नई दिल्ली/स्वराज टुडे: ग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से ही वहां अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के लोगों, उनकी संपत्तियों व उनके धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है। इसके खिलाफ भारत में जमकर गुस्सा देखा जा रहा है।
अब इस अत्याचार के खिलाफ ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख डॉ उमर अहमद इलियासी ने आवाज उठाई है। इस्लाम को शांति का मजहब बताते हुए उन्होंने इन हमलों की कड़ी निंदा की है।
उन्होंने बांग्लादेश के लोगों से कहा कि आप मुसलमान हैं और इस्लाम हमेशा बचाने का काम करता है। हिंदुओं के खिलाफ जारी इस हिंसा को बंद करवाने के लिए उन्होंने बांग्लादेश की सभी मस्जिदों के इमामों से भी शुक्रवार को खास अपील करने का अनुरोध किया है। साथ ही भारत को उन्होंने बांग्लादेश का शुभचिंतक बताते हुए वहां के लोगों से पूछा कि आप हमारी की हुई सारी मदद कैसे भूल सकते हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले में यूएन की चुप्पी पर भी सवाल उठाए।
एक इंटरव्यू में उमर इलियासी ने कहा, ‘मैं बांग्लादेश के तमाम लोगों से एक गुजारिश और अपील करना चाहता हूं, मुझे बहुत तकलीफ हो रही है, मैं बहुत चिंतित हूं, कि बांग्लादेश के अंदर जो अल्पसंख्यकों पर खासकर हिंदुओं पर जो अत्याचार हो रहा है, ये अच्छी बात नहीं है। इंसानियत कहां चली गई है आप सबकी। सबसे पहले हम इंसान है, हमारी पहचान हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई से क्यों करते हो। हमारी पहचान एक है, वो हम सब इंसान हैं। इंसानियत हमारा धर्म है, हम एक-दूसरे के साथ प्यार से मोहब्बत से रहें। आज जिस तरह से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है, मैं उसकी कड़ी निंदा करता हूं। कड़े शब्दों में निंदा करता हूं, मुझे बहुत तकलीफ है।’
‘भारत की मदद को आप कैसे भूल सकते हैं’
आगे उन्होंने कहा, ‘हमें यह सोचना चाहिए कि भारत और बांग्लादेश के रिश्ते हमेशा से बहुत अच्छे रहे हैं। एक बहुत अच्छे पड़ोसी होने के नाते भारत ने हमेशा बांग्लादेश के इंफ्रास्ट्रक्चर में बांग्लादेश की अवाम के लिए हमेशा से अपना पूरा सहयोग दिया है। आप ये सब बातें कैसे भूल सकते हो, कहां चली जाती हैं तुम्हारी इंसानियत, कहां चली जाती हैं ये सब बातें।’
बांग्लादेशी मुस्लिमों को बताया इस्लाम का मतलब
हिंदुओं के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए इमाम संगठन के प्रमुख ने बांग्लादेश की सभी मस्जिदों के इमामों से अपील भी की। वे बोले, ‘इस्लाम शांति का मजहब है, आप बांग्लादेश के लोग मुसलमान हो, आपकी पहचान मुसलमान धर्म से है। हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि इस्लाम शांति का मजहब है। इस्लाम बचाने का नाम है, इस्लाम तशद्दुद (हिंसा) नहीं फैलाता, इस्लाम सबको जोड़ने का काम करता है, यह जान बचाता है, किसी की जान नहीं लेता है।’
‘तो आप सबसे मेरी गुजारिश है अपील है, खासतौर पर बांग्लादेश के चीफ इमाम से और बांग्लादेश की सभी मस्जिदों के इमामों से मेरी गुजारिश है कि अपनी मस्जिदों से जुमे (शुक्रवार) के खुतबों में जरूर ऐलान करें और इंसानियत और इस्लाम और पैगंबर मुहम्मद साहब के पैगाम को आम करें।’
इस्कॉन मंदिर के प्रमुख को रिहा करने की अपील की
इमाम इलियासी ने आगे कहा, ‘मैं खासतौर मुहम्मद यूनुस साहब जो बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार हैं उनसे भी गुजारिश करूंगा कि वो वहां अल्पसंख्यकों पर जो अत्याचार हो रहे हैं, उसे फौरन रोकें और जो लोग सांप्रदायिक नफरत फैला रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें सख्त सजा दें। इस मौके पर मैं बहुत आदरणीय इस्कॉन मंदिर के प्रमुख पुजारी चिन्मय कृष्ण जी का जिक्र करना चाहूंगा, जिन्हें आपने गिरफ्तार कर लिया, कोई अपनी आवाज उठाए उसे आप गिरफ्तार कर लेते हैं। क्या है ये, फौरन उनकी रिहाई होनी चाहिए। और उनके जो वकील हैं रमन राय, उनके ऊपर जो जानलेवा हमला हुआ है, उनकी सुरक्षा होनी चाहिए। सबकी सुरक्षा होनी चाहिए।’
संयुक्त राष्ट्र को भी कटघरे में खड़ा किया
अंत में उन्होंने इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से कोई एक्शन ना लेने पर कहा, ‘आज मैं खासतौर पर यूएन को और पश्चिमी देशों को यह बताना चाहता हूं और ये पूछना चाहता हूं, कहां गई आपकी इंसानियत, वो मानव अधिकार आयोग कहां चला गया। यूएनएचआरसी कहां चली गई। उनको फौरन इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। जुल्म कहीं भी हो, ज्यादती कहीं भी, सबको आगे आकर इसके खिलाफ आवाज उठाना चाहिए। अत्याचार किसी के साथ हो, जुल्म किसी के साथ हो, जुल्म-जुल्म होता है हम सबको इसके खिलाफ आवाज उठाना चाहिए। चाहे वो कहीं भी हो, किसी के साथ भी हो। मुझे उम्मीद है कि जल्द से जल्द बांग्लादेश में अमन होगा, शांति होगी और अल्पसंख्यों पर जो जुल्म-ज्यादती हो रही है वो खत्म होगी।’
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