उत्तराखंड
हल्द्वानी/स्वराज टुडे: हल्द्वानी की सड़कों पर उस सुबह खुशियों का कारवां चल रहा था। राठौर परिवार में सात साल बाद बेटे की किलकारी गूंजी थी। दो बेटियों के बाद इस नन्हे मेहमान के आगमन ने हर चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी थी।
लेकिन किसे पता था कि यह खुशी महज चार दिन की होगी? एक दर्दनाक हादसे ने इस परिवार की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। आइए, इस मार्मिक कहानी को करीब से जानते हैं, जो हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल से शुरू होकर एक नहर के किनारे खत्म हुई।
नई जिंदगी का स्वागत, खुशियों की शुरुआत
22 जून 2025 की रात, हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में राठौर परिवार के लिए यादगार बन गई। उधम सिंह नगर के किच्छा के बर्रा गांव के रहने वाले राकेश राठौर और उनकी पत्नी रमा देवी के घर बेटे ने जन्म लिया। दो बेटियों के बाद बेटे के आगमन ने परिवार में उत्सव का माहौल बना दिया। रिश्तेदारों और पड़ोसियों की बधाइयों का तांता लग गया। हर कोई इस नन्हे मेहमान को देखने और आशीर्वाद देने अस्पताल पहुंचा। मंगलवार रात, 24 जून को रमा देवी को अस्पताल से छुट्टी मिली, लेकिन रात होने के कारण परिवार ने अगली सुबह घर लौटने का फैसला किया।
एक हादसा, जिसने सब छीन लिया
25 जून की सुबह, सूरज की पहली किरणों के साथ राठौर परिवार नन्हे बेटे को घर ले जाने के लिए तैयार था। एक जनप्रतिनिधि की कार में राकेश, रमा देवी, उनका चार दिन का बेटा, राकेश की सास कमला देवी, भाभी नीतू, ताऊ और कार चालक सवार हुए। सभी के चेहरे पर घर लौटने की खुशी थी। लेकिन फायर स्टेशन के पास एक पल में सब कुछ बदल गया। कार अनियंत्रित होकर सिंचाई नहर में जा गिरी। इस भयावह हादसे ने चार जिंदगियों को लील लिया। चार दिन के मासूम, उसके पिता राकेश राठौर (30 वर्ष), सास कमला देवी (58 वर्ष), और भाभी नीतू की मौके पर ही मौत हो गई।
दुख की घड़ी में परिवार का हाल
हादसे की खबर सुनते ही राठौर परिवार में मातम छा गया। पोस्टमार्टम हाउस के बाहर रिश्तेदारों की भीड़ जमा थी। रुंधे गले से परिवार वालों ने बताया कि रविवार रात 7:50 बजे बेटे का जन्म हुआ था। उस खुशी का ठिकाना नहीं था। लेकिन अब वही घर सूना हो गया। रमा देवी, उनके ताऊ, और कार चालक घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, तीनों खतरे से बाहर हैं, लेकिन इस सदमे से उबरना उनके लिए आसान नहीं होगा।

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