विश्व के प्रथम आदिवासी शक्तिपीठ में विश्व आदिवासी मूल निवासी दिवस के मद्देनजर आयोजित पांच दिवसीय महोत्सव रंगारंग कार्यक्रम के साथ समापन

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छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: कल दिनांक 11 /8./2025 को
विश्व के प्रथम आदिवासी शक्तिपीठ में पांच दिवसीय विश्व आदिवासी मूलनिवासी दिवस का रंगारंग समापन हो गया।

उपरोक्त पांच दिवसीय कार्यक्रम में आदिवासी मामलों से जुड़ी कस्टमरी लॉ, रूढ़ि जन्य परंपरा ,आदिवासियों के गौरवपूर्ण इतिहास , प्रतियोगिता में कबड्डी प्रतियोगिता तीरंदाजी प्रतियोगिता सहित कई अन्य पारंपरिक खेलकूद कराए गए इसी क्रम में आदिवासी सांस्कृतिक चेतन को और आगे बढ़ाने के लिए सांस्कृतिक प्रतियोगिता राष्ट्रीय आदिवासी परिधान फैशन शो एवं विशाल निशुल्क चिकित्सा शिविर सुदूर वनांचल ग्राम में 15 चिकित्सा विशेषज्ञों के द्वारा ग्रामीणों को जांच कर निशुल्क दवाई वितरण किया गया।

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अंतिम दिवस सभी प्रतिभागियों को अतिथियों के द्वारा नगद राशि एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया गया।
उक्त गौरवशाली दिवस पर बतौर अतिथि तुलेश्वर हीरा सिंह मरकाम विधानसभा तानाखार विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री छत्तीसगढ़ शासन श्री जय सिंह जी अग्रवाल पूर्व महापौर श्री राजकिशोर प्रसाद एवं नेता विपक्ष मुकेश राठौर , श्री एम एल मरावी सहित सभी मूलनिवासी समाज के सामाजिक नेतृत्व उपस्थित रहे। उपरोक्त अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भव्यता को देखकर श्री जय सिंह जी अग्रवाल एवं पूरे अतिथि अपने आप को रोक नहीं पाए और मंच में जमकर मांदर की थाप पर सभी आनंदमई होकर घूमने लगे ।

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यह यह अद्भुत दृश्य देखकर भारी संख्या में उपस्थित जन समूह को रोमांचित कर गया भिन्न-भिन्न तरह के आदिवासी वेशभूषा में अलग-अलग राज्यों के परिधान फैशन शो का नजारा रोमांचित कर देने वाला क्षण था जिसका लोगों ने भरपूर आनंद उठाया हर दृश्य को लोगों ने अपने कमरे में कैद करने के लिए अति उत्साहित रहे कार्यक्रम में सभी समाज के अतिथियों ने अपना उद्बोधन दिया।

