झारखंड
रांची/स्वराज टुडे: बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रहे हमलों के विरोध में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर मंगलवार को रांची की सड़कों पर सर्व सनातन समाज ने आक्रोश रैली निकाल कर प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष शामिल थे। नारे लिखी तख्तियां और भगवा झंडे हाथ में लेकर रांची के मोरहाबादी मैदान से राजभवन की ओर बढ़ रहे प्रदर्शनकारी नारे लगते हुए चल रहे थे।
सड़कों पर उमड़े इस विशाल जनसमूह ने लोगों का काफी देर तक ध्यान खींचे रखा। बाद में सभास्थल पर प्रमुख नेताओं का संबोधन हुआ। सभी ने एक स्वर से बांग्लादेश को चेतावनी देते हुए कहा कि समय रहते संभल जाओ नहीं तो भारत जिस बांग्लादेश का निर्माण कर सकता है, उसे मिटा भी सकता है। रैली में शामिल हजारों लोग अनुशासित रूप से कतारबद्ध होकर मोरहाबादी मैदान से चलकर अलबर्ट एक्का चौक होते हुए राजभवन के पास पहुंचे, फिर कार्यक्रम का समापन हुआ।
‘1971 में भारत की सहायता से…’
राजभवन के पास लोगों को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता राकेश लाल ने कहा- 1971 में भारत की सहायता से जिस बांग्लादेश का उदय हुआ उसी देश के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के सामने वहां के अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है। उन्होंने युनूस को चेतावनी देते हुए कहा- समय रहते संभल जाओ नहीं तो भारत के साथ-साथ पूरे विश्व का हिंदू समाज अब जाग चुका है।
‘जब पश्चिमी पाकिस्तान में एक मुस्लिम दूसरे मुस्लिम को…’
उन्होंने कहा कि मो. युनूस नरपिशाच है। जब पश्चिमी पाकिस्तान में एक मुस्लिम दूसरे मुस्लिम को मार रहे थे, पाकिस्तानी सेना मुस्लिम महिलाओं के साथ दुष्कर्म कर रहे थे, उस समय भारतीय सैनिकों ने अपना बलिदान देकर वहां के लोगों की रक्षा की, परंतु आज वही लोग हिंदुओं को मारने में लगे हैं।
उन्होंने कहा, जिस इस्कॉन के लोगों ने उन्हें रोटी दी, बंग बंधु ने आजादी दिलाई, उन्हीं के कार्यकर्ताओं पर जिहादी लोग अत्याचार कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ भी चुप्पी साधे हुए है। अब समय आ गया है कि विश्व समुदाय बांग्लादेश पर डबाव डाले और नोबेल पुरस्कार समिति भी मो. युनूस का पुरस्कार वापस लेने की घोषणा करे।
‘सनातन समाज अहिंसा का पुजारी’
विहिप के प्रांत मंत्री मिथिलेश्वर मिश्र ने कहा कि सनातन समाज अहिंसा का पुजारी है, परंतु जब उकसाया जाता है तो रणचंडी बनने से भी परहेज नहीं करता है। उन्होंने बांग्लादेश को चेतावनी देते हुए कहा कि समय रहते संभल जाओ नहीं तो अब युद्ध बड़ा भीषण होगा। प्रदर्शन को कई संगठनों से जुड़े लोगों ने संबोधित किया।
राष्ट्रपति के नाम सौंपा गया ज्ञापन
कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया। इससे पहले रांची सहित पूरे झारखंड में तीन से लेकर पांच दिसंबर के बीच सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया गया था।
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