छत्तीसगढ़
खरसिया-मौहपाली/स्वराज टुडे: सरकारी योजनाओं के तहत किसानों को राहत देने के लिए बनाए गए खाद वितरण और सब्सिडी सिस्टम पर अब गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। मौहपाली निवासी किसान भरत पटेल के नाम पर सामने आए एक मैसेज ने पूरे सिस्टम की पारदर्शिता पर सवालिया निशान लगा दिया है।
किसान भरत पटेल का कहना है कि उन्होंने आधार कार्ड के माध्यम से अंगूठा लगाकर सिर्फ़ एक बोरी नीम कोटेड यूरिया खरीदी थी। लेकिन इसके बाद उनके मोबाइल पर जो सरकारी मैसेज आया, वह चौंकाने वाला है।
मैसेज के अनुसार किसान के नाम पर
20 बोरी नीम कोटेड यूरिया (45 किलो) और
14 बोरी एमओपी (50 किलो)
की खरीद दर्ज की गई है।
इस खरीद का कुल बिल ₹26,810 बताया गया है, जबकि सरकार द्वारा किसान के नाम पर ₹33,993.60 की सब्सिडी दर्शाई गई है।
यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब किसान ने सिर्फ़ एक बोरी खरीदी, तो सिस्टम में 34 बोरियों की एंट्री कैसे हो गई? क्या यह आधार बायोमेट्रिक सिस्टम का दुरुपयोग है या फिर खाद विक्रेता द्वारा फर्जी एंट्री कर सरकारी सब्सिडी हड़पने का मामला?
किसान का कहना है कि उसे इस तरह की किसी भी बड़ी खरीद की जानकारी नहीं है और न ही इतनी मात्रा में खाद उसे दी गई। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि किसानों के नाम पर कागज़ों में ज्यादा खाद दिखाकर सरकारी सब्सिडी का गलत लाभ उठाया जा रहा है।

यह मामला सिर्फ़ एक किसान का नहीं, बल्कि पूरे खाद वितरण तंत्र की सच्चाई उजागर करता है। अगर समय रहते जांच नहीं हुई तो ऐसे मामलों से किसान भी कानूनी पचड़े में फँस सकते हैं और सरकारी खजाने को भी नुकसान पहुंच सकता है।
अब ज़रूरत है कि कृषि विभाग और संबंधित प्रशासन इस पूरे मामले की तत्काल जांच कर यह स्पष्ट करे कि गलती तकनीकी है या जानबूझकर की गई गड़बड़ी। साथ ही दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो, ताकि किसानों के नाम पर हो रहे इस तरह के फर्जीवाड़े पर रोक लग सके।
कागज़ों में किसान बड़ा खरीदार, हकीकत में सिर्फ़ एक बोरी— सवाल सिस्टम पर है, जवाब कौन देगा?
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