5 साल में 403 भारतीय छात्रों की विदेशों में मौत, US में एक महीने में ही 6 मरे, विदेशों में पढ़ने का जानलेवा सपना

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नई दिल्ली/स्वराज टुडे: भारतीय छात्रों का विदेशों में पढ़ने का ड्रीम जानलेवा बनता जा रहा है और उनकी सुरक्षा अब एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। हर साल हजारों की संख्या में भारतीय छात्र अलग अलग देशों में पढ़ने के लिए देश से बाहर निकलते हैं, लेकिन अगर किसी छात्र की मौत की खबर आती है, तो उनकी सुरक्षा को लेकर सवाल नये सिरे से उठ जाते हैं।

साल 2024 की शुरुआत भी काफी उदासी भरी रही। पिछले कुछ दिनों में भारतीय या भारतीय मूल के छात्रों की कम से कम छह मौतें सिर्फ अमेरिका में हुई हैं। हरियाणा के एक छात्र की मौत की सीसीटीवी फूटेज ने दिल दहला कर रख दिया, क्योंकि उसके सिर पर हथौड़े से 50 से ज्यादा वार किए गये थे।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में जानकारी दी है, कि साल 2018 से प्राकृतिक कारणों, दुर्घटनाओं और चिकित्सा स्थितियों सहित विभिन्न कारणों से कुल 403 भारतीय छात्रों की विदेशों में मृत्यु हो गई है। उन्होंने बताया, कि कनाडा में सबसे ज्यादा 91 भारतीय छात्रों की मौत हुई, जबकि यूनाइटेड किंगडम 48 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है।

विदेश मंत्री ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा, कि “मंत्रालय के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, प्राकृतिक कारणों, दुर्घटनाओं और चिकित्सा स्थितियों सहित विभिन्न कारणों से 2018 से विदेशों में भारतीय छात्रों की मौत की 403 घटनाएं सामने आई हैं।” विदेश मंत्री ने कहा, कि विदेशों में भारतीय छात्रों का कल्याण और उनकी सुरक्षा, सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।

संसद में विदेश मंत्री ने जो आंकड़ा पेश किया है, उसके मुताबिक कनाडा में 91, ब्रिटेन में 48, रूस में 40, अमेरिका में 36, ऑस्ट्रेलिया में 35, यूक्रेन में 21 और जर्मनी में 20 भारतीय छात्रों की मौत हुई। आंकड़ों के मुताबिक, साइप्रस में 14, फिलीपींस और इटली में 10-10 और कतर, चीन और किर्गिस्तान में नौ-नौ भारतीय छात्रों की मौत हुई है।

अमेरिका में भारतीय छात्रों की हत्या

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान विशेष रूप से उस चिंताजनक समय पर आया है, जब जनवरी महीने के भीतर संयुक्त राज्य अमेरिका में चार भारतीय या भारतीय मूल के छात्रों की हत्या कर दी गई है। न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने गुरुवार को ओहियो में एक भारतीय अमेरिकी छात्र श्रेयस रेड्डी बेनिगेरी की मौत के बारे में जानकारी दी है, हालांकि इसमें किसी गड़बड़ी की आशंका नहीं है।

यह घटना प्रतिष्ठित पर्ड्यू विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे भारतीय मूल के छात्र नील आचार्य के विश्वविद्यालय कैंपस में मृत पाए जाने के कुछ दिनों बाद हुई। इससे पहले, हरियाणा के रहने वाले 25 वर्षीय भारतीय छात्र विवेक सैनी पर जॉर्जिया राज्य के लिथोनिया शहर में एक बेघर नशेड़ी ने जानलेवा हमला किया था।

इलिनोइस यूनिवर्सिटी अर्बाना-शैंपेन में एक अन्य भारतीय-अमेरिकी छात्र, 18 वर्षीय अकुल बी धवन को पिछले महीने हाइपोथर्मिया के लक्षणों के साथ मृत पाया गया था। धवन कथित तौर पर 20 जनवरी की सुबह लापता हो गए थे और लगभग 10 घंटे बाद इलिनोइस में विश्वविद्यालय परिसर के पास एक इमारत के पिछले बरामदे में मृत पाए गए थे।

भारतीय छात्रों की सुरक्षा पर चिंता

2017 के एक स्टडी रिपोर्ट से पता चला है, कि अमेरिका में भारतीय छात्रों को “उच्च स्तर की चिंता” है और उनमें से बड़ी संख्या में अपनी शारीरिक सुरक्षा और अवांछित होने की भावना के बारे में चिंता है।

अमेरिका स्थित एनजीओ, द इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन (आईआईई) द्वारा किए गए सर्वेक्षण में सुझाव दिया गया है, कि भारतीय छात्रों को “संयुक्त राज्य अमेरिका में संभावित अध्ययन के बारे में उच्च स्तर की चिंता है।” सर्वे में 80 प्रतिशत संस्थानों ने जवाब दिया, कि भारतीय छात्रों की शारीरिक सुरक्षा महत्वपूर्ण थी।” अध्ययन में चेतावनी दी गई है, कि चिंताओं के कारण कई भारतीय छात्र कुछ दूसरे देशों की तरफ रूख कर सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, कि जो लोग अमेरिका में पले-बढ़े हैं, उनके खिलाफ भेदभाव स्कूल से ही शुरू हो जाता है। 2022 के एक अन्य नए अध्ययन में कहा गया है, कि युवा भारतीय अमेरिकियों को नियमित रूप से प्रीस्कूल से ही नस्लीय और जातीय भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जो उनकी पहचान के विकास को प्रभावित करता है।

टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अध्ययन के अनुसार, दूसरी पीढ़ी के भारतीय-अमेरिकी किशोर “विशेष रूप से भेदभाव के प्रति संवेदनशील होते हैं, क्योंकि वे अपनी पहचान तलाशने और बनाने की कोशिश करते हैं।” सितंबर 2022 में, हिंदू संगठनों ने भारतीय समुदाय के खिलाफ घृणा अपराधों में वृद्धि के बारे में चिंता जताई थी।

एफबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में 2022 में 25 हिंदू-विरोधी घृणा अपराध हुए, जो 2021 में 12 से दोगुने से ज्यादा है। 2020 में केवल 11 “हिंदू-विरोधी पूर्वाग्रह” वाले घृणा अपराध हुए थे।

विदेश विभाग और आईआईई की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022-23 शैक्षणिक वर्ष में अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 40 से ज्यादा वर्षों में सबसे बड़ी उछाल है। नवंबर 2023 में जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत से आने वाले छात्रों में 35 फीसदी का उछाल आया था।

अमेरिकी कॉलेजों में भारत से लगभग 269,000 छात्रों ने दाखिला लिया है, जो पहले से कहीं ज्यादा और चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।

 

दीपक साहू

संपादक

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