राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में 248 वीं सुनवाई सम्पन्न, अनेक प्रकरणों का किया गया निपटान

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* बेजा कब्जा की विस्तृत जांच हेतु कलेक्टर रायपुर को भेजा जायेगा पत्र ।

* आयोग की सलाह पर अनावेदक बच्चों को 5 हजार रू. भरण-पोषण देने के लिए हुआ तैयार ।

* 9 साल का अनुभव प्रमाण पत्र व 2 माह का बकाया वेतन देने तैयार हुआ स्कूल प्रबंधन ।

रायपुर /स्वराज टुडे:  छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य श्रीमती बालो बघेल ने 2 अप्रैल को छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में मंगलवार को 248 वीं सुनवाई हुई। रायपुर जिले में कुल 120 वीं जनसुनवाई रही।

इस सुनवाई दौरान के एक प्रकरण में आवेदिका अनावेदिका (प्रिंसिपल) के स्कूल में 9 वर्षों से कार्यरत् थी। 3 मार्च 2024 को स्कूल के वार्षिक उत्सव पर आवेदिका ने हिस्सा लिया जहां अनावेदिका ने सबके सामने उनकी तारीफ की लेकिन 7 मार्च 2024 को आवेदिका को अचानक नौकरी से निकाल दिया गया, जिससे आवेदिका को काफी मानसिक आघात हुआ। अनावेदिका पक्ष ने कहा कि उनके स्कूल में 02 से लेकर 05 वर्ष तक के बच्चे पढ़ते है। कुछ बच्चों के माता-पिता की शिकायत पर आवेदिका को नौकरी से निकाल दिया गया था। जिसपर आवेदिका का कथन था कि उसे कभी भी शिकायत के बारे में ना बताया गया और ना ही कोई नोटिस दिया गया। अचानक नौकरी से निकाल देने से उसके सामने रोजगार का मुद्दा है। दोनो पक्षों को विस्तार से सुना गया, आवेदिका अपने 9 साल के कार्यकाल का अनुभव प्रमाण पत्र व नोटिस पीरियड का 2 माह का वेतन चाहती है। जिसे देने के लिए अनावेदक पक्ष तैयार है। अनावेदक आज ही दोनो चीजें आयोग के समक्ष आवेदिका को देने के लिए तैयार है।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका का पति अनावेदक क्र.1 SDO (P) के पद पर कार्यरत् है। आवेदिका के साथ उनके वैवाहिक संबंध में ज्यादा समस्या नहीं दिख रही ऐसी दशा में उसकी अनुपस्थिति में प्रकरण सुना जाना संभव नहीं हैं। अनावेदक क्र.1 के माता-पिता को समझाईश दिया गया कि आगामी सुनवाई मे वह अपने बेटे को लेकर उपस्थित हो। ताकि दोनों पक्षों की काउंसलिंग कर प्रकरण का निराकरण किया जा सके।

अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों को सुना गया, आवेदिका का कथन है कि सभी अनावेदकगणों ने ग्राम की जमीन पर कब्जा कर आवेदिका को परेशान करते है। अनावेदक पक्ष ने स्वीकार किया कि उनके द्वारा कुछ जमीनों पर कब्जा किया गया है लेकिन अनावेदकगणों का आरोप है कि आवेदिका ने ज्यादा जमीन पर कब्जा किया है। उभय पक्षों की सहमति से आयोग ने यह तय किया कि कलेक्टर रायपुर थाना नयापारा क्षेत्र के ग्राम सुंदरकेरा की शासकीय भूमि के अभिलेख के साथ RI व पटवारी की टीम बनाकर ग्राम सुंदरकेरा के समस्त शासकीय भूमि का चिन्हांकन कर उचित कानूनी कार्यवाही करे व तीन माह के अंदर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर आयोग को प्रस्तुत करेंगे। ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके। यह भी कहा गया कि रिपोर्ट आने तक दोनो पक्ष एक-दूसरे पर कोई भी कार्यवाही नही करेंगें। रिपोर्ट के पश्चात् प्रकरण अंतिम रूप से सुना जायेगा।

अन्य प्रकरण में दोनो पक्षो को सुना गया आवेदिका रोजगार सहायक के पद पर कार्यरत् है। अनावेदक उसी ग्राम का सरपंच है। आवेदिका के काम में अनावेदक हस्तक्षेप, गाली-गलौच व दुर्व्यवहार करता है। इस पूरे मामले में यह स्पष्ट है कि आवेदिका का कार्यस्थल किसी अन्य ग्राम पंचायत में किया जाना ही श्रेष्ठ होगा लेकिन इसके पूर्व सी.ई.ओ. जनपद पंचायत पिथौरा को एक विस्तृत पत्र भेजा जायेगा ताकि वह मौके पर जाकर आवेदिका की शिकायत की जांच कर अपनी रिपोर्ट 3 माह के अंदर आयोग को प्रस्तुत करें ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके।

अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों की काउंसलिंग कराया गया। दोनो पक्षों के दो बच्चें है जिनका भरण-पोषण आज तक अनावेदक ने नहीं किया है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक पति 5 हजार रू. प्रति माह देने को तैयार है। वह प्रति माह की 10 तारीख तक. आवेदिका को पैसे काउंसलर के समक्ष 10 अप्रैल को 5 हजार देगा। आगामी माह से आर.टी.जी.एस के माध्यम से पैसे जमा कर रसीद काउंसलर को दिखायेगा। 1 वर्ष तक दोनो पक्षों की निगरानी की जायेगी । आवेदिका को यह सलाह दी गई कि यदि अनावेदक भरण-पोषण देने में अनियमित होता है तो आवेदिका थाने में अपनी रिपोर्ट दर्ज करवा सकती है।

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दीपक साहू

संपादक

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