इसे कहते हैं किस्मत के धनी, बिना चुनाव लड़े दीपक प्रकाश ने ली मंत्री पद की शपथ, जानें कैसे हुई पॉलिटिक्स में एंट्री

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पटना/स्वराज टुडे: नीतीश कुमार ने 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. उनके साथ 26 मंत्रियों ने भी शपथ ली. शपथ लेने वाले चेहरों में दीपक प्रकाश बिल्कुल चौंकाने वाला रहा. बहुत कम लोग इस नाम से परिचित होंगे. दीपक प्रकाश राज्य सभा सांसद और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेटे हैं.

दीपक प्रकाश फिलहाल किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. बताया जा रहा है कि दीपक विदेश से पढ़ाई करके लौटे हैं. दीपक प्रकाश का सार्वजनिक जीवन ज्यादा लंबा नहीं है इसलिए उनके बारे में ज्यादा जानकारी कहीं भी उपलब्ध नहीं है. उनकी मां स्नेह लता कुशवाहा ने इसी बार बिहार चुनाव में सासाराम सीट से जीत दर्ज की हैं. वहीं पिता उपेंद्र कुशवाहा राज्य सभा सांसद हैं. वह पूर्व में केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं.

उम्मीद की जा रही थी कि नीतीश सरकार की नई कैबिनेट में आरएलएम कोटे से स्नेह लता कुशवाहा मंत्री बनेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है. उपेंद्र कुशवाहा ने बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाकर उनकी पॉलिटिक्स में एंट्री कराई है. अब दीपक प्रकाश मंत्री बन चुके हैं तो अगले छह महीने के भीतर उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया जाना तय है.

जातीय समीकरण साधने के लिए दीपक प्रकाश बने मंत्री

बिहार में लव-कुश यानी कुर्मी-कुशवाहा जाति के वोटर एनडीए के साथ बताए जाते रहे हैं. माना जाता है कि नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा इस जाति के सबसे बड़े चहरों में हैं. ऐसे में कैबिनेट में जातीय बैलेंस बनाए रखने के लिए कुशवाहा जाति से आने वाले दीपक प्रकाश को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है.

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उपेंद्र कुशवाहा ने एक साथ पूरी फैमिली को किया सेट

दीपक प्रकाश के मंत्री बनने के साथ ही उपेंद्र कुशवाहा ने एक साथ अपनी पूरी फैमिली को सेट कर लिया है. 2024 में काराकाट लोकसभा सीट पर हार मिलने के बाद उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए के समर्थन से राज्य सभा भेजा गया. उसके बाद 2025 के बिहार चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा ने सासाराम विधानसभा सीट से पत्नी स्नेह लता कुशवाहा को अपनी पार्टी RLM से प्रत्याशी बनाया और वह चुनाव जीतकर विधायक बन चुकी हैं. अब उन्होंने बेटे दीपक प्रकाश की बतौर बिहार सरकार मंत्री के रूप में राजनीति में एंट्री कराई है.

इस बार चुनाव में एनडीए सीट बंटवारे में RLM को छह सीटें मिली थी, जिसमें उनके चार विधायक जीत पाए हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की तरफ से लड़ते हुए उपेंद्र कुशवाहा खुद और उनकी पार्टी सारी सीटों पर चुनाव हार गए थे. इसके बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा एनडीए और महागठबंधन से अलग अपनी पार्टी के प्रत्याशी उतारे, लेकिन करारी हार मिली. इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा राजनीति में हाशिये पर दिख रहे थे. तभी उन्होंने 2021 में तब की अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जेडीयू में विलय कर दिया था. 2023 में उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू से भी अलग हो गए और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) का गठन कर एनडीए में शामिल हो गए. लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन में केवल काराकाट सीट मिली, लेकिन हार मिली. अब 2025 के बिहार चुनाव में उनके पूरे परिवार की पूरी तकदीर ही बदल गई है.

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दीपक साहू

संपादक

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