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इसी क्रम में शक्तिपीठ के संरक्षक श्री मोहन सिंह प्रधान ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज का कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक पहचान बनाने में सफल रहा जिसका साक्षी पूरा देश रहा ,
श्री प्रधान ने अपने उद्बोधन में कहा आदिवासी समाज हमारे देश के विकास का मेरुदंड उन्होंने वर्तमान सभ्यता के पहले लाखों साल पहले पूरी दुनिया को एक प्राचीन एवं पुरातन सभ्यता दी इसीलिए पूरे दुनिया में आदिवासी संस्कृति विश्व संस्कृति की जननी है यह कहा जाता है।
उन्होंने कहा जब पूरी दुनिया में कोई सभ्यता ही विकसित नहीं हुई थी तब सबसे पहले पाषाण युग , आखेट,युग, कृषि युग,कबीलाई युग, उसके बाद राजतंत्र आया और यही राजतंत्र के बाद धीरे-धीरे नई युग की शुरुआत हुई कहानी कथाकारों ने एक काल कपोल काल्पनिक मनगढ़ंत मायावी कहानी बनाकर लेखनी के माध्यम से आम जनमानस में परोस दिया जो किसी भी कीमत में प्रकृति एवं वैज्ञानिक सिद्धांतों के विपरीत आचरण है, जिसे आदिवासी समाज कभी स्वीकार नहीं करता उन्होंने कहा आदिवासी समाज मूल रूप से प्रकृति पूजा के और यही कारण है की प्रकृति कभी भी भेदभाव नहीं करती प्रकृति का व्यवहार सबों के लिए एक जैसा है वही आचरण पूरे आदिवासी समाज में यह समाज कभी भी अपने मूल सिद्धांतों अपनी रूढ़ि परंपराओं के विरुद्ध किसी भी धर्म समाज जात पात जो भेदभाव उच्च नीच का संदेशवाहक होता है उसके खिलाफ एवं उसे स्वीकार नहीं करता इसलिए आदिवासी समाज को वैश्विक सामाजिक ताना-बाना का विश्व गुरु माना जाता है ,इस सच्चाई जानता है , श्री प्रधान ने आदिवासी समाज को उनके संवैधानिक अधिकारों कस्टमरी लॉ, रूढ़ि जन्य परंपरा, और लाखों सालों से चली आ रही पीढ़ी दर पीढ़ी की प्रथा को माने और जीवित रखने की बात भी कहीं।
उन्होंने कहा दुर्भाग्य की बात है की छोटे से छोटे उत्सव में बड़ा से बड़ा विज्ञापन में हर तरह की शुभकामना प्रेषित करते हैं लेकिन हमारे राजनीतिक नेता जो सदन में उच्च पदों पर शासन करते हुए हैं ,उनके द्वारा वैश्विक महोत्सव आदिवासी दिवस पर अपना शुभकामना तक प्रेषित करने में अपने आप को असमर्थ पाए,
समाज ने ही इस संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित आदिवासी मूल निवासी दिवस को अपने मानवीय संवैधानिक अधिकारों एवं उसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जो नियम बनाएं और आदिवासी समाज को विधि का बल प्रदान किया आज पूरा समाज ही इस इस दिवस को गौरव दिवस के रूप में मान रहा है उन्होंने कहा समाज में हर बेटे बेटियों को शिक्षा जरूरी है आप जमकर पढ़ें चाहे जितना भी विपरीत परिस्थिति आपके जीवन में आए शिक्षा आपको पाखंड और भेदभाव और उच्च नीच से सतर्क एवं सावधान करती है एवं भविष्य की कल्पनाओं की उड़ान आपके पंखों को देती है इसलिए शिक्षा आपके जीवन का मूल आधार होना,चाहिये,
आप संकल्प में समाज के अंदर नशा का पूर्ण बहिष्कार हो
पर्यावरण का संरक्षण एवं संवर्धन सहित अपने राज्य एवं देश के विकास में अग्रणी भूमिका आदिवासी समाज निभाए जो लाखों साल से निभाते आ रहा है।
इसी क्रम में अतिथि के रूप में पधारे पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री जय सिंह अग्रवाल ने उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित किया एवं विश्व आदिवासी मूलनिवासी दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित की।
आदिवासी शक्तिपीठ के संरक्षक श्री मोहन सिंह प्रधान ने शक्तिपीठ में निर्माण कार्य में उनके योगदान जिसमें उन्होंने विशाल 50 लाख के डोम
निर्माण, दो मंजिला 10 कमरों का भवन निर्माण , करवाया उसके लिए धन्यवाद प्रेषित किया साथ में आदरणीय श्री लखन देवांगन जी जो कार्यक्रम में किसी कारणवश पहुंच नहीं पाए दिल्ली प्रवास पर जाने के कारण उन्होंने दूरभाष पर जन समूह को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामना प्रेषित की और उन्हें भी पूरे समाज की ओर से उनके द्वारा घोषित 50 लाख के निर्माण कार्य संपूर्ण कराए गए जिसमें बाउंड्री वॉल ,पेवर ब्लॉक, नाली निर्माण, एवं प्रकाश व्यवस्था ,
उन्हें भी बधाई देते हुए कराई उनके द्वारा कराए गए निर्माण कार्य के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
अंत में श्री रघुवीर सिंह मार्को के द्वारा पूरे कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी सदस्यों को पदाधिकारी को बधाई प्रेषित की एवं अपार जन समूह को पवित्र भूमि में पधारने के लिए एवं उनके सहयोग के लिए धन्यवाद व्यापित किया
उपरोक्त अवसर पर संरक्षक मंडल के साथ-साथ इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जिनकी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका थी।
कार्यक्रम के अध्यक्ष बी एस पैंकरा, कार्यक्रम के उपाध्यक्ष निर्मल सिंह राज उपाध्यक्ष श्री बीएम धुर्वे, श्रीमती सुमन मिंत्रा नेताम, विक्रम सिंह कंवर
महासचिव एमपी सिंह तंवर
कार्यकारी अध्यक्ष गंगा सिंह कंवर,सांस्कृतिक प्रमुख श्री रूपेंद्र सिंह पैंकरा, , कार्यक्रम कोषाध्यक्ष लव कुमार मांझी
क्रीड़ा प्रभारी, प्रवीण पालिया, हीरा सिदार, धर्मेंद्र ध्रुव, संगठन प्रमुख श्री रमेश सिरका कार्यक्रम मार्गदर्शक एवं वरिष्ठ सलाहकार श्री सुभाष चंद्र भगत गेंदलाल सिदार,सहित जंगों रायतार मातृ शक्ति संघ के श्रीमती कृष्णा राजेश माझी श्रीमती रमा राज माधुरी ध्रुव सहित महिला मंडल के समस्त पदाधिकारी एवं सदस्यों की भूमिका सहित शंभू शक्ति सेवा के जिला अध्यक्ष श्री सरजू सारोठिया एवं उनके साथी महिला प्रकोष्ठ शंभू शक्ति सेना के सुश्री सुनीता सिरका एवं शंभू शक्ति सेवा के विधि सलाहकार हाईकोर्ट वकील सुश्री संध्या पनिका के द्वारा कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग रहा कार्यक्रम के संचालन शक्तिपीठ के उपाध्यक्ष श्री निर्मल सिंह राज जी ने किया एवं उपस्थित जन समूह अतिथियों का आभार कार्यक्रम के अध्यक्ष बी,एस पैंकरा जी ने किया।

दीपक साहू

संपादक

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