खुद को डॉक्टर बताकर लाखों रुपये रुपये कमा रहा था चपरासी, सालों बाद ऐसे खुली पोल

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मुरैना/स्वराज टुडे: मध्य प्रदेश के मुरैना में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शुक्रवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है, जो खुद को डॉक्टर बताकर अवैध रूप से भ्रूण लिंग जांच करता था. पकड़ा गया आरोपी संजू शर्मा (30) असल में शिक्षा विभाग में एक चपरासी था, लेकिन खुद को डॉक्टर बताकर लाखों रुपये की गैरकानूनी कमाई कर रहा था.

चपरासी ने फर्जी डॉक्टर बनकर की कमाई

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह कार्रवाई मुरैना के गदौरा पुरा इलाके में जिला कलेक्टर लोकेश जांगिड़ के निर्देश पर की गई. मुख्य चिकित्सा-स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर पद्मेश उपाध्याय ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि एक व्यक्ति पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन के जरिए लिंग परीक्षण कर रहा है. इस पर ग्वालियर और मुरैना की संयुक्त टीम ने सामाजिक कार्यकर्ता मीना शर्मा के साथ जाल बिछाया. एक डमी गर्भवती महिला और सादे लिबास में महिला पुलिसकर्मी को भेजा गया, जिसके बाद टीम ने आरोपी को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया.

अल्ट्रासाउंड मशीन जब्त

छापेमारी के दौरान आरोपी के पास से एक पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन जब्त की गई. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में केस दर्ज कर लिया है और उससे पूछताछ जारी है. जांच में पता चला है कि संजू शर्मा पहले जिला शिक्षा विभाग में बिलगांव मिडिल स्कूल में चपरासी के पद पर कार्यरत था और नवंबर 2024 में अवैध गतिविधियों में शामिल पाए जाने के बाद निलंबित कर दिया गया था.

डॉक्टर प्रबल प्रताप सिंह ने बताया कि आरोपी पिछले कई महीनों से निगरानी में था. छह महीने पहले जयपुर में एक व्यक्ति के पास से पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन बरामद हुई थी, जिसने बताया था कि वह मशीन संजू शर्मा के लिए लाई गई थी. इसके बाद से टीम लगातार उसका पीछा कर रही थी.

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चार हजार लेकर घर-घर जाकर लिंग परीक्षण करता था आरोपी

सामाजिक कार्यकर्ता मीना शर्मा के अनुसार, आरोपी और उसके साथी दो से चार हजार रुपये लेकर घर-घर जाकर लिंग परीक्षण करते थे और अगर भ्रूण लड़की निकलता था तो गर्भपात कराने के लिए भारी रकम वसूलते थे. यह नेटवर्क उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली तक फैला हुआ था.

अधिकारियों ने बताया कि मुरैना मध्य प्रदेश के उन जिलों में से है, जहां लिंगानुपात सबसे कम है. 2011 की जनगणना में यहां प्रति हजार पुरुषों पर केवल 840 महिलाएं थीं, हालांकि अब यह अनुपात बढ़कर 922 तक पहुंच गया है.

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दीपक साहू

संपादक

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