बेगुनाह को FIR का तोहफ़ा ! मारपीट छुड़ाने वाले बंटी सिंह पर ही झूठा मुकदमा, VIDEO में दिखी सच्चाई

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छत्तीसगढ़
रायगढ़:/स्वराज टुडे: रायगढ़ के जूट मिल गेट के सामने हुई मारपीट की घटना में एक बेगुनाह युवक बंटी सिंह को फंसाने की कोशिश का मामला सामने आया है। बंटी सिंह, जो एक पत्रकार के बड़े भाई हैं, घटना के समय वहां मौजूद जरूर थे, लेकिन न तो वे झगड़े में शामिल थे और न ही उन्होंने किसी पर हमला किया। इसके बावजूद उनके खिलाफ FIR दर्ज कर दी गई है।

वीडियो में सामने आया सच:

घटना का जो वीडियो सामने आया है, उसमें साफ देखा जा सकता है कि दो पक्षों के लोग आपस में मारपीट कर रहे हैं, स्थिति तनावपूर्ण है। बंटी सिंह एक कोने में खड़े हैं, एक हाथ में मोबाइल है और दूसरे हाथ से “छोड़ो-छोड़ो” कहते हुए मामले को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं। वह न किसी पर हमला कर रहे हैं, न मारपीट में शामिल हैं। इसके बावजूद, बंटी सिंह को झूठे आरोपों के तहत गंभीर धाराओं में फंसाया जा रहा है।

“घटना में मदद करो”… लेकिन सजा भी झेलो?

सरकार और पुलिस लगातार जनता से अपील करती है कि “घटना-दुर्घटना में मदद करें, हस्तक्षेप करें।” लेकिन जब कोई व्यक्ति सच में हस्तक्षेप करता है और मारपीट रोकने की कोशिश करता है, तो उसी के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कर देना— क्या यही इंसाफ है?

IPC की इन धाराओं का गलत इस्तेमाल?

अगर किसी निर्दोष के खिलाफ झूठी FIR कराई जाती है, तो भारतीय दंड संहिता (IPC) की ये धाराएं खुद शिकायतकर्ता पर लागू हो सकती हैं:
पुलिस को झूठी सूचना देना, धारा 211: निर्दोष व्यक्ति पर झूठा मामला दर्ज कराना, धारा 120B: आपराधिक साजिश रचना।

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परिवार का आरोप और पत्रकारों की चुप्पी

बंटी सिंह के परिजनों ने आरोप लगाया कि झूठी शिकायत कर एक पत्रकार के परिवार को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब कोई व्यक्ति शांति बनाए रखने के लिए खड़ा होता है, तो उसे अपराधी कैसे ठहराया जा सकता है?
सबसे दुखद बात यह है कि रायगढ़ के अधिकतर पत्रकार इस मामले में चुप हैं। क्या यह डर है, दबाव है, या फिर चुप रहने की आदत बन गई है ?

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दीपक साहू

संपादक

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