डॉ. प्रवीण सोनी प्रिस्क्रिप्शन में लिखता था ऐसा सीरप, जो बनता ही नहीं; बदले में पत्नी के मेडिकल स्टोर से मिलता था कोल्ड्रिफ सिरप

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भोपाल/स्वराज टुडे: मध्य प्रदेश में विषाक्त कफ सीरप से 26 बच्चों की मौत के मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है वैसे वैसे रोज नए खुलासे हो रहे हैं। छिंदवाड़ा जिले के परासिया स्थित शासकीय अस्पताल में कार्यरत रहने के बावजूद अपना निजी क्लीनिक संचालित करने वाले चिकित्सक प्रवीण सोनी का अब चौंकाने वाला खेल सामने आया है।

जानबूझकर ऐसी दवाई लिखता था जो कहीं ना मिले

पत्नी ज्योति के मेडिकल स्टोर से कोल्ड्रिफ कफ सीरप बिकवाने के लिए वह बच्चों के उपचार के लिए ऐसा सीरप लिखता था, जो बनता ही नहीं है।

ज्योति अपने मेडिकल स्टोर से पर्चे पर लिखे सीरप के बदले कोल्ड्रिफ सीरप दिया करती थी। उसे डॉ. प्रवीण सही बताकर इस्तेमाल करने को कहता था। जांच में यह भी सामने आ रहा है कि वह सीरप का गलत नाम इसलिए लिखा करता था ताकि कोई दूसरा मेडिकल स्टोर वाला न दे पाए।

पुलिस ने कई बच्चों के उपचार के लिए डॉ. प्रवीण सोनी द्वारा लिखे पर्चों की जांच की। उदारहण के लिए, चिकित्सक ने परासिया तहसील के ही एक गांव के साढ़े तीन वर्ष के बच्चे विकास यदुवंशी के पर्चे में नेस्ट्रो-पीएल कफ सीरप लिखा, जबकि कुछ डाक्टर व मेडिकल स्टोर संचालकों का कहना है कि उनकी जानकारी में इस नाम से कोई सीरप नहीं आता। हां, नेस्ट्रो नाम से अवश्य आता है।

10 घंटे में बच्चे की किडनी हो गयी खराब, फिर हो गयी मौत

बच्चे के स्वजन जब पर्चा लेकर डॉ. प्रवीण की पत्नी के अपना मेडिकल स्टोर में दवा खरीदने गए तो उसके बदले कोल्ड्रिफ सीरप दिया गया। डॉक्टर ने वहीं सीरप पिलाने के लिए कहा। पिलाने पर बच्चे को उल्टी हुई तो दोबारा पिलाने के लिए कहा। लगभग 10 घंटे में बच्चे की किडनी खराब होने से पेशाब बंद हो गई। नागपुर में उपचार के दौरान बच्चे की मौत हो गई।

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अब जेल में हैं सभी आरोपी

बता दें कि डॉ. सोनी और मेडिकल स्टोर का संचालन करने वाली उसकी पत्नी जेल में हैं। कोल्ड्रिफ सीरप बनाने वाली तमिलनाडु की फर्म श्रीसन फार्मास्युटिकल प्रालि का मालिक जी. रंगनाथन और केमिकल एनालिस्ट के माहेश्वरी भी जेल में है।

पुलिस ने बीमार बच्चों के पास से जब्त कोल्ड्रिफ कफ सीरप की जांच कराई तो इसमें डीईजी की मात्रा 42 प्रतिशत मिली। भोपाल स्थित राज्य औषधि लैब से कुछ और खुले सैंपलों की जांच रिपोर्ट अभी आनी है। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि सीरप की जिस बाटल को बच्चों ने पीया था, उनकी जांच भी जरूरी थी, जिससे साबित हो सके कि डीईजी की वजह से बच्चों की मौत हुई है।

वहीं, डॉ. प्रवीण सोनी ने नेक्सट्रो-डीएस (nextro-ds) सीरप भी कुछ बच्चों को लिखा था। इसी कारण छिंदवाड़ा के तत्कालीन कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने कोल्ड्रिफ और नेक्सट्रो-डीएस को जिले में प्रतिबंधित कर दिया था। हालांकि, बाद में जांच में नेक्सट्रो-डीएस मानक पाया गया था, जबकि कोल्ड्रिफ, रिलीफ और रेस्पीफ्रेश-टीआर अमानक मिले थे। कोल्ड्रिफ में विषाक्त केमिकल डायथिलीन ग्लायकाल की मात्रा 46 प्रतिशत मिली थी जो 0.1 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। इसी कारण बच्चों की मौत हुई।

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दीपक साहू

संपादक

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