NDRF और SDRF टीम के हाथ अब भी खाली, 8 दिनों से 700 फीट गहरे बोरवेल में फंसी है मासूम चेतना

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राजस्थान
कोटपूतली/स्वराज टुडे: राजस्थान के कोटपुतली जिले पर पिछले 8 दिनों से देश के लोगों की नजर है. क्योंकि यहां एक 700 फीट गहरे बोरवेल में तीन साल की बच्ची फंसी हुई है, जिसको निकालने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम जुटी हुई है.

चेतना के रेस्क्यू को लेकर प्रशासन असमंजस में है. बच्ची को सुरंग में फंसे हुए करीब 185 घंटे हो गए हैं, लेकिन रेस्क्यू टीम के हाथ खाली हैं. 8 दिन बाद भी रेस्क्यू टीम चेतना को गड्ढे से बाहर नहीं निकाल पाई है. मीडिया से प्रशासन सच्चाई छिपाई जा रही है. रेस्क्यू टीम ने बोरवेल के सामांतर एक दूसरा गड्ढा किया और फिर उसमें बोरवेल के अंदर जाने के लिए टनल बनाई. लेकिन टीम को चेतना नहीं मिली. सोमवार की शाम को प्रशासन ने चेतना के करीब पहुंचने का संकेत दिया था. लेकिन अब भी निराशा के अलावा कुछ भी नहीं है. वहीं स्थानीय लोग प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं.

कोटपूतली जिले के सरुंड थाना क्षेत्र के कितरपुरा इलाके में भूपेंद्र चौधरी के खेत में उनकी तीन साल की बच्ची चेतना 23 दिसंबर को दोपहर करीब तीन बजे बोरवेल में गिर गई थी. उसे सुरक्षित बाहर निकालने के प्रयास लगातार जारी हैं. स्थानीय पुलिस और प्रशासन की मदद से राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्‍य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीमों द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे है। यह अभियान संभवत: राज्य में सबसे लंबे बचाव अभियानों में से एक है, जो 180 घंटे से अधिक समय से चल रहा है.

बोरवेल में गिरी बच्ची के परिजनों ने प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है, जबकि प्रशासन का दावा है कि यह सबसे कठिन अभियानों में से एक है. कोटपूतली-बहरोड़ जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने सोमवार को बताया कि ‘यह चट्टान की तरह ठोस परत है. बारिश ने भी चुनौती पैदा की है. टीमें समानांतर सुरंग खोदने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं. बच्ची तक पहुंचने के लिए लगभग 6.5 फुट की और खुदाई बाकी है.’

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उन्होंने कहा कि यह राज्य का सबसे कठिन बचाव अभियान है. एनडीआरएफ टीम के प्रभारी योगेश कुमार मीणा ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया कि बचाव अभियान लगातार जारी है तथा चट्टान सख्त है और इसे काटना टीम के लिए चुनौती बन रहा है.

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दीपक साहू

संपादक

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