सिर पर गोली लगने से अग्निवीर की मौत, सदमें में परिवार, कांग्रेस ने अग्निवीर योजना को लेकर फिर उठाए सवाल

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पूंछ/स्वराज टुडे: जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में तैनात अग्निवीर दीपक सिंह की गोली लगने से मौत हो गई। दीपक उत्तराखंड के चंपावत के रहने वाले थे उनकी उम्र अभी 23 साल थी। चंपावत के स्थानीय थाने के सब-इंस्पेक्टर विपुल जोशी ने बताया कि दीपक सिंह खरही गांव के रहने वाले थे और नियंत्रण रेखा के पास बार्डर जिले मेंढर में तैनात थे। उन्होंने बताया कि जम्मू पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और घटना की परिस्थितियों की जांच कर रही है। सेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि वे भी जांच कर रहे हैं।

दो साल पहले हुई थी अग्निवीर के रूप में भर्ती

दीपक सिंह दो साल पहले अग्निवीर के रूप में भर्ती हुए थे, जिसके बाद उन्होंने रानीखेत के कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर में छह महीने का प्रशिक्षण लिया। उनके परिवार ने बताया कि उनकी पहली पोस्टिंग पुंछ में हुई थी।

परिवार ने की जांच की मांग

मीडिया से बात करते हुए दीपक के पिता शिवराज सिंह ने कहा, “वह दस दिनों के लिए घर पर था और 15 नवंबर को चला गया। वह अपने काम से खुश और गौरवान्वित था। शनिवार दोपहर करीब 2.30 बजे हमें सेना से फोन आया कि सिर में गोली लगने से उसकी मौत हो गई है। हमें नहीं पता कि यह कैसे हुआ और हमने जांच का अनुरोध किया है।” उनके पिता ने आगे बताया कि सिंह को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

ऑपरेशन सिंदूर के समय पुंछ में ही थी तैनाती

दरअसल अपनी शिफ्ट शुरू होने से पहले दोपहर 12 बजे दीपक ने अपने छोटे भाई को एक मैसेज भेजा था। शिवराज सिंह ने बताया, “वह अपने भाई का हालचाल पूछ रहा था, और कुछ भी गड़बड़ नहीं लग रही थी। दो घंटे बाद हमें फोन आया कि दीपक सिंह की सिर पर गोली लगने से मौत हो गयी है।”

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बहादुर था मेरा बेटा: पिता

सेना में भर्ती होने के बाद दीपक दो बार घर आए थे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जून में पूंछ इलाके में हुई गोलाबारी के एक महीने बाद दीपक अपने चिंतित परिवार से मिलने गए थे। दरअसल उस दौरान पूंछ में 16 लोग मारे गए थे। दीपक के किसान पिता ने कहा, “वह हमें उस घटना के बारे में बता रहे थे, और मेरे बहादुर बेटे ने उस पर काबू पा लिया था। वह बस आगे बढ़ता रहा, कभी पीछे नहीं हटा।”

पुलिस ने बताया कि उनकी मौत की परिस्थितियां स्पष्ट नहीं हैं। सिंह का पार्थिव शरीर सोमवार सुबह उनके गांव लाया गया और प्रार्थना के बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

सिंह के चचेरे भाई, सुरेंद्र सिंह ने कहा कि पिछली बार जब वे मिले थे, तो वह बहुत खुश थे। उन्होंने बताया, “वह एक छोटे से गांव में पैदा हुए और पले-बढ़े थे जहां अवसर बहुत कम थे। उनके स्कूल में सशस्त्र बलों की तैयारी के लिए कोई खेलकूद की व्यवस्था नहीं थी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सफलता हासिल की। ​​हर कोई उनसे ईर्ष्या करता था क्योंकि यहां रोजगार की संभावनाएं बहुत कम थीं, लेकिन वह तमाम मुश्किलों के बावजूद सफलता हासिल कर पाए।”

कांग्रेस ने अग्निवीर योजना को लेकर उठाए सवाल

इस बीच उत्तराखंड कांग्रेस इकाई ने केंद्र की अग्निपथ योजना की कड़ी आलोचना की है। पत्रकारों से बात करते हुए, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा, “केंद्र सरकार कब तक युवाओं के जीवन के साथ प्रयोग करती रहेगी? यह सिर्फ एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरे राज्य का नुकसान है, और इसकी सीधी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की अपरिपक्व और कमजोर संरचना वाली अग्निपथ योजना है।”

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उन्होंने कहा कि अनिश्चितता, पेंशन और सामाजिक सुरक्षा का अभाव और मानसिक दबाव ने इस योजना को एक खतरनाक प्रयोग बना दिया है। गोदियाल ने कहा, “उत्तराखंड के बच्चे सीमा पर अपनी जान कुर्बान कर रहे हैं और सरकार सोचती है कि वह चार साल बाद उन्हें ‘सेवा समाप्ति’ का पत्र थमा देगी। यह न केवल अन्याय है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ एक लापरवाही भरा जुआ भी है।”

दीपक साहू

संपादक

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