सक्सेस स्टोरी: मुंबई की चॉल से निकलकर खड़ा किया 41 लाख करोड़ का बिजनेस, 12 करोड़ ग्राहक

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नई दिल्‍ली/स्वराज टुडे: सफलता न उम्र देखकर आती है और न ही वक्‍त. बस आपकी मेहनत और कुछ कर गुजरने का जज्‍बा ही एक दिन दुनिया से आगे ले जाता है. ऐसे ही जज्‍बे के साथ मुंबई की चॉल से निकले एक शख्‍स ने 41 लाख करोड़ रुपये का बिजनेस खड़ा कर दिया.

उन्‍होंने अपनी कंपनी की शुरुआत भी उस उम्र में की, जब लोग घर में बैठकर बुढ़ापा काट रहे होते हैं. आज इस कंपनी के देशभर में ही 12 करोड़ से ज्‍यादा ग्राहक हैं, जबकि दुनिया के कई अन्‍य देशों में भी इसका कारोबार फैला है.

संघर्ष और सफलता की यह कहानी है एचटी पारेख (HT Parekh) की. मुंबई की चॉल में बचपन और जवानी बिताने वाले पारेख ने आज 2 लाख परिवारों को सीधे तोर पर नौकरियां दी हैं. उनका पूरा नाम हसमुख ठाकोदास पारेख है. उनके संघर्ष का आलम ये था कि कॉलेज में पढ़ाई के दौरान अपना खर्च चलाने के लिए पार्ट टाइम जॉब करते थे. सूरत में पैदा हुए पारेख के पिता बैंक में कर्मचारी थे. उन्‍होंने सूरत से आकर मुंबई में इकनॉमिक्‍स से ग्रेजुएशन किया.

मास्‍टर से सीएमडी तक का सफर

ग्रेजुएशन के बाद पारेख को यूके में पढ़ाई का मौका मिला और लंदन स्‍कूल ऑफ इकनॉमिक्‍स से बैंकिंग एंड फाइनेंस में डिग्री हासिल की. पढ़ाई पूरी कर भारत लौट आए और सेंट जेवियर कॉलेज में लेक्‍चरर बन गए. कॉलेज छोड़कर कुछ समय तक हरकिशनदास लक्ष्‍मीदास फर्म में स्‍टॉक ब्रोकिंग का काम किया और फिर उन्‍हें आईसीआईसीआई (ICICI) में बतौर डिप्‍टी जनरल मैनेजर काम करने का मौका मिला. इसके बाद वे चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्‍टर के पद तक पहुंचे. यहां 16 साल तक काम करने के बाद रिटायर हुए.

रिटायरमेंट के बाद बनाई कंपनी

ज्‍यादातर लोगों के लिए रिटायरमेंट उनके कामकाज का आखिरी पड़ाव होता है, लेकिन एचटी पारेख ने अपने जीवन का सबसे बड़ा काम रिटायरमेंट के बाद किया. उन्‍होंने 66 साल की उम्र में मिडिल क्‍लास लोगों के घर का सपना पूरा करने के लिए होम लोन देने वाली एक गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनी बनाई और साल 1977 में एचडीएफसी (HDFC) की स्‍थापना की. कंपनी बनाने के एक साल बाद उन्‍होंने पहला लोन 1978 में बांटा.

तेजी से बढ़ता गया कारोबार

पारेख ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और उनकी कंपनी ने 1984 तक यानी अगले 6 साल में ही 100 करोड़ रुपये के लोन बांट दिए. उनकी कंपनी का मार्केट बेस लगातार बढ़ता गया और बैंकिंग सेक्‍टर में अपने उत्‍कृष्‍ट काम के लिए उन्‍हें साल 1992 में पद्म भूषण से सम्‍मानित किया गया. आज उनकी कंपनी देश में करीब 1.77 लाख लोगों को सीधे तौर पर नौकरियां देती है.

जर्मनी की जनसंख्‍या से ज्‍यादा कस्‍टमर

पारेख ने 30 साल बाद अपनी दो कंपनियों HDFC और HDFC Bank को मर्ज करने का फैसला किया और मार्च, 2023 में दोनों कंपनियां एक हो गईं. इस मर्जर के बाद कुल बिजनेस 41 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है, जबकि इसका मार्केट एसेट 4.14 लाख करोड़ रुपये हो गया है. आज HDFC Bank के कस्‍टमर की संख्‍या जर्मनी की कुल जनसंख्‍या से भी ज्‍यादा है. देशभर में 8,300 से ज्‍यादा ब्रांच खोल चुके इस बैंक के करीब 12 करोड़ ग्राहक हैं. मार्च, 2023 में इस कंपनी को 60 हजार करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है.

दीपक साहू

संपादक

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