकलनकर्ता – सुरेन्द्र साहू ( डबल एम ए हिन्दी साहित्य,समाज शास्त्र,एल एल बी )प्रदेश सचिव छत्तीसगढ़ शबरी सेवा संस्थान लखनपुर जिला सरगुजा छग मोबाइल 09424249384, 09977225594
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