दुरपा रोड इंदिरा नगर में रेलवे के अल्टीमेटम से मची आपाधापी, आश्वासन के बीच घर खाली करने को विवश लोग

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छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: जानकारी के अनुसार कोरबा शहर के श्रमिक बाहुल्य बस्ती इंदिरा नगर (दुरपा रोड) में इन दिनों डर और अनिश्चितता का माहौल व्याप्त है। इस क्षेत्र में वर्षों से बसे सैकड़ों परिवारों अब रहवास को लेकर चिन्तित हैं हालांकि स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उन्हें आश्वासन दिया है, किन्तु दुसरी और अपुस्ट जानकारी यह भी मिली हैं की रेलवे प्रबंधन किसी भी वक्त उनके आशियानों को जमींदोज कर सकता है।

30 दिसंबर से शुरू होगी कार्यवाही, रेलवे अडिग

रेलवे प्रबंधन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी जमीन को खाली कराएंगे। रेल पथ अभियंता कार्यालय द्वारा जारी अधिकृत नोटिस के अनुसार, किलोमीटर 705/8 से 705/10 के बीच हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए 24 दिसंबर तक की समय सीमा दी गई है। चेतावनी दी गई है कि 30 दिसंबर से तोड़फोड़ की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी। 17 दिसंबर को रिमाइंडर जारी होने के बाद यार्ड विस्तार का काम भी गति पकड़ चुका है और मौके पर भारी मशीनरी पहुंचनी शुरू हो गई है।
प्रभावित लोगों ने अपनी छतों को बचाने के लिए रेलवे अधिकारियों से लेकर मंत्री और मेयर तक गुहार लगाई है। जिसमे मंत्री की ओर से सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन मिला है, लेकिन जमीनी हकीकत लोगों को डरा रही है। रेलवे की सक्रियता देख अब जनता के सब्र का बाँध टूट रहा है।

दहशत का आलम यह है कि कई परिवारों ने डर के मारे घर खाली करना शुरू कर दिया है। इसका सीधा असर शहर के रेंटल मार्केट पर पड़ा है। घर खाली करने वाले लोग जब दूसरी जगह जा रहे हैं, तो मकान मालिकों ने अचानक कमरों के दाम बढ़ा दिए हैं। बेघर होने के डर से कुछ लोग आसपास की नगर निगम और राजस्व की खाली जमीनों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। नदी किनारे हो रहे नए अतिक्रमणों पर सिंचाई विभाग मौन है, जबकि यह क्षेत्र मानसून के दौरान बेहद संवेदनशील और डूबान क्षेत्र में आता है।

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उल्लेखनीय हैं की इंदिरा नगर आज एक ऐसे दोराहे पर है जहां एक तरफ प्रशासनिक सख्ती है और दूसरी तरफ राजनीतिक वादे। रेलवे के यार्ड निर्माण के लिए सामानों का पहुंचना इस बात का संकेत है कि विभाग पीछे हटने तैयार नहीं है। अब देखना यह होगा कि 24 दिसंबर की डेडलाइन खत्म होने के बाद प्रशासन क्या रुख अपनाता है। यह अभी घने कोहरे से आच्छादित हैं।

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दीपक साहू

संपादक

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