
छत्तीसगढ़
रायपुर/स्वराज टुडे: छत्तीसगढ़ में आईटी, ईडी और सीबीआई की धमक से प्रशासनिक गलियारे से लेकर कई राजनीतिक दलों के दफ्तरों में हलचल तेज देखी जा रही है। एक और जहां कांग्रेस अपने नेताओं के बचाव में जुटी है वहीं बीजेपी भ्रष्टाचार के मामलों को गिन-गिन कर उजागर कर बघेल सरकार के 05 साल के कार्यकाल की यादों को तरोताजा करने में नही चूक रही है। इस बीच सवाल उठ रहा है कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री बघेल गिरफ्तार होंगे या नही? राज्य में भ्रष्टाचार के मसीहा के रूप में बघेल को देखा जाता है। उन्हें उनकी काली करतूतों को लेकर मुख्यमंत्री की कुर्सी से उतरते डेढ़ साल बाद भी बघेल कानून की गिरफ्तारी से अछूते बताये जाते हैं। उनके ठिकानों पर सीबीआई समेत अन्य जॉंच एजेंसियों दबिश दे चुकी हैं। बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी राजनैतिक गलियारों में यक्ष प्रश्न के रूप में देखी जा रही है। जानकारी के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी के बाद गिरफ्तारी की तलवार का इंतजार लम्बा हो चला है। बताते हैं कि जांच एजेंसियों के पास बघेल की भ्रष्टाचारों की लंबी फेहरिस्त उपलब्ध है। महादेव एप घोटाला हो, शराब घोटाला हो पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की भूमिका भ्रष्टाचार के नायक के रूप में देखी जा रही है। सूत्र तस्दीक करते हैं कि बघेल के खिलाफ पुख्ता सबूतों के आधार पर सीबीआई के छापेमारी तो की लेकिन उनकी गिरफ्तारी लगातार टलती रही।
जानकार यह भी बताते हैं कि बघेल को हाजिर होने के लिए सीबीआई और ईडी की ओर से अभी तक कोई समन जारी नही किया गया है। यही हाल बघेल के खिलाफ एसीपी ईओडब्ल्यू में दर्ज प्रकरणों का बताया जाता है। सूत्रों के मुताबिक शराब घोटाले में शामिल कारोबारी और आबकारी अमले के महत्वपूर्ण अधिकारियों ने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के नाम का परहेज बररते हुए अपने बयान दर्ज कराये हैं। नतीजतन बघेल को कानूनी दांवपेचों का मिलता फायदा प्रदेश की प्रशासनिक क्षमता पर सवालियां निशान लगाया है। महादेव एप सट्टे घोटाले से बघेल का नाम प्रमुख कड़ी के रूप में सामने आया है।
दुबई में बैठे सटोरी सौरभ चंद्राकर ने वकायदा वीडियो जारी कर दावा किया था कि महादेव एप सट्टा कारोबार को संरक्षण देने के एवज में तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल को लगभग 500 करोड़ रुपये सौंपे गये थे।
ईडी के कई आरोपियों ने भी बघेल का नाम दर्ज कराते हुए अपने बयानों में साफ किया है कि शराब घोटाले, महादेव एप घोटाले में भूपेश बघेल भी शामिल थे। बघेल के अलावा पुलिस के दर्जनों अधिकारियों को संरक्षण देने के एवज में हर माह लाखों रुपये जाता था। एएसआई चंद्रभूषण वर्मा ने ईडी को दिये अपने बयानों में स्पष्ट किया है कि सटोरियों के द्वारा तय की गई रकम के हर माह लगभग आधा दर्जन अफसरों को सौंपा करते थे। बताते हैं कि भ्रष्टाचार के कई मामलों में घिरे बघेल की गिरफ्तारी को लेकर एजेंसियां पसोपेश में बताई जाती है। केन्द्रीय कर्मचारियों के रुख से भी अब तक स्पष्ट नही हो पाया कि बघेल पर कानूनी शिकंजा कसेगा कि नही।
फिलहाल तो बघेल और उनकी टोली कानूनी दांवपेचों से केन्द्र और राज्य सरकार की जांच एजेंसियां दो चार हो रही हैं। बघेल के दोनों हाथ अभी भी घी में और सिर कढ़ाई में बताया जाता है। यह देखना गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के कई मामलों में लपेटे में आये भूपेश बघेल पर कानून का शिकंजा कब कसेगा।
तमाम मामलों में फंसे बघेल का राजनीतिक कैरियर भी दांव पर लगा है। यदि बघेल इन मामलों में फंसते हैं तो निश्चित रूप से उनकी राजनीति पूरी तरह से खत्म हो जायेगी। बताया जाता है कि आने वाले समय में बघेल के दिन अच्छे नहीं हैं।
बघेल शासन के अधिकतर अधिकारी जेल में
भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में पांच साल शासन किया। इन पांच साल में भूपेश बघेल ने कई भ्रष्टाचार किये। इतना ही नहीं उनके शासन के अधिकतर अधिकारी कानूनी शिकंजे में फंसे हैं। कई तो जेल में हैं या जमानत पर हैं। मतलब साफ है कि बघेल तो भ्रष्टाचार में शामिल रहे उनके अधिकारी भी अछूते नही रहे। बघेल की खास सौम्या चौरसिया पर तो कई गंभीर आरोप लगे हैं। और अभी भी जेल में है। पांच साल में ऐसे कारनामें किये कि आज छत्तीसगढ़ बघेल के शासनकाल को भ्रष्टाचार के रूप में देखता है। छत्तीसगढ़ ऐसा पहला राज्य बन गया है जिसके ज्यादातर उच्च अधिकारी कानून के शिकंजे में फंसे हैं।
बघेल को लेकर विचार करे आलाकमान
छत्तीसगढ़ में आज भी कांग्रेस प्रमुख पार्टी के रूप में विदयमान है। अपने अस्तित्व काल से आज तक प्रदेश में सबसे ज्यादा शासन कांग्रेस ने ही किया है। लेकिन भूपेश बघेल जैसे भ्रष्टाचारी नेताओं के कारण यह राज्य सत्ता से बाहर हो गया है। आज भी समय है कि पार्टी हाईकमान इस राज्य पर गौर करे तो दोबारा सत्ता में वापसी कर सकता है। बघेल जैसे नेताओं को परहेज करना होगा।
*विजया पाठक की रिपोर्ट*
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